शाहजहांपुर के खेतों में मिले 200 साल पुराने हथियार : क्या इन्हीं से लड़ी गई थी 1857 की क्रांति की जंग! जांच में जुटा पुरातत्व विभाग

क्या इन्हीं से लड़ी गई थी 1857 की क्रांति की जंग! जांच में जुटा पुरातत्व विभाग
UPT | खेत की खुदाई में मिले पुराने हथियार

Nov 07, 2024 12:41

खेत में हल चलाने के दौरान एक किसान को मिट्टी के भीतर पुराने जमाने के हथियार मिले। जिनमें तलवारें, खंजर, बरछी और बंदूकें शामिल थीं। इन हथियारों के 1857 की क्रांति की जंग से जुड़े होने की संभावना भी जताई जा रही है। इन अस्त्रों ने पुरातत्वविदों की उत्सुकता बढ़ा दी है।

Nov 07, 2024 12:41

Short Highlights
  • खेत में हल चलाने के दौरान किसान को मिट्टी में मिले पुराने जमाने के हथियार
  • निगोही पुलिस और राजस्व विभाग के अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे 
  • इन हथियारों का इतिहास काफी पुराना हो सकता है-वरिष्ठ इतिहासकार
Shahjahanpur News : शाहजहांपुर जिले के निगोही थाना क्षेत्र के ढकिया तिवारी गांव में एक अनोखी घटना हुई। जिसने लोगों में खासी उत्सुकता पैदा कर दी है। खेत में हल चलाने के दौरान एक किसान को मिट्टी के भीतर पुराने जमाने के हथियार मिले। जिनमें तलवारें, खंजर, बरछी और बंदूकें शामिल थीं। जैसे ही इसकी जानकारी मिली, निगोही पुलिस और राजस्व विभाग के अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे। पुरातत्व विभाग को भी मामले की सूचना दे दी गई है ताकि इन प्राचीन हथियारों का अध्ययन किया जा सके।



खुदाई में मिलीं ऐतिहासिक तलवारें और बंदूकें
ओमवीर सिंह नामक किसान ने अपने खेत में पहली बार हल चलाया, तभी हल किसी लोहे की चीज से टकरा गया। जब खुदाई की गई तो जमीन के भीतर से तलवारें और बंदूक के बैरल मिले। ओमवीर सिंह के अनुसार यह क्षेत्र पहले एक बाग हुआ करता था। जिसे बाद में बाबूराम नामक व्यक्ति ने खरीद लिया था। कई वर्षों तक यह जमीन उपयोग में नहीं आई, लेकिन अब बाबूराम ने यहां मकान बनाने के लिए खुदाई शुरू करवाई थी। खुदाई में मिली इन तलवारों और बंदूकों की प्राचीनता ने ग्रामीणों में भारी उत्सुकता पैदा कर दी है।

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इतिहासकारों की राय
वरिष्ठ इतिहासकार डॉ. विकास खुराना का कहना है कि इन हथियारों का इतिहास काफी पुराना हो सकता है। उन्होंने बताया कि भारत में बंदूकों का इस्तेमाल 16वीं सदी में बाबर के समय से शुरू हुआ था जबकि उत्तर भारत के इस क्षेत्र में इसका प्रसार 18वीं सदी में हुआ। यहां मिली बंदूक का बैरल काफी जर्जर हो चुका है क्योंकि उसमें दीमक लग चुकी है। इसके बावजूद, इसकी संरचना को देखकर अनुमान लगाया जा रहा है कि यह लगभग 200 साल पुरानी हो सकती है। डॉ. खुराना ने यह भी कहा कि शाहजहांपुर और आस-पास का क्षेत्र 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के समय क्रांतिकारी गतिविधियों का प्रमुख केंद्र रहा है और ऐसे में यह संभव है कि ये हथियार उस समय के किसी क्रांतिकारी या आंदोलन से जुड़े हों।

स्थानीय अधिकारियों और ग्रामीणों का रुझान
इस खोज से क्षेत्र के ग्रामीणों में उत्साह का माहौल है। इस खबर के फैलते ही बड़ी संख्या में लोग इस ऐतिहासिक खोज को देखने के लिए वहां पहुंचने लगे। निगोही पुलिस और राजस्व विभाग के अधिकारी मौके पर मौजूद हैं और पुरातत्व विभाग को इन हथियारों के विश्लेषण के लिए सूचित कर दिया गया है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि इन हथियारों के अध्ययन के बाद ही इनकी वास्तविक प्राचीनता और महत्व का पता चल पाएगा।

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1857 की क्रांति से संबंध की संभावना
डॉ. खुराना ने यह भी संभावना जताई कि ये हथियार 1857 की क्रांति से जुड़े हो सकते हैं। उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में अंग्रेजों के खिलाफ गदर और विद्रोह की कई घटनाएं हुई थीं। उस समय तलवारें और बंदूकें प्रमुख हथियार हुआ करते थे। उन्होंने सुझाव दिया कि इन हथियारों की विस्तृत जांच के लिए जिला प्रशासन से अनुमति लेकर पुरातात्विक अध्ययन कराया जाए, ताकि इस खोज की ऐतिहासिक प्रासंगिकता को समझा जा सके।

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