महायोजना 2031 जो शहर के समग्र विकास के लिए तैयार की गई है, उसे आधे-अधूरे तरीके से लागू किया गया है। इस योजना में शामिल 142 गांवों में से 31 गांव मानचित्र में गायब हैं।
महायोजना-2031 में बड़ी खामियां : 31 गांव मानचित्र से गायब, सर्किट हाउस को दिखाया गया उद्योग
Jan 09, 2025 17:08
Jan 09, 2025 17:08
मानचित्र में गांवों की अनदेखी
महायोजना 2031 का मानचित्र मेरठ की एक कंपनी द्वारा जीआईएस तकनीक का उपयोग करके तैयार किया गया है। इस योजना में शहर के आवासीय, व्यावसायिक, औद्योगिक, पार्क, यातायात और परिवहन से संबंधित सभी क्षेत्रफल निर्धारित किए गए हैं। लेकिन जारी मानचित्र पर नजर डालें तो कई महत्वपूर्ण खामियां दिखाई देती हैं।
सर्किट हाउस को दिखाया उद्योग
सर्किट हाउस जो पिछले 15 वर्षों से वीआईपी बैठकों और रुकने के लिए उपयोग में लाया जा रहा है, उसे उद्योग के रूप में दिखाया गया है। यह इसलिए हुआ क्योंकि दशकों पहले इस स्थान पर एक उद्योग संचालित होता था। जीआईएस सर्वे में पुराने डेटा को ही आधार मानते हुए इसे अद्यतन नहीं किया गया। इसके अलावा योजना में शामिल 142 गांवों में से 31 गांव मानचित्र पर दर्शाए ही नहीं गए।
आधी-अधूरी योजना विकास में बाधा
महायोजना 2031 का उद्देश्य शहर का समग्र और संतुलित विकास करना था। लेकिन मानचित्र में की गई गलतियों और त्रुटिपूर्ण भू-उपयोग निर्धारण ने इस योजना की उपयोगिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जिन गांवों को मानचित्र में शामिल नहीं किया गया, उनकी विकास योजनाएं अधर में लटक गई हैं। महायोजना 2031 की खामियां वास्तविकता में प्रभावी रूप से लागू करने में बड़ी बाधा बन रही हैं। इन त्रुटियों को सुधारने और हरित पट्टी जैसी योजनाओं को जमीन पर उतारने के लिए व्यवहारिक और अद्यतन सर्वेक्षण की आवश्यकता है।
हरित पट्टी के लिए जगह कहां से आएगी?
महायोजना 2031 में शहर के चारों ओर मार्गों के दोनों ओर 30-30 मीटर की हरित पट्टी का प्रस्ताव दिया गया है। इसमें बेहट रोड भी शामिल है, लेकिन व्यवहारिकता के स्तर पर यह संभव नहीं दिखता। बेहट रोड पर कुष्ठ आश्रम से नाजिरपुरा तक की सड़क मात्र सात मीटर चौड़ी है। इसके दोनों ओर आवासीय और व्यावसायिक निर्माण हो चुके हैं। ऐसे में 60 मीटर हरित पट्टी के लिए जमीन कहां से लाई जाएगी, यह एक बड़ा प्रश्न है।