मुजफ्फरनगर के फुलत गांव के मौलाना कलीम सिद्दीकी, जिन्होंने पहले एमबीबीएस की पढ़ाई छोड़कर धार्मिक शिक्षा पर ध्यान केंद्रित किया, अब धर्मांतरण के आरोपों में घिरे हुए हैं।
Muzaffarnagar News : एमबीबीएस की पढ़ाई छोड़कर धर्मांतरण का ठेकेदार बना मौलाना कलीम, विदेशों तक फैले संबंध
Sep 11, 2024 21:36
Sep 11, 2024 21:36
एमबीबीएस की पढ़ाई छोड़ दी थी
मौलाना कलीम सिद्दीकी का प्रारंभिक जीवन फुलत के मदरसे में ही धार्मिक शिक्षा में बीता। उन्होंने पिकेट इंटर कॉलेज, खतौली से विज्ञान में इंटरमीडिएट किया और मेरठ कॉलेज से बीएससी की पढ़ाई की। इसके बाद एमबीबीएस की पढ़ाई शुरू की, लेकिन कुछ दिनों बाद ही वे गांव लौटकर पुराने मदरसे फैजुल इस्लाम में दीनी तालीम देने लगे।
विदेशी फंडिंग का खुलासा
साल 1998 में उन्होंने जामिया इमाम शाह वलीउल्लाह इस्लामिया की नींव रखी और मदरसे का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऊंचा किया। फुलत में मदरसे की स्थिति और कलीम के नाम का विस्तार होता गया। उन्होंने खाड़ी देशों से भी फंडिंग प्राप्त की, जिसमें बहरीन समेत अन्य देशों की मदद शामिल थी।
धर्मांतरण के मामलों में संलिप्तता
धर्मांतरण के आरोप भी मौलाना कलीम पर लगे। सितंबर 2021 में उन्हें गिरफ्तार किया गया था, और उनके पास से पासपोर्ट, मुहर, साहित्य, महिला और बच्चों की सूची, मोबाइल, लाइसेंस, पहचान पत्र, आधार, पैन कार्ड, मैरिज सर्टिफिकेट और कनवर्जन रजिस्टर बरामद हुआ था। एटीएस ने 20 जून 2021 को कलीम के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की और 21 सितंबर 2021 को उन्हें मेरठ के निजी कार्यक्रम में शामिल होने के दौरान गिरफ्तार किया गया। मौलाना कलीम को 2023 में जमानत मिल गई थी, लेकिन अदालत में पेशी के दौरान उन्हें दोषी पाया गया और न्यायिक हिरासत में ले लिया गया। मौलाना कलीम के बाद उनके बेटे मौलाना अहमद ने मदरसे की देखरेख संभाली है। वर्तमान में फुलत के मदरसे में विभिन्न राज्यों के 300 छात्र और आसपास के क्षेत्र के 250 छात्र पढ़ रहे हैं।
सलीम और उसके परिवार की सजा
मौलाना कलीम के ड्राइवर सलीम को धर्मांतरण मामले में 10 साल की सजा सुनाई गई है। सलीम के तीन बेटे, साहिब, सुहैब और शाहिद, मजदूरी कर रहे हैं। सलीम के परिवार का कहना है कि उसे बेवजह फंसाया गया है। धर्मांतरण का यह मामला चरथावल कस्बे के अमित प्रजापति के खिलाफ भी दर्ज हुआ था, जो 2014 में फुलत स्थित मदरसे में ले जाकर धर्म परिवर्तन का आरोप लगा है।
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