इस मामले में वादी और अन्य सभी पांच गवाह अपने बयान से पलट गए, इसलिए मुजफ्फरनगर की अदालत ने इन आरोपियों को दोषमुक्त करने का फैसला सुनाया...
मुजफ्फरनगर दंगे के तीन आरोपी बरी : 11 साल में पुलिस सबूत नहीं जुटा पाई, गवाह और मुकदमा लिखाने वाले भी मुकरे
Sep 27, 2024 17:47
Sep 27, 2024 17:47
- तीन अभियुक्तों को सबूत की कमी के चलते किया गया बरी
- वादी और अन्य सभी पांच गवाह अपने बयान से पलटे
- 2013 के सांप्रदायिक दंगों में लूटपाट और आगजनी का मामला
तीन आरोपियों के खिलाफ दर्ज हुआ मुकदमा
दरअसल, मुजफ्फरनगर में 2013 का सांप्रदायिक दंगा सितंबर 2013 में भड़क गया था। इस दौरान शामली जिले के लिसाढ़ गांव में कुछ लोगों ने एक घर पर हमला किया, जिससे प्रभावित लोग गांव छोड़कर कैराना के राहत शिविर में शरण लेने को मजबूर हो गए। इस मामले में स्थानीय निवासी जिशान ने 19 सितंबर को कैराना थाने में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद 22 सितंबर को थाना फुगाना में मुकदमा शुरू हुआ।
यह था पूरा मामला
जिशान ने बताया कि आठ सितंबर की रात वह अपने परिवार के साथ घर पर मौजूद था, जब आक्रोशित भीड़ ने सांप्रदायिक नारे लगाते हुए उनके घर पर हमला किया। इस भीड़ में अंकित कश्यप, नीटल उर्फ प्रमोद और संदीप शामिल थे, जिन्होंने लूटपाट की और उसके घर में आग लगा दी, जिससे उसे लाखों रुपये का नुकसान हुआ।
पीड़ित परिवार को राहत शिविर में लेनी पड़ी शरण
जिसके बाद, दहशत के कारण जिशान और उसका परिवार गांव छोड़कर कैराना राहत शिविर में चले गए। मामले की जांच एसआईटी के इंस्पेक्टर अखिलेश सिंह ने की और आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दायर की। सुनवाई पोक्सो एक्ट कोर्ट-2 में हुई, जहां बचाव पक्ष के वकील जुल्करण सिंह और चन्द्रवीर सिंह ने अपनी दलीलें प्रस्तुत कीं।
तीनों आरोपी हुए बरी
वहीं सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष ने पांच गवाह पेश किए, लेकिन जिशान अपने गवाह से मुकर गया। इसके अलावा, अन्य गवाह भी घटना से मुंह मोड़ गए। यह मामला कई दिनों बाद दर्ज हुआ, जिसके कारण कोर्ट ने साक्ष्य की कमी के चलते सभी तीन आरोपियों को बरी कर दिया है। इस मामले पुलिस भी पिछले 11 सालों में कोई सबूत नहीं जुटा सकी।
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