मुजफ्फरनगर में पेड़ का हुआ अंतिम संस्कार : तेज हवा के कारण उखड़ गया था 150 साल पुराना वृक्ष, हिंदू रीति रिवाज से दी गई अग्नि

तेज हवा के कारण उखड़ गया था 150 साल पुराना वृक्ष, हिंदू रीति रिवाज से दी गई अग्नि
UPT | मुजफ्फरनगर में पेड़ का हुआ अंतिम संस्कार

Sep 28, 2024 19:20

इंसानों के अंतिम संस्कार के बार में तो आपने खूब सुना होगा। कई बार लोग पशु या पक्षियों का भी अंतिम संस्कार कर देते हैं। लेकिन मुजफ्फरनगर से एक ऐसा मामला सामने आया है, जहां एक पेड़ का अंतिम संस्कार किया गया है।

Sep 28, 2024 19:20

Short Highlights
  • मुजफ्फरनगर में पेड़ का हुआ अंतिम संस्कार
  • गंगनहर पटरी पर लगा था पेड़
  • तेज हवा के कारण उखड़ गया था
Muzaffarnagar News : इंसानों के अंतिम संस्कार के बार में तो आपने खूब सुना होगा। कई बार लोग पशु या पक्षियों का भी अंतिम संस्कार कर देते हैं। लेकिन मुजफ्फरनगर से एक ऐसा मामला सामने आया है, जहां एक पेड़ का अंतिम संस्कार किया गया है। ये पेड़ करीब 150 साल पुराना था, जो बुधवार को चली तेज हवा के कारण गिर गया था। पेड़ का अंतिम संस्कार करने की घटना इलाके में चर्चा का विषय बनी रही।

गंगनहर पटरी पर लगा था पेड़
आपको बता दें कि यह पेड़ सेमल का है, जो करीब 150 साल से गंगनहर पटरी पर लगा हुआ था। लेकिन पिछले बुधवार को जब क्षेत्र में तेज हवा चल रही थी, तो यह पेड़ भी उखड़कर गिर गया था। इसके बाद शुक्रवार को जिले की समाजसेवी शालू सैनी पेड़ की कुछ लकड़ियां बीनकर नई मंडी स्थित श्मशान घाट पहुंचीं और पेड़ का विधि विधान से अंतिम संस्कार किया।



चार पीढ़ियों को समेटे था पेड़
मीडिया से बातचीत में शालू सैनी ने बताया कि पुराने पेड़ के गिरने से ऐसा लगा कि जैसे घर के किसी बुजुर्ग ने आखिरी सांस ली हो। शालू ने बताया कि उसी दिन उन्होंने पेड़ के तर्पण की बात ठान ली थी। उन्होंने कहा कि ये पेड़ पिछली करीब 4 पीढ़ियों को समेटे हुए था। लेकिन तेज हवा के कारण ये दुनिया को छोड़कर चला गया। शालू ने पेड़ का हिंदू रीति-रिवाज से अंति संस्कार किया।

लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर चुकीं शालू
शालू ने बताया कि वह 2 अक्टूबर को पिृत विसर्जनी अमावस्या के दिन अन्य आत्माओं के साथ विधि-विधआन से पेड़ के मोक्ष के लिए भी हवन में आहूति डालेंगी। आपको बता दें कि शालू सैनी ने कोरोना काल के बाद से अब तक हजारों लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार किया है। उनका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी दर्ज है। उन्हें कई पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है।

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