रामपुर तिराहा कांड : पूर्व डीजीपी कोर्ट में पेश हुए, बयान में माना- आंदोलनकारियों को रोकना पुलिस का गलत कदम था

पूर्व डीजीपी कोर्ट में पेश हुए, बयान में  माना- आंदोलनकारियों को रोकना  पुलिस का गलत कदम था
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Dec 05, 2024 14:40

सीबीआई के सरकारी वकील धारा सिंह मीना ने बताया कि सुनवाई के दौरान डीसीपी और चंडीगढ़ के पूर्व डीजीपी प्रदीप कुमार श्रीवास्तव ने कोर्ट में अपने बयान दिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि आंदोलनकारियों के प्रार्थना पत्र पर रैली की अनुमति दी गई थी।

Dec 05, 2024 14:40

Muzaffarnagar News : तीस साल पुराने रामपुर तिराहा कांड से जुड़ी बड़ी खबर है। इससे जुड़े एक मुकदमे में पूर्व आईएएस अधिकारी प्रदीप कुमार श्रीवास्तव कोर्ट में पेश हुए और बयान दर्ज कराए। यूपी पुलिस में रहे इस पूर्व अधिकारी ने अपने बयान में माना कि रामपुर तिराहे पर आंदोलनकारियों को रोकना पुलिस की ओर से गलत कदम था।

आंदोलनकारियों की मांग पर अनुमति दी
मुजफ्फरनगर जिले में हुए रामपुर तिराहा कांड मामले ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। इस मामले से जुड़े चर्चित सरकार बनाम राधा मोहन द्विवेदी केस की बुधवार को एडीजे-2 कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान चंडीगढ़ के पूर्व डीजीपी प्रदीप कुमार श्रीवास्तव कोर्ट में पेश हुए और बयान दिए। उन्होंने कहा कि आंदोलनकारियों को उनके प्रार्थना पत्र पर रैली की अनुमति दी गई थी और पुलिस को सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए थे।

पुलिस की ओर से गलत कदम
सीबीआई के सरकारी वकील धारा सिंह मीना ने बताया कि सुनवाई के दौरान डीसीपी और चंडीगढ़ के पूर्व डीजीपी प्रदीप कुमार श्रीवास्तव ने कोर्ट में अपने बयान दिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि आंदोलनकारियों के प्रार्थना पत्र पर रैली की अनुमति दी गई थी। साथ ही पुलिस को रैली के दौरान सुरक्षा का ध्यान रखने के स्पष्ट निर्देश दिए गए थे। पूर्व अधिकारी ने यह भी कहा कि रामपुर तिराहे पर आंदोलनकारियों को रोकना पुलिस की ओर से गलत कदम था।

बचाव पक्ष की आपत्ति
बचाव पक्ष के अधिवक्ता सुरेंद्र कुमार शर्मा ने रैली की अनुमति और सुरक्षा इंतजाम को लेकर सवाल खड़े किए। उन्होंने रिटायर्ड अधिकारी से गहन पूछताछ की और पुलिस कार्रवाई की वैधता पर जोरदार बहस की।



20 दिसंबर को अगली सुनवाई
रामपुर तिराहा कांड राज्य आंदोलन के काले अध्यायों में से एक है। इस मामले में आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई और न्याय मिलने की उम्मीद अभी भी बनी हुई है। सीबीआई जांच और अदालती कार्यवाही के बावजूद सवाल उठ रहे हैं कि आंदोलनकारियों को रोकने और फायरिंग के पीछे असली मंशा क्या थी? 20 दिसंबर को होने वाली सुनवाई के बाद इस मामले में स्थिति और साफ हो सकती है।

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क्या था रामपुर तिराहा कांड?
एक अक्टूबर 1994 को उत्तराखंड के अलग राज्य की मांग को लेकर दिल्ली जा रहे आंदोलनकारियों पर रामपुर तिराहा, छपार में हुई पुलिस फायरिंग और महिलाओं के साथ हुए दुष्कर्म के मामलों ने देश को झकझोर दिया था। इस हिंसक घटना में सात आंदोलनकारियों की मौत हुई थी, जबकि कई महिलाओं के साथ दुष्कर्म, छेड़छाड़ और लूटपाट की घटनाएं सामने आई थीं। सीबीआई जांच के बाद दुष्कर्म के एक मामले में पुलिस और पीएसी के 24 जवानों को आरोपी बनाया गया। मामले की सुनवाई अब मुज़फ्फरनगर की कोर्ट में अपर जिला जज अंजनी कुमार की अदालत में स्थानांतरित कर दी गई है।आंदोलनकारी और उनके परिवार अब भी न्याय की आस लगाए हुए हैं, जबकि यह मामला उत्तराखंड के इतिहास का एक काला अध्याय बन गया।

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