यहां पर फैसले चारपाई और चबूतरों पर बैठकर होते है। डॉ. संजीव बालियान चाहते थे सभी उनसे मिलने के लिए उनके पास जाए। जबकि यहां ऐसा नहीं होता। डॉ. संजीव बालियान मान बैठे थे कि मोदी के चेहरे और जाट नेता के नाम पर उनको कोई नहीं हरा सकता।
Muzaffarnagar Lok sabha : इन तीन कारणों से तीसरी बार चुनाव जीतने से चूके डॉ. संजीव बालियान
Jun 05, 2024 09:09
Jun 05, 2024 09:09
- लगातार तीसरी बार चुनाव जीतने से चूके डॉ. संजीव बालियान
- हार का एक कारण ठाकुरों की नाराजगी और संगीत सोम की बगावत भी रहा
- जाट मतदाताओं ने भी हरेंद्र मलिक को खूब वोट दिया
मुजफ्फरनगर में सपा प्रत्याशी हरेंद्र मलिक ने केंद्रीय राज्यमंत्री एवं भाजपा प्रत्याशी डॉ. संजीव बालियान को 25,989 वोटों से हरा दिया। हरेंद्र मलिक को 4,69,804 और बालियान को 4,43,815 वोट मिले। डॉ. बालियान ने मुजफ्फरनगर से 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी। इस बार डॉ. संजीव बालियान को हार का सामना करना ही पड़ा। हरेंद्र मलिक की जीत से समर्थकों के बीच खुशी का माहौल है।
मुस्लिम वोटों के बिखराव का ना होना
इस बार मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर मुस्लिम वोटों का बिखराव नहीं हुआ। इसका एक बड़ा कारण ये भी रहा कि इस बार मुजफ्फरनगर संसदीय सीट से कोई मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में नहीं था। जिस कारण मुस्लिम मतदाता एक तरफा हरेन्द्र मलिक की तरफ गया। वहीं दलित वोट बसपा के खाते में गया। बसपा के दारा सिंह प्रजापति को 1,43,323 वोट मिले। ये भी डॉ. संजीव बालियान की हार का बड़ा फैक्टर रहा है।
ठाकुरों की नाराजगी और संगीत सोम की बगावत
डॉ. संजीव बालियान की हार का दूसरा कारण सरधना विधानसभा भी रही। सरधना विधानसभा ठाकुर बाहुल्य विधानसभा है। यहां से भाजपा के संगीत सोम दो बार विधायक रहे। संगीत सोम समर्थकों का मानना है कि 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान उनको हरवाने में डॉ. संजीव बालियान ने बड़ी भूमिका निभाई थी। वहीं दूसरी ओर ठाकुरों की भाजपा से नाराजगी भी डॉ. संजीव बालियान की हार की बड़ी वजह बनी। मुजफ्फरनगर में ठाकुरों की कई पंचायतें हुईं। जिसमें भाजपा प्रत्याशी का खुला विरोध किया गया। हालांकि ठाकुरों की नाराजगी दूर करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राजनाथ सिंह भी जनसभाएं करने के लिए आए। लेकिन ये दोनों नेता भी ठाकुरों की नाराजगी को मतों में बदलने में नाकाम रहे।
डॉ. बालियान का अहंकार सबसे बड़ा कारण
मुजफ्फरनगर निवासी डॉ. फल कुमार पंवार का कहना है कि डॉ. संजीव बालियान को दो बार मुजफ्फरनगर की जनता ने सांसद बनाकर दिल्ली भेजा। उन्होंने बताया कि डॉ. संजीव बालियान जीतने के बाद मुजफ्फरनगर को खुद की जागीर समझने लगे थे। रालोद के अजित सिंह को चुनाव में हराकर डॉ. संजीव बालियान खुद को जाटों का बड़ा नेता मानने लगे थे। उन्होंने बताया कि मुजफ्फरनगर जाट और खाप की जमीन है। यहां पर फैसले चारपाई और चबूतरों पर बैठकर होते है। डॉ. संजीव बालियान चाहते थे सभी उनसे मिलने के लिए उनके पास जाए। जबकि यहां ऐसा नहीं होता। डॉ. संजीव बालियान मान बैठे थे कि मोदी के चेहरे और जाट नेता के नाम पर उनको कोई नहीं हरा सकता। उनका ये घमंड हरेंद्र मलिक ने तोड़ दिया। भाजपा के कोर मतदाताओं में बिखराव हार की बड़ी वजह रही।
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