मुजफ्फरनगर के साउथ सिविल लाइन निवासी शिक्षक रविन्द्र सिंह ने साइबर पुलिस को दी तहरीर में बताया कि उसका बड़ा बेटा भानु प्रताप सिंह चार साल पहले जर्मनी में पढ़ाई करने गया था।
Cyber Fraud : बेटे को जर्मनी में जेल का खौफ दिखाकर शिक्षक से ठगे 4.70 लाख, साइबर पुलिस तीन दिन से दर्ज नहीं कर रही है पुलिस
Jan 06, 2024 16:04
Jan 06, 2024 16:04
क्या है पूरा मामला
मुजफ्फरनगर के साउथ सिविल लाइन निवासी शिक्षक रविन्द्र सिंह ने साइबर पुलिस को दी तहरीर में बताया कि उसका बड़ा बेटा भानु प्रताप सिंह चार साल पहले जर्मनी में पढ़ाई करने गया था। कोरोना काल में वो वापिस लौट आया था। इसी बीच उसने चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में दाखिला ले लिया था। मनमुटाव के चलते भानु और परिवार के सदस्यों के बीच काफी समय से बातचीत नहीं हो पाई थी। गाजियाबाद में रहने वाले रविंद्र सिंह के बिल्डर मित्र माधव सिंह के फोन पर तीन जनवरी को किसी शख्स ने खुद को भानु बताते हुए कॉल की। कथित भानु ने जर्मनी के नंबर से अपने अंकल माधव सिंह के परिवारिक सदस्य के खाते में 5.20 लाख रूपये की धनराशि भेजने की बात कही। मैसेज तो आया, लेकिन खाते में रकम नहीं आई। एक घंटे बाद उस शख्स ने माधव को फोन कर बताया कि वीजा नवीनीकरण नहीं होने के कारण उसे जर्मनी में पुलिस ने पकड़ लिया है। उस शख्स के अलावा किसी ट्रेवल एजेंट ने भी भानु के जर्मनी पुलिस के लफड़े में फंसने की जानकारी देकर 2.70 लाख रुपये की मांग की।
ट्रेवल एजेंट का भी था हाथ
माधव सिंह ने डेढ़ लाख रुपये बताये गये एकाउंट में डलवा दिये। बाकी 1.20 लाख रुपये रविन्द्र सिंह ने अपने और दूसरे बेटे के खाते से ट्रांसफर कराएं। इसके बाद ट्रेवल एजेंट ने फोन कर बताया कि उन्होंने पैसा भेजने में देर कर दी। इसलिए उन्हें साढ़े तीन लाख रूपये का जुर्माना और देना होगा, अन्यथा भानु तीन साल के लिए जेल चला जायेगा। जैसे तैसे रविन्द्र सिंह ने अपने साथियों प्रदीप राम, जगत पाल सिरोही, सुभाष चंद, संजय गर्ग के खातों से 50-50 हजार रुपये भिजवा दिये। इसी बीच शिक्षक रविन्द्र सिंह का छोटा बेटा सूर्यप्रताप जर्मनी में रहने वाले उसके दोस्तों से सम्पर्क में लगा रहा। इसी दौरान सूर्य की बात जर्मनी में रहने वाले कैराना के सलीम से हुई। सलीम ने बताया कि भानु प्रताप जर्मनी आया ही नहीं, वह चंडीगढ़ में ही रहकर पढ़ाई कर रहा है। फिर सलीम ने भानु प्रताप को फोन कर इस ठगी के बारे में जानकारी दी। बाद में भानु ने अपने घर पर बात की तो परिजनों को पता चला कि वह चंडीगढ़ में ही है। तीन दिन पहले पीड़ित ने साइबर पुलिस को इस ठगी की शिकायत की, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। इसके बाद शिक्षक रविन्द्र ने एसपी सिटी सत्यनारायण प्रजापत से मिलकर पूरी घटना बताई। उन्होंने भी साइबर पुलिस को जांच कर आवश्यक कार्यवाही करने की हिदायत दी। 72 घंटे से अधिक समय बीतने के बाद भी पुलिस ने शिक्षक रविन्द्र सिंह के साथ हुई ठगी का कोई मुकदमा दर्ज नहीं किया है। पीड़ित पिता का कहना था कि उन्हें लगा था कि बेटा उन्हें बिना बताए दोस्त से मिलने के लिए जर्मनी चला गया, जिसका फायदा साइबर ठगों ने उठाया है।
साइबर पुलिस ने पीड़ित परिवार के ही सीज कर दिये खाते सीज
साइबर पुलिस इतनी सजग है, कि उसने ठगों के बजाए पीड़ित के खाते सीज कर दिए। शिक्षक रविन्द्र सिंह ने अपनी तहरीर में उन खातेदारों के नाम और अकाउंट नम्बर भी लिखे थे, जिनके अकाउंट से ठगों द्वारा बताए गए खातों में पैसा ट्रांसफर किया गया था। एडवांस होने का दावा करने वाली साइबर पुलिस को रकम बचाने के लिए ठगों के खाते सीज करना था, मगर उसने पीड़ित के ही खातों को सीज कर दिया। पीड़ित शिक्षक ने जब इसकी शिकायत की तो साइबर पुलिस को अपनी गलती का अहसास हुआ।
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