शामली-अंबाला हाईवे विवाद : राकेश टिकैत का किसान आंदोलन को समर्थन, बोले- उचित मुआवजा बिना जमीन नहीं देंगे

राकेश टिकैत का किसान आंदोलन को समर्थन, बोले- उचित मुआवजा बिना जमीन नहीं देंगे
UPT | राकेश टिकैत ने दिया समर्थन।

Jul 21, 2024 00:06

भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने सहारनपुर के तीतरों गांव कलसी पहुंचकर किसान आंदोलन को समर्थन दिया। टिकैत ने केंद्र की भाजपा सरकार पर किसान विरोधी होने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह सरकार अटल बिहारी वाजपेयी की विचारधारा से परे है और देश से खेती-बाड़ी का खात्मा करने पर तुली हुई है।

Jul 21, 2024 00:06

Short Highlights
  • राकेश टिकैत ने सहारनपुर के तीतरों गांव कलसी पहुंचकर किसान आंदोलन को समर्थन दिया
  • किसानों की प्रमुख मांगों में अंडरपास और पुलों की ऊंचाई बढ़ाना
Saharanpur News : भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने सहारनपुर के तीतरों गांव कलसी पहुंचकर किसान आंदोलन को समर्थन दिया। निर्माणाधीन शामली-अंबाला हाईवे पर पिछले 23 दिनों से धरना दे रहे किसानों के समर्थन में टिकैत ने एक जनसभा को संबोधित किया। 

किसानों को उचित मुआवजा मिले
टिकैत ने केंद्र की भाजपा सरकार पर किसान विरोधी होने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह सरकार अटल बिहारी वाजपेयी की विचारधारा से परे है और देश से खेती-बाड़ी का खात्मा करने पर तुली हुई है। टिकैत ने आरोप लगाया कि सरकार किसानों के बजाय उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से ही शामली-अंबाला हाईवे का निर्माण कर रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसान हाईवे के विरोध में नहीं हैं, लेकिन चाहते हैं कि सरकार भूमि अधिग्रहण बिल के मुताबिक उन्हें उनकी भूमि का सर्किल रेट के अनुसार मुआवजा दे। 

चाहे गोली चल जाए, जमीन नहीं देंगे
टिकैत ने चेतावनी दी कि अगर किसानों की मांगें नहीं मानी गईं, तो वे किसी भी सूरत में हाईवे अथॉरिटी को भूमि नहीं देंगे। चाहे सरकार उन पर आंसू गैस के गोले दागे या गोली चलाए। टिकैत ने आरोप लगाया कि सरकार विदेशी कंपनी वॉलमार्ट के लिए हाईवे बना रही है, जबकि किसानों को उस पर चलने की अनुमति नहीं है। उन्होंने किसानों से आह्वान किया कि वे धरनास्थल को धर्मस्थल की तरह वंदनीय बनाकर उसकी गरिमा बनाए रखें और अधिकारियों को उचित सम्मान दें।

ये हैं प्रमुख मांगें
किसानों की प्रमुख मांगों में अंडरपास और पुलों की ऊंचाई बढ़ाना, सर्विस रोड का निर्माण, और उचित मुआवजा शामिल है। इस बीच, स्थानीय प्रशासन ने अभी तक किसानों की मांगों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। टिकैत ने कहा कि आंदोलन दो साल तक चल सकता है, लेकिन किसान अपने अधिकारों के लिए लड़ते रहेंगे। आने वाले दिनों में इस आंदोलन के और तेज होने की संभावना है।

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