काशी के ज्योतिषियों ने की दीपावली 2024 की तिथि स्पष्ट : कहा- 31 अक्टूबर को पर्व मनाना उचित, एक नवबंर की तिथि भी थी तय

कहा- 31 अक्टूबर को पर्व मनाना उचित, एक नवबंर की तिथि भी थी तय
UPT | सांकेतिक फोटो।

Oct 05, 2024 18:12

देश के विभिन्न हिस्सों में दीपावली की तिथि लेकर हर साल भ्रम की स्थिति रहती है। इस बार भी 31 अक्टूबर और 1 नवंबर को लेकर मतभेद था, लेकिन काशी विद्वत परिषद और काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग ने स्पष्ट किया है कि 31 अक्टूबर को ही दीपावली मनाना उचित होगा।

Oct 05, 2024 18:12

Varanasi News : देश के विभिन्न हिस्सों में दीपावली की तिथि को लेकर हर साल भ्रम की स्थिति रहती है। इस बार भी 31 अक्टूबर और 1 नवंबर को लेकर मतभेद था, लेकिन काशी विद्वत परिषद और काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग ने स्पष्ट किया है कि 31 अक्टूबर को ही दीपावली मनाना उचित होगा।

31 अक्टूबर को दीपावली मनाना उचित 
अक्सर ही देखा जाता है कि विद्वानों में मतभेद और पंचांगों में समानता न होने के कारण हर त्योहार अब दो दिन मनाए जाने लगे हैं। जिसके कारण लोगों में कंफ्यूजन की स्थिति बनी रहती है।  रक्षाबंधन, होली और दीपावली हर त्योहार दो दिनों की हो जाती है।  वहीं इस बार भी देश के कई हिस्सों में 31 अक्टूबर को दीपावली मनाने की तैयारी है, जबकि कई जगहों पर एक नवबंर को पर्व मनाए जाने की बात सामने आ रही है। इसे लेकर काशी विद्वत परिषद और काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग ने संशय खत्म कर दिया है। उनके अनुसार 1 नवंबर को प्रदोष व्यापिनी संध्या न मिलने के कारण 31 अक्टूबर को ही दीपावली मनाया जाना उचित है।

प्रोफेसर विनय कुमार पांडे का बयान
काशी विद्वत परिषद ज्योतिष प्रकोष्ठ के महामंत्री और काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर विनय कुमार पांडे ने स्पष्ट किया है कि दीपावली का त्योहार 31 अक्टूबर को ही मनाया जाएगा। उन्होंने बताया कि सनातन धर्म के व्रत और पर्वों के निर्धारण में गणित, ग्रह, नक्षत्र आदि के मानों के आधार पर धर्मशास्त्र ग्रंथों में वर्णित नियमों का पालन किया जाता है। इस प्रकार, दीपावली का सही तिथि निर्धारण 31 अक्टूबर को होने की पुष्टि करता है।

इस वजह से तिथियों में आ जाता है अंतर
महामंत्री प्रोफेसर विनय कुमार पांडे ने बताया कि व्रत और पर्वों की तिथियों में अंतर आना स्वाभाविक है। स्थान के भेद से तो कभी-कभी गणितीय मानों या किसी एक धार्मिक मत के अनुसरण करने के कारण भी तिथियों में भिन्नता देखने को मिलती है। इस बार 2024 में दीपावली को लेकर भी ऐसा ही भ्रम उत्पन्न हुआ है। कुछ पंचांग 1 नवंबर को दीपावली बता रहे हैं, जबकि धर्मशास्त्रीय ग्रंथों के अनुसार 31 अक्टूबर को ही यह पर्व मनाना सही है। उन्होंने विद्वानों से अनुरोध किया कि इस मुद्दे पर पुनः विचार करें, ताकि समाज में उत्पन्न हो रहे भ्रम को दूर किया जा सके और सनातन धर्म के प्रति विश्वास बनाए रखा जा सके।

दीपावली पूजन की सही विधि
दीपावली पर पूजा के लिए पूरब दिशा में चौकी रखें और लाल या गुलाबी कपड़ा बिछाएं। सबसे पहले गणेश जी की मूर्ति रखें, फिर उनके दाहिने तरफ लक्ष्मी जी को स्थापित करें। आसन पर बैठकर चारों ओर जल छिड़कें और संकल्प लें। एक मुखी घी का दीप जलाएं और मां लक्ष्मी तथा गणेश जी को फूल और मिठाई अर्पित करें। पहले गणेश जी के मंत्र का, फिर मां लक्ष्मी के मंत्र का जाप करें। अंत में आरती करें और शंख बजाएं। घर में दीप जलाने से पहले एक थाल में 5 दीपक रखें और फूल अर्पित करें। फिर घर के विभिन्न हिस्सों को दीयों से रोशन करें। दीपावली पूजा के लिए लाल, पीला या चमकदार रंग का वस्त्र पहनना शुभ है।  पहला शुभ मुहूर्त प्रदोष काल में रहेगा। यह शाम 05.36 से रात्रि 08.11 के बीच रहेगा। वहीं वृषभ काल शाम 6. 20 से रात 8.15 तक रहेगा। दोनों मुहूर्त पर मां लक्ष्मी की पूजा की जा सकती है।

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