बीएचयू की अनोखी खोज : मखाना और सांवा से बने पोषण बार में छिपा स्वास्थ्य का खजाना

मखाना और सांवा से बने पोषण बार में छिपा स्वास्थ्य का खजाना
UPT | Banaras Hindu University

Jul 20, 2024 14:36

यह अध्ययन विशेष रूप से मखाना और सांवा पर केंद्रित था, जो दरभंगा, मुजफ्फरपुर, मधुबनी, और सीतामढ़ी जैसे क्षेत्रों में अत्यधिक लोकप्रिय हैं। शोधकर्ताओं ने इन पदार्थों से निर्मित पोषण बार...

Jul 20, 2024 14:36

Short Highlights
  • बीएचयू के डेयरी विज्ञान और खाद्य प्रौद्योगिकी विभाग ने विशेष अध्ययन किया
  • यह अध्ययन विशेष रूप से मखाना और सांवा पर केंद्रित था
Varanasi News : बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के डेयरी विज्ञान और खाद्य प्रौद्योगिकी विभाग ने एक ग्राउंडब्रेकिंग शोध के माध्यम से उत्तर बिहार के पारंपरिक खाद्य पदार्थों के अप्रत्याशित स्वास्थ्य लाभों को उजागर किया है। यह अध्ययन विशेष रूप से मखाना और सांवा पर केंद्रित था, जो दरभंगा, मुजफ्फरपुर, मधुबनी, और सीतामढ़ी जैसे क्षेत्रों में अत्यधिक लोकप्रिय हैं। शोधकर्ताओं ने इन पदार्थों से निर्मित पोषण बार का विस्तृत विश्लेषण किया, जिसमें उल्लेखनीय स्वास्थ्यवर्धक गुण पाए गए।

मिजोरम विश्वविद्यालय के प्रोफेसर भी शामिल
इस महत्वपूर्ण शोध के निष्कर्षों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त पत्रिका 'फूड केमिस्ट्री: मॉलिक्यूलर साइंसेस' में प्रकाशित किया गया है। अनुसंधान दल में बीएचयू के सहायक प्रोफेसर डॉ. अरविंद कुमार और मिजोरम विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर मनीष कुमार सिंह के नेतृत्व में विशाल कुमार, प्रिया ध्यानी और हिमांशु मिश्रा जैसे प्रतिभाशाली शोधकर्ता शामिल थे। 

मखाना के आटे और टूटे हुए सांवा से बने पोषण बार
प्रोफेसर दिनेश चंद्र राय ने शोध के महत्वपूर्ण निष्कर्षों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि मखाना के आटे और टूटे हुए सांवा से बने पोषण बार के लक्षित मेटाबोलॉमिक्स का गहन अध्ययन किया गया। इस अध्ययन में कई महत्वपूर्ण बायोएक्टिव यौगिकों की उपस्थिति का पता चला, जो विभिन्न स्वास्थ्य लाभों से संबंधित हैं। इन यौगिकों में कैंसर-रोधी, हृदय स्वास्थ्य संवर्धक, सूजन-रोधी, मधुमेह नियंत्रक और रोगाणुरोधी गुण पाए गए, जो इन पोषण बारों को एक बहुआयामी स्वास्थ्य उत्पाद बनाते हैं।

सभी आयु वर्गों के लिए एक फंक्शनल स्नैक फूड
यह शोध न केवल पारंपरिक भारतीय खाद्य पदार्थों के महत्व को रेखांकित करता है, बल्कि आधुनिक पोषण विज्ञान में उनके संभावित योगदान को भी दर्शाता है। प्रोफेसर राय ने इन पोषण बारों को सभी आयु वर्गों के लिए एक फंक्शनल स्नैक फूड के रूप में वर्णित किया, जो स्वाद और पोषण का अनूठा संगम प्रस्तुत करता है। यह खोज भारतीय खाद्य संस्कृति की समृद्धि और वैज्ञानिक महत्व को प्रदर्शित करती है, साथ ही स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देने में इन पारंपरिक खाद्य पदार्थों की भूमिका को उजागर करती है।

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