बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के अटल इंक्यूबेशन सेंटर के एक इनोवेटर ने एक बड़ी अंतरराष्ट्रीय सफलता हासिल की है। इनोवेटर मृत्युंजय सिंह ने अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के सर्वर में एक...
नासा की गलती बनारसी ने पकड़ी : चैलेंज लेकर कमी ढूंढी, समाधान भी बताया, नहीं तो हो जाता कुछ ऐसा....
Oct 03, 2024 16:29
Oct 03, 2024 16:29
ओपन चैलेंज में हिस्सा लेकर पाई सफलता
मृत्युंजय ने इस बग को खोजने का काम एक ओपन चैलेंज के माध्यम से किया। जिसे बग क्राउड नामक कंपनी द्वारा आयोजित किया गया था। यह कंपनी दुनिया भर के एथिकल हैकर्स को विभिन्न प्रतिष्ठित वेबसाइटों की कमजोरियों को ढूंढ़ने के लिए आमंत्रित करती है। नासा जैसी वैश्विक संस्थानों की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए ये ओपन चैलेंज विशेष रूप से महत्वपूर्ण माने जाते हैं। मृत्युंजय ने बताया, "मैंने इस चुनौती को स्वीकार किया और नासा की वेबसाइट पर रिसर्च शुरू की। लगभग 10 दिनों की गहन रिसर्च और पेन-टेस्टिंग के बाद, मैंने वेबसाइट के इंटरनल प्रोग्रामिंग में एक गड़बड़ी पाई। आम लोग इस गड़बड़ी को नहीं देख सकते, लेकिन एथिकल हैकर्स इसे समझ सकते हैं और इसे सुधार सकते हैं।"
बग बाउंड्री और रिसर्च का सफर
बग क्राउड के द्वारा इस ओपन चैलेंज को स्वीकारते हुए मृत्युंजय ने वेबसाइट की गहराई से जांच की। यह प्रक्रिया जिसे 'बग बाउंड्री' कहा जाता है, के तहत किसी वेबसाइट में संभावित खामियों को ढूंढ़ा जाता है ताकि ब्लैक हैट हैकर्स उनका फायदा न उठा सकें। रिसर्च के नौवें दिन मृत्युंजय ने नासा को अपनी पहली 18 पन्नों की रिपोर्ट सौंपी। हालांकि, नासा ने पहले इस रिपोर्ट को गड़बड़ी मानने से इंकार कर दिया और कहा कि इसमें किसी प्रकार का खतरा नहीं है। लेकिन मृत्युंजय ने हार नहीं मानी। उन्होंने अगले दिन पांच पन्नों की एक और विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जिसमें उन्होंने तकनीकी रूप से सारी समस्याओं को समझाया।
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नासा ने मानी गड़बड़ी और मिली अंतरराष्ट्रीय प्रशंसा
दूसरी रिपोर्ट मिलने के एक घंटे बाद ही नासा ने इस बग को स्वीकार किया और मृत्युंजय की खोज को महत्वपूर्ण माना। नासा ने मृत्युंजय से इस खोज को पब्लिक डोमेन में साझा करने की अनुमति मांगी। जिसे मृत्युंजय ने सहर्ष प्रदान किया। अब यह जानकारी सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध कराई जा रही है और इससे दुनिया भर के हैकर्स को प्रेरणा मिलेगी कि कैसे एक एथिकल हैकर किसी संस्था की सुरक्षा को मजबूत बना सकता है।
बधाई और अंतरराष्ट्रीय पहचान
नासा के साथ-साथ बीएचयू के अटल इंक्यूबेशन सेंटर के डायरेक्टर प्रोफेसर पी.वी. राजीव ने भी मृत्युंजय सिंह को इस बड़ी उपलब्धि के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा, "मृत्युंजय की यह उपलब्धि न केवल बीएचयू, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व की बात है। इससे भारत के युवा इनोवेटर्स और एथिकल हैकर्स को प्रोत्साहन मिलेगा।"
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