बिहार से निकल कर पूरे देश में मनाया जाने वाला लोक आस्था एवं सूर्य उपासना का महापर्व काशी में बड़े धूमधाम से मनाया गया। काशी के चौरासी घाटों, वरुणा के तट कुंडों एवं लोग अपने घरों पर उदयगामी सूर्य यानी उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पूजा का संपन्न किया।
Varanasi News : उदयगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के साथ छठ पूजा संपन्न, चौकस रही सुरक्षा...
Nov 08, 2024 11:02
Nov 08, 2024 11:02
त्रेता में श्रीराम सीता ने किया था व्रत
नहाए खाए से शुरू हुआ लोक आस्था का पर्व शुक्रवार को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर संपन्न हो गया। चार दिनों तक चलने वाला ये पर्व संतान सुख, सुख-समृद्धि के लिए रखा जाने वाला पर्व है। जिसमे साक्षात भगवान अर्थात सूर्य की पूजा होती है। घाट पुरोहित ने बताया कि इस महाव्रत को सबसे पहले सतयुग में श्रीराम-सीता ने किया था। महाभारत काल में कुंती ने सूर्य की आराधना की। द्रौपदी ने भी छठ पूजा की थी।
ये हैं मान्यताएं
इस पर्व को मनाने के पीछे कई कारण और मान्यताएं हैं। छठ देवी सूर्य देव की बहन हैं। उन्हीं को प्रसन्न करने के लिए जीवन के महत्वपूर्ण अवयवों में सूर्य व जल की महत्ता को मानते हुए, इन्हें साक्षी मान कर भगवान सूर्य की आराधना कर तथा उनका धन्यवाद करते हैं। मां गंगा-यमुना या किसी भी पवित्र नदी या पोखर (तालाब) के किनारे यह पूजा की जाती है। इन सब मान्यताओं के साथ लोगों का विश्वास भी है, जो इस पर्व को और भी बड़ा बना देता है।
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