गाजीपुर से समाजवादी पार्टी के सांसद अफजाल अंसारी ने गुरुवार को शिक्षा मंत्रालय की अनुदान मांगों पर चर्चा के दौरान सरकार को जमकर आड़े हाथों लिया। उन्होंने बजट में एससी-एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक समुदायों के लिए की गई कटौतियों पर चिंता व्यक्त की
शिक्षा व्यवस्था पर अफजाल अंसारी ने उठाए सवाल : बोले- 'गरीब सब बेचकर भी बच्चे को डॉक्टर नहीं बना सकता'
Aug 01, 2024 21:45
Aug 01, 2024 21:45
- शिक्षा व्यवस्था पर संसद में हुई चर्चा
- अफजाल अंसारी ने सरकार को घेरा
- बजट में कटौती पर सरकार पर साधा निशाना
बजट में कटौती पर सरकार को घेरा
अफजाल अंसारी ने कहा कि एससी-एसटी और ओबीसी के लिए बजट में वृद्धि की आवश्यकता थी, लेकिन इसके उलट बजट में भारी कटौती की गई है। उन्होंने विशेष रूप से डॉक्टर भीमराव आंबेडकर फाउंडेशन के बजट में कटौती की निंदा की, जो पहले 40 करोड़ था और अब घटकर 30 करोड़ कर दिया गया है। इसके अलावा, अल्पसंख्यकों की शिक्षा के लिए भी बजट में कमी की गई है, जबकि इसमें बढ़ोतरी की जरूरत थी। अफजाल ने बताया कि एससी-एसटी और ओबीसी के लिए मुफ्त कोचिंग के बजट को 47 करोड़ से घटाकर 35 करोड़ कर दिया गया है। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भी एससी-एसटी के लिए पहले 111 करोड़ का प्रावधान था, जिसे कम कर दिया गया है। इस पर अफजाल ने तंज करते हुए कहा कि यह सरकार की घातक मानसिकता को दर्शाता है, जो शिक्षा के प्रति उसकी प्रतिबद्धता की कमी को उजागर करता है।
शिक्षा व्यवस्था पर खड़े किए सवाल
समाजवादी पार्टी के सांसद ने दोहरी शिक्षा प्रणाली की भी आलोचना की, जिसमें एक ओर सरकारी स्कूलों में गरीब बच्चों को क, ख, ग सिखाया जाता है, जबकि दूसरी ओर कॉन्वेंट स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा दी जाती है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की बुनियाद कमजोर रहती है, जो आगे चलकर उनकी सफलता में बाधा बनती है। अफजाल अंसारी ने शिक्षा के क्षेत्र में प्राइवेट स्कूलों की बढ़ती भूमिका की भी आलोचना की और कहा कि गरीब परिवारों के लिए प्राइवेट स्कूलों की शिक्षा का खर्चा वहन करना असंभव है। उन्होंने बताया कि गरीब परिवार अपने बच्चों को डॉक्टर या अन्य उच्च पेशेवरों में नहीं बदल सकते क्योंकि उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की सुविधा नहीं मिल पाती है।
शायरी पढ़कर किया सरकार पर तंज
उन्होंने शिक्षा की दोहरी प्रणाली को समाप्त करने की आवश्यकता पर जोर दिया और सरकार से अपेक्षा की कि वह एससी-एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यकों के लिए पहले से दी जा रही सुविधाओं में कटौती को रोके। अफजाल ने यह भी कहा कि इन समुदायों के लिए बजट में कटौती से स्पष्ट होता है कि सरकार जानबूझकर इन वर्गों के प्रति भेदभाव कर रही है। अफजाल अंसारी ने अपने संबोधन के अंत में शायरी के माध्यम से सरकार पर तंज किया और कहा, "पत्थर के जिगर वालों, गम में वो रवानी है, खुद राह बना लेगा बहता हुआ पानी है... कमजोर की आहों को, मजलूम की आहों को, कमजोर समझ लेना, अब जालिम हुकूमत के जाने की निशानी है।" इस शायरी के जरिए उन्होंने सरकार की शिक्षा नीतियों की आलोचना की और जनसामान्य को सरकार के खिलाफ जागरूक किया।
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