यह जानकारी गाजीपुर के सिविल बार एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष गोपाल लाल श्रीवास्तव ने दी। उनके अनुसार, यह कार्रवाई लियाकत अली द्वारा किए गए हालिया विवाद के कारण की गई है...
मुख्तार अंसारी के वकील पर गिरी गाज : सिविल बार एसोसिएशन से लियाकत अली की सदस्यता रद, इस मामले में हुई कार्रवाई
Oct 10, 2024 14:52
Oct 10, 2024 14:52
इस मामले में हुई कार्रवाई
दरअसल, 6 अक्टूबर को सदर कोतवाली के शिवपुरी कालोनी में लियाकत अली के बेटे और एक स्थानीय युवक के बीच गाड़ी हटाने को लेकर कहासुनी हुई। इस झगड़े के बाद लियाकत अली के बेटे ने युवक की पिटाई की। जिसके बाद, वकील सत्येंद्र यादव और अन्य लोग लियाकत अली के घर पहुंचे, जहां हाथापाई हुई। लियाकत अली ने इस घटना का वीडियो मीडिया को भी जारी किया, जिसमें उन्होंने कहा कि अगर उनकी गलती हुई तो इसके लिए सिविल बार एसोसिएशन के अध्यक्ष जिम्मेदार होंगे।
डीएम और एसपी को सौंपा पत्र
वहीं इस घटना के बाद, लियाकत अली ने 8 अक्टूबर को गाजीपुर के डीएम और एसपी को एक पत्र सौंपा। उन्होंने हाथापाई के मामले में सत्येंद्र यादव और अन्य के खिलाफ भी कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया। इन सभी घटनाओं को ध्यान में रखते हुए, लियाकत अली और सत्येंद्र यादव के खिलाफ एक प्रस्ताव सिविल बार एसोसिएशन की कमेटी के समक्ष रखा गया।
पहले से दर्ज हैं कई मुकदमे
वहीं अधिवक्ताओं ने लियाकत अली के खिलाफ इस प्रस्ताव का समर्थन किया, जिसके चलते उनकी आजीवन सदस्यता रद्द कर दी गई। इसके साथ ही, उनका नाम एसोसिएशन के रजिस्टर से हटाकर लाल कलम से रेखांकित किया गया। गोपाल लाल ने यह भी बताया कि लियाकत अली का विवादों से पुराना नाता रहा है और वे पहले भी कई अधिवक्ताओं के साथ मारपीट कर चुके हैं, जिनके खिलाफ पहले से मुकदमे दर्ज हैं।
मुख्तार अंसारी के वकील के रूप में है पहचान
लियाकत अली का नाम गाजीपुर में 15 जुलाई 2001 के उसरी चट्टी कांड से भी जुड़ा हुआ है, जहां वे मुख्तार अंसारी के वकील के रूप में जाने जाते थे। उनके अन्य मामलों में भी लियाकत अली ने मुख्तार अंसारी की पैरवी की थी, जिससे उनका नाम इलाके में चर्चित रहा है।
पांच बार विधायक बने माफिया मुख्तार अंसारी
मुख्तार अंसारी ने माफिया से राजनीति में कदम रखा और मऊ से पांच बार विधायक बनने का रिकॉर्ड बनाया। मुख्तार अंसारी ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के उम्मीदवार के रूप में की और अपना पहला विधानसभा चुनाव जीता। जिसके बाद, अंसारी ने 2009 में लोकसभा चुनाव लड़ने की कोशिश की, लेकिन हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद, 2010 में मुख्तार अंसारी पर आपराधिक गतिविधियों के आरोपों के कारण बसपा से निष्कासित कर दिया गया। अंसारी ने अपने भाइयों के साथ मिलकर कौमी एकता दल का गठन किया, जो 2017 में बसपा के साथ विलय हो गया, जिससे वह फिर से विधानसभा में निर्वाचित हुए।
मौत के बाद परिजनों ने लगाया आरोप
मुख्तार अंसारी की मौत 28 मार्च, 2024 को बांदा जेल में हुई। अंसारी ने मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। मृत्यु का कारण हार्ट अटैक बताया गया, लेकिन उनके परिजनों ने आरोप लगाया कि उन्हें जेल में धीमे जहर दिया गया था। हालांकि, पोस्टमार्टम और विसरा रिपोर्ट में जहर की कोई पुष्टि नहीं हुई, जिससे उनकी मृत्यु का कारण हार्ट अटैक ही ठहराया गया।
ऐसे हुई माफिया बनने की शुरुआत
मुख्तार अंसारी की आपराधिक पृष्ठभूमि की शुरुआत साल 1988 में हुई थी। जानकारी के अनुसार, उस साल, 25 अक्तूबर को आजमगढ़ में एक व्यक्ति ने अंसारी पर हत्या की कोशिश का आरोप लगाया था, लेकिन साल 2007 में उन्हें इस मामले में कोर्ट से बरी कर दिया गया। मुख्तार अंसारी के परिवार की पहचान एक राजनीतिक खानदान के रूप में रही है।