शारदीय नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा के दर्शन-पूजन का विधान है। माता चंद्राघंटा को भक्त नारियल, चुनरी, माला फूल एवं लाचीदाना चढ़ाकर मनचाही मनोकामना पूरी करते हैं। इस दौरान भक्तों ने घर परिवार में सुख समृद्धि की...
Varanasi News : नवरात्रि के तीसरे तीन मां चंद्राघंटा के दर्शन को उमड़े भक्त, जानें क्या हैं विशेषताएं...
Oct 05, 2024 13:25
Oct 05, 2024 13:25
भोर से ही लग गईं भक्तों की कतारें
वाराणसी के चौक स्थित प्राचीन माता चंद्रघंटा के मंदिर हैं। इसमें शनिवार भोर से मंगला आरती के बाद से ही भक्तों के लिए दर्शन-पूजन का सिलसिला शुरू हो गया। माता चंद्रघंटा का रंग स्वर्ण के समान चमकीला है। माता के तीन नेत्र और दस हाथ हैं। इनके कर-कमलों में गदा, बाण, धनुष, त्रिशूल, खड्ग, खप्पर, चक्र और अस्त्र-शस्त्र हैं। अग्नि जैसे वर्ण वाली, ज्ञान से जगमगाने वाली दीप्तिमान देवी हैं चंद्रघंटा।
प्रेतबाधा से भी रक्षा करती हैं माता
मां चंद्रघंटा की कृपा से साधक के समस्त पाप व बाधाएं ख़त्म हो जाती हैं। मां चंद्रघंटा की कृपा से साधक पराक्रमी व निर्भय हो जाता है। मां चंद्रघंटा प्रेतबाधा से भी रक्षा करती हैं, इनकी आराधना से वीरता-निर्भयता के साथ ही सौम्यता एवं विनम्रता का विकास होकर मुख, नेत्र तथा संपूर्ण काया का भी विकास होता है। मां चंद्रघंटा की उपासना से मनुष्य समस्त सांसारिक कष्टों से मुक्ति पाता है।
माता को लगाना चाहिए खीर का भोग
देवी चंद्रघंटा को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धालुओं को भूरे रंग के कपड़े पहनने चाहिए। मां चंद्रघंटा को अपना वाहन सिंह बहुत प्रिय है। इसके अलावा मां को सफेद चीज जैसे दूध या खीर का भोग लगाना चाहिए। इसके अलावा माता चंद्रघंटा को शहद का भोग भी लगाया जाता है।
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