तारीख पर तारीख और फिर सुसाइड : मौत के बाद अतुल सुभाष और पत्नी निकिता सिंघानिया के वकील साहेबान की भी सुनिए

मौत के बाद अतुल सुभाष और पत्नी निकिता सिंघानिया के वकील साहेबान की भी सुनिए
UPT | अतुल सुभाष और वकील दिनेश मिश्रा

Dec 11, 2024 17:35

अतुल ने यह भी लिखा कि पिछले दो सालों में 120 से ज़्यादा बार कोर्ट में पेश होने के बाद भी उन्हें न्याय नहीं मिला। अब इस मामले में अतुल और उनकी पत्नी निकिता सिंघानिया के वकीलों ने अपनी-अपनी राय रखी है।

Dec 11, 2024 17:35

Jaunpur News : कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में आत्महत्या करने वाले 34 वर्षीय इंजीनियर अतुल सुभाष का मामला गहराता जा रहा है। उनके सुसाइड नोट और वीडियो ने न्यायिक व्यवस्था और पारिवारिक विवादों पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। अतुल सुभाष लगातार कोर्ट से मिल रही तारीखों से परेशान थे। अतुल को दो साल में 120 से अधिक बार कोर्ट की तारीखों पर पेश होने के बाद भी उन्हें न्याय नहीं मिला। हालांकि अब इस मामले में अतुल और उनकी पत्नी निकिता सिंघानिया के वकीलों ने अपनी-अपनी राय रखी है।

तारीख पर तारीख
अतुल ने यह भी लिखा कि दो साल से उन्हें तारीख पर तारीख मिल रही थी। जिससे वह परेशान थे। पिछले दो सालों में 120 से ज़्यादा बार कोर्ट में पेश होने के बाद भी उन्हें न्याय नहीं मिला। अतुल ने खुलासा किया कि उनकी पत्नी ने शुरुआत में 1 करोड़ रुपए की मांग की थी, जो बाद में बढ़कर 3 करोड़ रुपए हो गई। इस आर्थिक और मानसिक दबाव ने उन्हें पूरी तरह से तोड़ दिया।

अतुल सुभाष के वकील का पक्ष
अतुल सुभाष के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल ने अपनी परेशानी को गलत तरीके से संभाला। उन्होंने बताया कि अतुल बेंगलुरु में एक प्रतिष्ठित कंपनी में काम करते थे और हर महीने ₹84,000 की अच्छी-खासी कमाई करते थे। उनकी पत्नी निकिता भी अच्छी आय अर्जित करती थीं। परिवार न्यायालय ने अतुल को उनके बच्चे के लिए ₹40,000 प्रति माह का भरण-पोषण देने का आदेश दिया था। यह राशि उनकी पत्नी के लिए नहीं, बल्कि उनके बेटे के लिए तय की गई थी। वकील ने कहा, "अगर अतुल को यह राशि ज्यादा लग रही थी, तो उन्हें इस आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील करनी चाहिए थी। आत्महत्या करना किसी भी समस्या का समाधान नहीं हो सकता।"

जौनपुर के वकील का बयान
जौनपुर में अतुल और निकिता के पारिवारिक विवाद का केस लड़ रहे वकील दिनेश मिश्रा ने भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि कोर्ट ने अपने फैसले में सभी तथ्यों को ध्यान में रखा था।अगर कोर्ट का आदेश गलत लगता था, तो इसके लिए अपील का रास्ता खुला था। अतुल के आत्महत्या करने के फैसले को दुखद और अनावश्यक कहा जा सकता है। मिश्रा ने आगे कहा कि अगर कोर्ट के बाहर किसी समझौते या दबाव की बात हुई है, तो इसके लिए अदालत को दोषी ठहराना गलत है।

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