सिकरारा पुलिस की ओर से 20 दिसंबर को आरोपी सौरभ कुमार पाल को हाफ एनकाउंटर के बाद गिरफ्तार करने की कार्रवाई सवालों के घेरे में आ गई है। जनपद पुलिस के इस एनकाउंटर पर कई पक्षों ने संदेह जताया है, जिससे मामले की जांच की मांग बढ़ रही है।
एनकाउंटर सवालों के घेरे में : पुलिस ने किया था हाफ एनकाउंटर के बाद गिरफ्तार करने का दावा, जांच टीम होगी गठित
Dec 24, 2024 19:23
Dec 24, 2024 19:23
आरोपी की पत्नी ने डीएम को प्रार्थना पत्र देकर 19 दिसंबर को दोपहर 1 बजे कलापुर के पास से उठाने का आरोप लगाया
आरोपी की पत्नी ने डीएम को प्रार्थना पत्र देकर आरोप लगाया कि उसके पति सौरभ पाल को 19 दिसंबर को दोपहर 1 बजे पुलिस ने कलापुर के पास से उठाया। पुलिस ने परिजनों को बताया कि पूछताछ के बाद छोड़ दिया जाएगा। दूसरे दिन पता चला कि सिकरारा पुलिस ने उसका एनकाउंटर कर दिया। परिजनों का आरोप है कि पुलिस द्वारा आरोपी सौरभ को उठाए जाने का सीसीटीवी फुटेज भी उनके पास है, जिससे पुलिस के दावों की पोल खुल रही है। सौरभ की मां ने डीएम से मामले की उच्चस्तरीय जांच कराकर इंसाफ दिलाने की मांग की।
अदालत ने भी पुलिस अधीक्षक को जांच टीम गठित करने का आदेश दिया
बता दें कि इसी मामले में एसीजेएम चतुर्थ की अदालत ने भी पुलिस अधीक्षक को जांच टीम गठित करने का आदेश दिया है। मंगलवार को डीएम कार्यालय पहुंची सौरभ कुमार पाल की मां ने दावा किया कि उनका बेटा 19 दिसंबर को जरूरी सामान लेने के लिए अपने गांव शेख अशरफपुर से एचएफ डिलक्स बाइक से कलापुर बाजार गया था, वहां से खुटहन थाने के लगभग दर्जन भर पुलिसकर्मी उसे जबरदस्ती उठा ले गये। थाना खुटहन ले जाते समय की फुटेज इमामपुर बाजार समेत खुटहन के कई सीसीटीवी कैमरों में कैद हुई है। मां ने दावा किया कि गांव के कुछ युवकों ने सौरभ को ले जाते समय खुटहन पुलिस को देखा था।
पीड़ित मां भी थाने पहुंची थी
पीड़ित मां ने कहा कि जब वो थाने पहुंची तो उसे बताया गया कि उसे पूछताछ के बाद छोड़ दिया जायेगा। शाम तक नहीं छोड़े जाने के बाद दूसरे दिन फिर पीड़िता थाने पहुंची तो पुलिस ने कुछ भी बताने से इनकार कर दिया। उसी दिन शाम को पता चला कि उनके बेटे का थाना सिकरारा की पुलिस ने भोर में ही चांदपुर नहर पुलिया के किनारे ले जाकर एनकाउंटर कर दिया और बाएं पैर में गोली मार दी।
बेटे को गिरफ्तार करने की कहानी फर्जी और झूठी है
आरोपी की मां का कहना है कि उसके बेटे को गिरफ्तार करने की कहानी फर्जी और झूठी है। उसने डीएम से अपील की कि पुलिस से जुड़े अधिकारियों की बजाय एक स्वतंत्र कमेटी बनाकर घटना की जांच कराई जाए ताकि उन्हें इंसाफ मिल सके। बताते चलें कि एसीजेएम चतुर्थ न्यायालय ने भी पुलिस एनकाउंटर पर सवालिया निशान लगाए थे। न्यायालय ने पाया था कि मुठभेड़ के दावे के बावजूद खाली कारतूस, बुलटप्रूफ जैकेट या ऐसा अन्य कोई साक्ष्य नहीं प्रस्तुत किया गया जिससे घटना संदेह के घेरे में है। अदालत ने जौनपुर पुलिस अधीक्षक को घटना के सम्बन्ध में जांच के लिए टीम गठित करने और तीन दिन के अंदर टीम गठित कर सूचना देने का आदेश दिया।
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