जौनपुर के गुलाब मौर्य के काम की खुशबू फैली : 22 वर्षों से जैविक खेती की अलख जगा रहा छोटा सा किसान, मिसाइल मैन अब्दुल कलाम ने की थी तारीफ

22 वर्षों से जैविक खेती की अलख जगा रहा छोटा सा किसान, मिसाइल मैन अब्दुल कलाम ने की थी तारीफ
UPT | किसान गुलाब मौर्या

Feb 25, 2024 15:31

सन 2001 से जैविक खेती से किसानों में अलख जगाने का कार्य कर रहे जनपद के किसान गुलाब मौर्या। पूरे भारत मे कई राज्यों के कृषि संस्थानों ने गुलाब मौर्या को उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित किया है।

Feb 25, 2024 15:31

Jaunpur News (Brijesh Mishra) : सन 2001 से जैविक खेती से किसानों में अलख जगाने का कार्य कर रहे जनपद के किसान गुलाब मौर्या। पूरे भारत मे कई राज्यों के कृषि संस्थानों ने गुलाब मौर्या को उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित किया है। पांच वर्ष पूर्व लखनऊ में लगी किसान प्रदर्शनी मेले से एक आलू चोरी करने वाले जिले के एक प्रगतिशील किसान ने उस आलू से हजारों रूपये कमा रहा है। इस आलू की कीमत बाजारों में तीस रूपये किलो से लेकर पचास रूपये तक है। यह आलू 20 प्रतिशत शुगर फ्री भी है तथा इसे कोल्ड स्टोर में रखने की जरूरत नही पड़ती है। इस बहुमूल्य आलू की प्रजाति का नाम नीलकण्ठ है। 

प्रदर्शनी में बनाया था आलू की खेती करने का मन
जिला मुख्यालय से 8 किलोमीटर दूर कादीपुर गांव के गुलाब मौर्य बताते है कि पांच वर्ष पूर्व यूपी की राजधानी लखनऊ में किसान प्रदर्शनी मेले का आयोजन किया गया था। इस मेले में प्रदेश भर के किसान अपने खेतों में उगायी गयी फल और सब्जियों की प्रदर्शनी लगाई थी। इसमें धर्मापुर ब्लाक के कादीपुर गांव के निवासी किसान गुलाब मौर्या भी अपने खेत में जैविक खाद से पैदा की गयी फल, सब्जी और मूली की प्रदर्शनी लगायी थी। गुलाब के स्टाल के बगल में ही पश्चिम जिले के एक किसान ने नीलकण्ठ प्रजाति की आलू का स्टॉल लगाया था। गुलाब ने उस किसान से इस आलू की खेती, फायदे समेत अन्य जानकारियां प्राप्त किया। उसके बाद गुलाब ने भी नीलकण्ठ आलू की खेती करने का मन बनाया। उन्होने उस किसान से इस आलू की बीज मांगा तो उसने देने से मना कर दिया,  गुलाब ने एक आलू की कीमत सौ रूपये लगाया उसके बाद भी उसने आलू बेचने से साफ इनकार कर दिया। जिसके कारण गुलाब की जिज्ञासा और बढ़ गई।

20 से 25 प्रतिशत शुगर फ्री होता है नीलकण्ठ आलू 
गुलाब ने बताया कि उसके बाद मैने अपने पांच अन्य साथियों की मदद से एक आलू चोरी कर घर ले आया। उस आलू का दो भाग करके बोया। इस दो भाग आलू से करीब डेढ़ किलों आलू पैदा हुआ। फिर डेढ़ किलों आलू खाने व बेचने के बजाय किसान गुलाब ने उसका बीज रखकर अगले वर्ष पुनः बो दिया। इस वर्ष 15 किलो आलू पैदा किया। अगले वर्ष फिर उससे करीब पचास किलो से अधिक आलू पैदा किया। किसान गुलाब मौर्या ने बताया अब पचास से साठ किलो आलू पैदा करते है। पैदा  हुए आलू को खाने के लिए तीस रूपये प्रति किलो तथा बीज से के लिए पचास रूपये प्रति किलो में बेचते है। गुलाब मौर्या ने बताया कि नीलकण्ठ आलू ऊपर से देखने में काला होता है। इसे कोल्ड स्टोर में रखने की जरूरत नही होती है। इसकी पैदावार अन्य आलू की प्रजातियों से अच्छी होती है। यह 20 से 25 प्रतिशत शुगर फ्री भी होता है।

गोबर और केचुआ से बनाते र्है जैविक खाद  
जैविक खेती के साथ ही किसान गुलाव मौर्या गोबर और केचुआ से जैविक खाद भी बनाते है। इस खाद को गुलाब छोटे व गरीब किसानों की बहुत कम दाम में बेचते है। गुलाब बताते है कि सन 2001 में वह 2500 रुपये का 400 केचुआ खरीदे थे और उन केचुओं से वह अब तक 10 लाख रुपये कमा चुके हैं। इस पूरे कार्य मे उनका परिवार उनका भरपूर साथ देता है। गुलाब मौर्या आज भी सिर्फ खेती से ही हर साल लाखों रुपये कमाते है।

2004-05 में हुई थी पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम से मुलाकात
गुलाब मौर्या बताते है कि 2004-05 में बक्सी तालाब में किसान प्रदर्शनी लगी थी। उसमें पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम भी आये थे। वह मेरे पास 10 मिनट तक बैठे थे। किसान गुलाब बताते है कि हमने उनसे पानी पीने के लिए पूछा, तो बोले आज हम जौनपुर का पानी पिएंगे। इस पर गुलाब मौर्या ने अपने बोतल से उनको पीने के लिए पानी दिया। उसके बाद गुलाब बताते है कि मेरे कार्यो को देखकर उन्होंने मेरा पीठ थपथपाई। गुलाब बताते है कि अब वह हज़ारों किसानों को प्रशिक्षित कर चुके है और आज भी कर रहे हैं।

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