वरुणा नदी के ऊपर एक विशाल एलिवेटेड फ्लाईओवर का निर्माण किया जाएगा। यह परियोजना शहर के यातायात को एक नई दिशा प्रदान करेगी। यह फ्लाईओवर करीब 15 किलोमीटर का होगा।
बदलता उत्तर प्रदेश : वाराणसी में पहली बार वरुणा नदी पर बनेगा एलिवेटेड फ्लाईओवर, ट्रैफिक जाम से मिलेगी राहत
Oct 25, 2024 17:43
Oct 25, 2024 17:43
दो लेन वाली एलिवेटेड सड़क का होगा निर्माण
इस परियोजना के तहत लगभग 15 किलोमीटर लंबी दो लेन वाली एलिवेटेड सड़क का निर्माण किया जाएगा। यह मार्ग चौकाघाट से प्रारंभ होकर रिंग रोड पर हरहुआ से होते हुए राजातालाब की ओर समाप्त होगा। इस परियोजना से न केवल स्थानीय यातायात को राहत मिलेगी बल्कि दिल्ली, लखनऊ, प्रयागराज, गोरखपुर तथा बिहार और पश्चिम बंगाल से आने वाले वाहनों को भी एक सुविधाजनक मार्ग प्राप्त होगा। मंडलायुक्त कौशलराज शर्मा के नेतृत्व में इस परियोजना को गति प्रदान की जा रही है। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) से विस्तृत परियोजना रिपोर्ट की मांग की है।
एलिवेटेड फ्लाईओवर की विशेषता
एलिवेटेड फ्लाईओवर की विशेषता यह है कि यह ग्रीनफील्ड होगा और वरुणा नदी के रिवर बेड पर निर्मित की जाएगी। जिससे पर्यावरणीय संतुलन बना रहेगा और बाढ़ जैसी आपदाओं के समय भी कोई समस्या उत्पन्न नहीं होगी। साथ ही काशी विश्वनाथ मंदिर, कैंट स्टेशन जैसे महत्वपूर्ण स्थलों तक पहुंचने में लोगों को यातायात जाम की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा। यह एलिवेटेड सड़क विशेष रूप से तीव्र गति वाले यातायात और लंबी दूरी की यात्राओं के लिए डिज़ाइन की जाएगी। इसका निर्माण गर्डर और डेक स्लैब से जुड़े पियर्स पर किया जाएगा, जो नीचे के यातायात को प्रभावित किए बिना ऊपरी स्तर पर सुगम आवागमन सुनिश्चित करेगा। इसके दोनों लेन एक तरफ होंगे या अलग-अलग दिशा में यह एनएचएआई के सर्वेक्षण के बाद ही तय किया जाएगा। इस परियोजना की लागत का अनुमान भी इसी सर्वे के बाद लगाया जाएगा और बजट के अनुसार ही निर्माण किया जाएगा।
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लिए जाएंगे पूर्व जनप्रतिनिधियों के सुझाव
परियोजना को जन-भागीदारी का रूप देने के लिए निर्माण से पूर्व जनप्रतिनिधियों के सुझाव भी लिए जाएंगे। प्राधिकरण ने परियोजना को देखते हुए विशेषज्ञ सलाहकारों की नियुक्ति का निर्णय लिया है। ये विशेषज्ञ न केवल तकनीकी पहलुओं का अध्ययन करेंगे बल्कि एलाइनमेंट, पुलों की संख्या, जंक्शन और लागत का भी विश्लेषण करेंगे। परियोजना का लक्ष्य है कि लगभग 50 प्रतिशत यातायात को इस नए मार्ग की ओर मोड़ा जा सके।
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