Varanasi News : संतान प्राप्ति की कामना लेकर लोलार्क कुंड पहुंचे श्रद्धालु, सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम

संतान प्राप्ति की कामना लेकर लोलार्क कुंड पहुंचे श्रद्धालु, सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम
UPT | लोलार्क कुंड मंदिर

Sep 10, 2024 00:14

लोलार्क कुंड में स्नान करने से निःसंतान दंपतियों को संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है। यह भी माना जाता है कि यहां स्नान करने से त्वचा रोगों से मुक्ति मिलती है। लोलार्क षष्ठी के दिन यहां विशाल मेले का आयोजन होता है...

Sep 10, 2024 00:14

Varanasi News : वाराणसी के भदैनी क्षेत्र में स्थित प्राचीन लोलार्क कुंड एक बार फिर श्रद्धालुओं के उत्साह और आस्था का केंद्र बन गया है। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर मनाए जाने वाले लोलार्क षष्ठी उत्सव के अवसर पर, लाखों श्रद्धालु इस पवित्र कुंड में स्नान करने के लिए एकत्र हो रहे हैं। यह स्नान 9 सितंबर की रात 12 बजे से शुरू होकर 24 घंटे तक चलेगा। यह आयोजन न केवल स्थानीय लोगों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि देश-विदेश से आने वाले भक्तों के लिए भी विशेष आकर्षण का केंद्र है।



लोलार्क कुंड की महिमा और मान्यताएं
लोलार्क कुंड से जुड़ी अनेक पौराणिक कथाएं और मान्यताएं हैं जो इसे विशेष महत्व प्रदान करती हैं। सबसे प्रचलित मान्यता यह है कि इस कुंड में स्नान करने से निःसंतान दंपतियों को संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है। इसके अलावा, यह माना जाता है कि यहां स्नान करने से त्वचा रोगों से मुक्ति मिलती है। इन मान्यताओं के कारण, लोलार्क षष्ठी के दिन यहां विशाल मेले का आयोजन होता है, जिसमें हजारों लोग भाग लेते हैं।

कुंड की ऐतिहासिक और वास्तुकला संबंधी विशेषताएं
लोलार्क कुंड की संरचना अपने आप में एक कलाकृति है। कुंड के चारों ओर पत्थर के बने कुएं  हैं, जिनके बीच एक प्रदक्षिणा पथ है। इतिहासकारों का मानना है कि इस संरचना को अहिल्याबाई होल्कर, अमृतराव और कूच बिहार के महाराजा ने बनवाया था। कुंड के एक ताक पर सूर्य देव का प्रतीक चक्र अंकित है, जो इसके सूर्य उपासना से संबंध को दर्शाता है।

धार्मिक महत्व और पौराणिक संदर्भ
लोलार्क कुंड का उल्लेख कई प्राचीन ग्रंथों में मिलता है, जिनमें स्कंद पुराण का काशी खंड, शिवरहस्य, सूर्य पुराण और काशी दर्शन प्रमुख हैं। इन ग्रंथों में इस स्थान की पवित्रता और महत्व का वर्णन किया गया है। यह माना जाता है कि लोलार्क कुंड सीधे गंगा नदी से जुड़ा हुआ है, जो इसे और भी पवित्र बनाता है।

उत्सव की तैयारियां और सुरक्षा व्यवस्था
इस वर्ष के लोलार्क षष्ठी उत्सव के लिए प्रशासन ने व्यापक तैयारियां की हैं। सुरक्षा के मद्देनजर, पुलिस और प्रशासन ने कड़े इंतजाम किए हैं। एडीसीपी नीतू कादयान के अनुसार, कुंड के आसपास के क्षेत्र में 14 निरीक्षक, 40 उपनिरीक्षक, 200 पुलिसकर्मी, 100 महिला पुलिसकर्मी, एक कंपनी पीएसी, और एक कंपनी पैरामिलिट्री फोर्स तैनात की गई है। इसके अलावा, किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए एनडीआरएफ की टीम भी मौजूद रहेगी।

यातायात प्रबंधन और मार्ग परिवर्तन
भारी भीड़ को देखते हुए, स्थानीय प्रशासन ने यातायात व्यवस्था को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए विस्तृत योजना तैयार की है। रविवार दोपहर 12 बजे से सोमवार रात 10 बजे तक विभिन्न मार्गों पर यातायात प्रतिबंध लागू रहेगा। हालांकि, आपातकालीन वाहनों जैसे एम्बुलेंस, फायर ब्रिगेड, और दिव्यांगजनों के वाहनों को इन प्रतिबंधों से छूट दी गई है।

इन मार्गों पर नहीं चलेंगे वाहन
• बैंक ऑफ बड़ौदा तिराहा से अस्सी चौराहा की तरफ वाहन नहीं जाएंगे। वाहनों को पद्मश्री चौराहा और रविदास गेट रोड की तरफ मोड़ा जाएगा।
• नगवां चौराहे से वाहन रविदास पार्क, अस्सी घाट की तरफ नहीं जा सकेंगे, ट्रामा सेंटर और रविदास गेट की तरफ डायवर्ट होंगे।
• पद्मश्री चौराहा और शिवाला मोड़ से वाहन अस्सी चौराहे की तरफ नहीं जा सकेंगे, ब्राडवे होटल और दुर्गाकुण्ड की तरफ डायवर्ट होंगे।
• ब्राडवे होटल से वाहन सोनारपुरा की तरफ नहीं जा सकेंगे, इन वाहनों को रवींद्रपुरी कालोनी रोड, विजया माल की तरफ मोड़ा जाएगा।
• सोनारपुरा से वाहन अस्सी चौराहा की तरफ नहीं जाने सकेंगे। वाहना को गोदौलिया चौराहा, ब्राडवे होटल की तरफ डायवर्ट किया जाएगा।

पार्किंग व्यवस्था
टाउन हॉल मैदागिन, हरिश्चन्द्र डिग्री कॉलेज के सामने खाली मैदान, नेशनल इंटर कॉलेज, क्वीन्स इण्टर कॉलेज  का मैदान, बेनिया पार्किंग, सनातम धर्म इंटर कॉलेज, गोदौलिया पार्किंग, मजदा पार्किंग, भेलूपुर थाने के पास सिनेमा हाल का मैदान, बाबा कीनाराम आश्रम से रामचन्द्र शुक्ल चौराहा तक रोड के दोनों तरफ

उत्सव का महत्व और सामाजिक प्रभाव
लोलार्क षष्ठी उत्सव केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह वाराणसी की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक भी है। यह त्योहार लोगों को एकजुट करने, परंपराओं को जीवंत रखने और आध्यात्मिक अनुभूति प्रदान करने का माध्यम बनता है। इसके अलावा, यह स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा देता है, क्योंकि हजारों श्रद्धालुओं के आगमन से होटल, रेस्तरां और स्थानीय व्यापारियों को लाभ होता है।

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