Varanasi News : काशी में लक्खा मेले की सात जुलाई से होगी शुरुआत, भगवान जगन्नाथ को 40 तरह की नानखटाई का लगेगा भोग

काशी में लक्खा मेले की सात जुलाई से होगी शुरुआत, भगवान जगन्नाथ को 40 तरह की नानखटाई का लगेगा भोग
UPT | नानखटाई

Jun 28, 2024 16:04

भगवान जगन्नाथ और भक्तों का अनूठा नाता है। सात जुलाई से लक्खा मेले की शुरुआत हो रही है। रथयात्रा मेले में भगवान जगन्नाथ के लिए भक्त तरह-तरह की नानखटाई भोग लगाने के लिए खरीदते हैं...

Jun 28, 2024 16:04

Short Highlights
  • सात जुलाई से लक्खे मेले की होगी शुरुआत
  • भगवान जगन्नाथ को 40 तरह की नानखटाई का लगेगा भोग
Varanasi News : रथयात्रा मेला, जो सात जुलाई से शुरू हो रहा है, विशेषता से भरा हुआ है। काशी के पहले तीन दिवसीय लक्खा मेला लगाया जाता है। भक्त इस अवसर पर भगवान जगन्नाथ को 40 से अधिक प्रकार की नानखटाई के भोग समर्पित करेंगे। इस प्रकार का भोग न केवल भगवान के प्रसाद के रूप में माना जाता है, बल्कि घरों में भी इसे प्रसाद के रूप में स्वीकार किया जाता है।

40 से ज्यादा फ्लेवर की बन रही नानखटाई
सात जुलाई से शुरू होने वाले रथयात्रा मेले में इस बार भगवान जगन्नाथ को 40 प्रकार से ज्यादा तरह की नानखटाई का भोग अर्पित किया जाएगा। हिंदू धर्म में देवी-देवता की पूजा करने के साथ भोग लगाने का भी विधान है। रथयात्रा का लक्खा मेला और नानखटाई का संबंध बहुत ही पुराना है। समय के साथ पारंपरिक नानखटाई भी आधुनिक हो चुकी है। रथयात्रा मेले में नारियल, काजू, पिस्ता के अलावा चॉकलेट, स्ट्राबेरी सहित करीब 40 से ज्यादा आकर्षक फ्लेवर की नानखटाई बनाई जा रही है। इसकी तैयारियां शुरू हो चुकी है। रथयात्रा के लक्खे मेले के बढ़ते आगाज़ के साथ-साथ, इस वर्ष के लिए भक्तों की उत्सुकता और व्यापारियों की उम्मीदें भी बढ़ गई हैं।

भगवान जगन्नाथ का पारंपरिक भोग
रथयात्रा मेले के दौरान, नानखटाई भगवान जगन्नाथ का पारंपरिक भोग (प्रसाद) है और इसे विशेष महत्व दिया जाता है। पूजा के दौरान अगर भगवान को भोग न लगे तो पूजा अधूरी मानी जाती है। यह नानखटाई रथयात्रा के तीन दिनों के मेले में विशेषता से चढ़ाई जाती है। वैसे तो नानखटाई पूरे साल मिलती है मगर रथयात्रा के मेले में इसका अलग ही महत्व होता है। 

भगवान विष्णु के अवतार हैं भगवान जगन्नाथ
सनातन धर्म में भगवान जगन्नाथ को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। जिनके नाम का अर्थ पूरे जगत के नाथ या फिर कहें ब्रह्मांड का स्वामी होता है। भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा काशीपुराधिपति की नगरी में हर साल निकलती है। रथयात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की प्रतिमाओं को रथ में बैठाकर नगर भ्रमण कराया जाता है।

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