पेरिस ओलंपिक में स्पेन को हराकर भारत ने हाकी में कांस्य पदक जीतकर पूरी दुनिया में नाम रोशन किया है। हॉकी टीम में स्ट्राइकर के रूप में वाराणसी के ललित उपाध्याय...
Varanasi News : काशी पहुंचे ओलंपिक खिलाड़ी ललित उपाध्याय, मां को पहनाया मेडल, काशी विश्वनाथ को किया समर्पित
Aug 11, 2024 19:27
Aug 11, 2024 19:27
शहर के तरफ निकला काफिला
वाराणसी के लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर रविवार पौने एक बजे के आसपास ओलंपियन खिलाड़ी ललित उपाध्याय पहुंचे। जहां पर हजारों की संख्या में ढोल नगाड़ों के साथ स्वागत किया। इसके बाद ललित उपाध्याय का काफिला शहर के तरफ निकला। जहां रास्ते भर उनका स्वागत किया गया।
ललित उपाध्याय ने भीड़ में काफिला रोक मां को पहनाया मेडल
ललित उपाध्याय का वाराणसी पहुंचने पर बाबतपुर एयरपोर्ट पर जबरदस्त तरीके से स्वागत किया गया। काफिला शिवपुर के क्षेत्र में पहुंचा तो रोड पर ललित को मां रीता उपाध्याय दिखाई दी। जिस पर काफिला रोक कर ललित ने मां को मेडल पहनाया और सबको मेडल दिखाया। इस दौरान ललित एवं मां रीता उपाध्याय भावुक नजर आई।
बाबा विश्वनाथ को किया मेडल समर्पित
ललित उपाध्याय इसके बाद बाबा श्री काशी विश्वनाथ के दर्शन करने पहुंचे। इस दौरान उनके साथ पिता, कोच भी शामिल थे। उन्होंने अपना मेडल बाबा को समर्पित किया। इसके लिए उन्होंने शासन व वाराणसी प्रशासन का धन्यवाद किया है। उन्होंने कहा कि मैं शासन और प्रशासन का धन्यवाद देना चाहूंगा। जिनकी अच्छी व्यवस्थाओं के कारण ही मैं अपना मेडल बाबा को समर्पित कर पाया।
दूसरी बार ओलंपिक में मेडल जीत कर घर वापस आया
ललित की मां रीता देवी ने बताया कि ललित लगातार दूसरी बार ओलंपिक में मेडल जीत कर घर वापस आया है, उसके लिए खास तैयारियां की गई है। घर में उसके पसंद के खाना बनाया गया है। उसकी भाभी ने स्पेशल सिक्रेट तैयारी की हैं। जो किसी से शेयर नहीं कर रही है। ललित की मां भावुक होते हुए बताया कि आज छोटे छोटे बच्चों को स्वागत के लिए खड़ा देखा तो ललित के बचपन के दिन याद आ गए। इसी तरह वो भी लोगों के स्वागत के लिए खड़ा रहता था। बाबा विश्वनाथ की कृपा एवं कड़ी मेहनत के बाद आज वो इस मुकाम पर पहुंच सका है।
"जो होई चला देखल जाई"
ललित उपाध्याय ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि ओलंपिक में लगातार दो बार मेडल जीतना बड़ी बात होती है। उन्होंने आगे कहा की एयरपोर्ट से लेकर घर तक जिस तरह से लोगों का प्यार मिला, मैं उसे नहीं भूल सकूंगा। ऐसे खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ता है। अब हॉकी को लोग देखने लगे हैं जो अच्छी बात है। पेरिस में बनारस को बहुत याद आती थी। यहां का जो अंदाज है "जो होई चला देखल जाई" ये मैच का टेंशन कम कर देता था।
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