बेहद हसीन वो शाम हो जाए जब... हर हिंदू में हो खुदा और मुस्लिम में राम नाम हो जाए। आदि लाटभैरव की रामलीला इस बार गंगा-जमुनी तहजीब की अद्भुत मिसाल बनी...
लाट भैरव रामलीला : गंगा-जमुनी तहजीब का अनूठा संगम, एक ही परिसर में अजान और रामायण के दोहा पढ़े
Oct 06, 2024 15:23
Oct 06, 2024 15:23
धार्मिक एकता का अद्भुत दृश्य
शनिवार शाम के समय 4:45 बजे रामलीला का आरंभ हुआ। इस दौरान चबूतरे के पूर्वी हिस्से में श्रीराम चरित मानस का दोहा "सीता चरन चोंच हति भागा" गूंज रहा था। वहीं दूसरी ओर ठीक पांच बजे चबूतरे के पश्चिमी हिस्से में पांचों वक्त के नमाजी अल्लाह को याद कर रहे थे। श्रीआदि लाट भैरव रामलीला के व्यास दयाशंकर त्रिपाठी जयंत को उसके संवाद बता रहे थे तो उधर इमाम हाफिज शाबान अली नमाज का क्रम आगे बढ़ा रहे थे। नमाज अदा करने से पहले और बाद में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने दर्शक के रूप में रामलीला देखी।
एकता का प्रतीक
लाटभैरव की रामलीला ने न केवल 481 वर्षों की परंपरा को जीवित रखा है बल्कि यह भी साबित किया कि विविधता में एकता ही भारतीय संस्कृति की पहचान है। लीला का मंचन लाटभैरव मंदिर-मस्जिद के बीच हो रहा है। जहां दोनों धर्मों के अनुयायी एक साथ इस अनूठे अनुभव का हिस्सा बने। नमाजी अपने धर्म के अनुसार नमाज अदा कर रहे हैं वहीं रामलीला के पात्र अपनी भूमिका निभा रहे हैं। लाटभैरव की रामलीला ने गंगा-जमुनी तहजीब को एक नई पहचान दी। शनिवार को हुई इस अद्भुत लीला ने सभी धर्मों के अनुयायियों को एक साथ लाकर एकता का संदेश दिया।
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