धर्म एवं अध्यात्म की नगरी काशी में विश्व प्रसिद्ध लक्खा मेला जगन्नाथ रथयात्रा मेला आज से प्रारंभ हो गया है। यह मेला जिस स्थान पर लगाया जाता है, उस स्थान का नाम ही रथ यात्रा है। यह मेला तीन दीन चलता है। भगवान जगन्नाथ बहन सुभद्रा भाई बलराम के साथ मिलकर काशी वासियों को दर्शन देते हैं।
काशी में जगन्नाथ रथयात्रा मेला : आज से शुरुआत, लाखों लोग होते हैं शामिल, जानिए तीन दिन का कार्यक्रम
Jul 07, 2024 18:17
Jul 07, 2024 18:17
1740 में बना था रथ
बता दें कि 1740 में बनकर तैयार हुआ रथ था। यह परंपरा लगभग 284 वर्ष पूर्व से चली आ रही है। तब से इस स्थान पर मेले का आयोजन किया जाता है। काशी ही नहीं बल्कि दूर से भी लोग भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने आते हैं। भगवान शिव की नगरी में उनके आराध्य भगवान जगन्नाथ पालन करता काशी वासियों को दर्शन देते है।
तीन दिन चलता है मेला
पुजारी राधेश्याम पांडेय ने बताया कि इस रथ का निर्माण 1740 में हुआ था। तब से लेकर अब तक यहां पर मेले का आयोजन किया जाता है। तीन दिनों तक यह मेल चलता है। पहले दिन भगवान को पीला वस्त्र पहनाया जाता है। अस्सी मंदिर से निकलकर भगवान रथ पर सवार होकर तीन दिनों तक यहां पर रहेंगे और सभी की मनोकामना पूर्ण करेंगे।
तीन दिन वस्त्र बदलेंगे भगवान जगन्नाथ
पुजारी राधेश्याम ने बताया कि आज सुबह मंगला आरती के साथ ही भगवान का दर्शन शुरू हुआ। आज भगवान ने पीले वस्त्र धारण किए हैं। दूसरे दिन भगवान लाल वस्त्र धारण करेंगे। मंगला आरती से लेकर चयन आरती तक किया जाएगा। तीसरे और आखिरी दिन भगवान सफेद वस्त्र धारण करेंगे। उस दिन बाबा विश्वनाथ की कृपा से भगवान जगन्नाथ सफेद वस्त्र धारण करेंगे और बेल के फूल से सिंगार किया जाएगा। शरण आरती के साथ मेला समाप्त हो जाएगा।
काशी सभी धर्मो संप्रदायों का केंद्र
शिवम अग्रहरी ने बताया काशी सभी धर्मो संप्रदायों का केंद्र है, यही वजह यहां पर दुर्गा पूजा होती है, रथ यात्रा मेला होता है, जो जगन्नाथ भगवान दर्शन देते हैं। एक तरफ उड़ीसा में भगवान जगन्नाथ रथ पर बैठे हैं तो वहीं काशी में भी इस परंपरा का निर्माण होता है। काशी में 33 कोटी देवी देवता विराजमान हैं।
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