काशी में स्थित महाबलेश्वर महादेव के दर्शन अब आम श्रद्धालुओं के लिए अधिक सुलभ होंगे। केंद्रीय ब्राह्मण महासभा और काशी की जनता की पहल पर वीडीए ने इस स्थान को चिन्हित करना शुरू कर दिया...
3 दशक बाद उजागर हुए महाबलेश्वर : श्रद्धालुओं के लिए दर्शन होंगे सुलभ, विश्वनाथ मंदिर को सौंपी जिम्मेदारी
Sep 14, 2024 17:12
Sep 14, 2024 17:12
वीडीए ने मोहल्ले में खुदाई कराई
सूरजकुंड मोहल्ले में पिछले तीस वर्षों से शनिदेव के रूप में पूजा जा रहे महाबलेश्वर महादेव के जीर्णोद्धार का कार्य आरंभ हो गया है। केंद्रीय ब्राह्मण महासभा के प्रदेश अध्यक्ष अजय शर्मा की पहल पर वीडीए ने मोहल्ले में खुदाई कराई, जिससे पता चला कि सात इंच का विग्रह जमीन में ढाई फीट से भी अधिक गहराई पर था। वर्तमान में महाबलेश्वर महादेव का तीन फीट ऊंचा विग्रह अब प्रकट हो चुका है। स्थानीय लोग पिछले तीन दशकों से इस विग्रह को शनिदेव मानकर उसकी पूजा कर रहे थे। अब मंदिर में शेड लगाने के साथ-साथ जीर्णोद्धार का काम भी शुरू हो गया है।
पूजन की व्यवस्था कराने का किया वादा
प्रदेश अध्यक्ष ने विधायक डॉ. नीलकंठ तिवारी, मेयर अशोक तिवारी, पीएमओ, और न्यास अध्यक्ष प्रो. नागेंद्र पांडेय को पत्र सौंपकर महाबलेश्वर महादेव का वैदिक पूजन शुरू कराने की अपील की है। विधायक डॉ. नीलकंठ तिवारी ने विधायक निधि से मंदिर के सौंदर्यीकरण का आश्वासन दिया है। वहीं, न्यास अध्यक्ष प्रो. नागेंद्र पांडेय ने न्यास की ओर से महाबलेश्वर महादेव के वैदिक पूजन की व्यवस्था कराने का वादा किया है।
30 साल बाद उजागर हुआ महाबलेश्वर
काशी में स्वयंभू प्राकट्य महाबल लिंग मुखलिंग है। तीन दशक से भी अधिक समय से नाम अज्ञात होने के कारण और मुखलिंग होने के कारण अज्ञानवश इन्हें शनि के रूप में पूजा जाने लगा। सिंदूर का लेपन कर क्षेत्र निवासी तेल चढ़ाने लगे। आज भी लोग उन्हें शनिदेव ही कहते हैं। खोदाई के बाद जब महाबलेश्वर महादेव का स्वरूप सामने आया है तो स्थानीय लोग भी आश्चर्यचकित हैं। स्कंद पुराण में महाबलेश्वर महादेव के सांबादित्य के पास होने के प्रमाण मिलते हैं। यह काशी के 68 आयतन देवताओं की तरह ही गोकर्ण से काशी आए थे।
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