आगरा के दीयों से जगमगाएगी अयोध्या : 25 लाख दीपों के लक्ष्य से कुम्हारों के घरों में रौनक, माटी कला को मिला नया जीवन

25 लाख दीपों के लक्ष्य से कुम्हारों के घरों में रौनक, माटी कला को मिला नया जीवन
UPT | दीये बनाता कुम्हार

Oct 19, 2024 10:39

अयोध्या में इस साल दिवाली के अवसर पर 25 लाख दीप जलाने का लक्ष्य रखा गया है। जो इस पर्व को एक अद्वितीय और भव्य आयोजन बनाने की तैयारी का हिस्सा है। इस योजना ने आगरा के कुम्हारों की आर्थिक...

Oct 19, 2024 10:39

Agra News : अयोध्या में इस साल दिवाली के अवसर पर 25 लाख दीप जलाने का लक्ष्य रखा गया है। जो इस पर्व को एक अद्वितीय और भव्य आयोजन बनाने की तैयारी का हिस्सा है। इस योजना ने आगरा के कुम्हारों की आर्थिक स्थिति में एक नई ऊर्जा का संचार किया है। क्योंकि सरकार ने इन कुम्हारों से लाखों की संख्या में मिट्टी के दीपक बनवाने का ऑर्डर दिया है।

कुम्हारों के लिए नई संभावनाएं
आगरा के मोती कटरा क्षेत्र में रहने वाले कुंभकार मोहन लाल का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों से अयोध्या के दीपोत्सव के लिए मिट्टी के दीयों का बड़ा ऑर्डर मिलता रहा है, लेकिन इस वर्ष की मांग और भी अधिक है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2021 में उन्हें अयोध्या से लगभग एक लाख दीयों का ऑर्डर मिला था और यह संख्या 2023 तक दो लाख तक पहुंच गई। इस साल 2024 में यह ऑर्डर और भी बड़ा है। जो इस पारंपरिक कला को पुनर्जीवित करने में मददगार साबित हो रहा है। कुंभकार मोहन लाल ने कहा, "योगी सरकार माटी कला को प्रोत्साहन दे रही है। इससे न केवल हमारे जैसे कुम्हारों को काम मिल रहा है, बल्कि मिट्टी के बर्तनों और दीयों की मांग में भी इजाफा हो रहा है। एक समय पर जो कला धीरे-धीरे विलुप्त हो रही थी अब उसमें नई उम्मीद और ऊर्जा आई है।"


मिट्टी के दीयों की बढ़ती मांग
पंचकुइया के शिल्पकार राम किशन का कहना है कि पहले दिवाली के समय चीन में बने सस्ते दीयों का बाजार पर वर्चस्व था। इन दीपों की चमक और आधुनिक डिज़ाइन ने बाजार में तेजी से जगह बनाई थी। जिससे पारंपरिक कुम्हारों का काम कम हो गया था। लेकिन अब समय बदल गया है। "सरकार द्वारा मिट्टी के दीपों को प्रोत्साहन देने से उनकी मांग में काफी वृद्धि हुई है। चीन के उत्पादों की जगह अब फिर से हमारे दीयों का बोलबाला है," राम किशन ने गर्व से कहा।

सिंगल-यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध का प्रभाव
मिट्टी के दीयों के साथ-साथ अन्य मिट्टी के बर्तनों की मांग में भी वृद्धि हुई है। उत्तर प्रदेश में सिंगल-यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने के बाद से चाय, कॉफी और पानी के लिए मिट्टी के कुल्हड़ का उपयोग तेजी से बढ़ा है। इससे कुम्हारों और शिल्पकारों को रोजगार के नए अवसर मिले हैं। पहले जहां प्लास्टिक के कप और गिलास का उपयोग होता था। अब वहाँ पर्यावरण के अनुकूल मिट्टी के कुल्हड़ प्रयोग में लाए जा रहे हैं। इससे न केवल पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिला है बल्कि पारंपरिक माटी कला भी फिर से जीवित हो रही है।

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माटी कला को सरकार का समर्थन
योगी आदित्यनाथ की सरकार ने माटी कला को पुनर्जीवित करने के लिए कई योजनाएं और नीतियां लागू की हैं। इससे कुम्हारों को अपनी कला को जीवित रखने का अवसर मिल रहा है। मिट्टी के दीपक, बर्तन, कुल्हड़ और अन्य उत्पादों की मांग न केवल राज्य के भीतर बल्कि अन्य राज्यों और देशों में भी बढ़ रही है। यह पहल उन कारीगरों को नई दिशा दे रही है। जिनकी आजीविका धीरे-धीरे समाप्त होने की कगार पर थी।

अयोध्या के दीपोत्सव से एक नई रोशनी
अयोध्या में दीपोत्सव 2024 की तैयारी जोरों पर है। इस आयोजन में 25 लाख दीप जलाए जाने का लक्ष्य रखा गया है। जिससे अयोध्या की रात रोशनी से जगमगा उठेगी। यह दीपोत्सव न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह देश के कुम्हारों और शिल्पकारों के लिए भी आर्थिक समृद्धि का प्रतीक बन गया है। मिट्टी के दीयों की विशाल मांग ने इस पारंपरिक कला को एक नया जीवन दिया है और आगरा के कुम्हारों के चेहरे पर फिर से मुस्कान लौटी है।

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