महिला अपराध के बीच में एसिड अटैक के भी मामले बड़ी संख्या में बढ़ते दिखाई दिए हैं, एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार प्रतिवर्ष औसतन करीब 250 केस सामने ऐसे आ रहे हैं जिनमें महिलाओं पर एसिड अटैक किया जा रहे हैं..
UPT Sunday Special : दो युवाओं ने कैसे बदली एसिड अटैक सर्वाइवर्स की जिंदगी, छांव फाउंडेशन को बनाया वटवृक्ष...
Dec 08, 2024 17:30
Dec 08, 2024 17:30
कैफे के 10 साल पूरे हुए
आगरा के ताजगंज क्षेत्र में आज रविवार को शिराज हैंगआउट कैफे अपने 10 साल पूरे कर रहा है। यही नहीं आगरा के बाद आशीष और आलोक ने ऐसी एसिड अटैक सर्वाइवर्स के लिए आगरा से आगे निकल कर नोएडा और लखनऊ में भी अपने कदम रखे, जहां उनका साथ बाद में नोएडा अथॉरिटी की तत्कालीन सीईओ रितु महेश्वरी और प्रमुख अखिलेश यादव ने लखनऊ में साथ दिया।
इन राज्यों में भी है कैफे
शिराज हैंगआउट कैफे की 2014 में आधार शिला रखने के बाद आलोक दीक्षित और आशीष शुक्ला ने छांव फाउंडेशन की नींव रखी। जो वर्तमान में उत्तर प्रदेश के साथ-साथ उड़ीसा, बिहार और पश्चिम बंगाल में काम कर के रही है। उत्तर प्रदेश टाइम्स से विशेष बातचीत में श्याम फाउंडेशन के फाउंडर आशीष शुक्ला ने बताया कि 2013 तक एसिड अटैक सर्वाइवर्स के लिए कोई क़ानून नहीं था, महिलाओं पर ऐसिड अटैक फेंकने वाले पुलिस से आराम से बचकर निकल जाते थे। आज ऐसे अपराधियों के खिलाफ कड़ा क़ानून है। आशीष आगे कहते हैं कि 2013 में बर्न सर्वाइवर्स के लिए आंदोलन खड़ा किया तब हमने सोचा नहीं था कि हम यहां तक पहुंच जाएंगे, लेकिन हमें सहयोग मिलता गया और कारवां बढ़ता गया। आशीष ने कहा कि आज उत्तर प्रदेश में ही कम से कम 100 एसिड अटैक सर्वाइवर्स हमारे साथ जुड़ी है जो कि आत्मनिर्भरता की तरफ बढ़ रही हैं। हमारा उद्देश्य इन सभी को आत्मनिर्भर बनाना है, जिसमें हम अभी तक कामयाब हुए हैं। हम इन सभी एसिड अटैक सर्वाइवर्स को बाकायदा ट्रेनिंग देते हैं। आगरा लखनऊ और नोएडा में ट्रेनिंग सेंटर हैं।
आत्मनिर्भरता की तरफ बढ़ रही सर्वाइवर्स
आशीष ने बताया कि बिहार में करीब 25, पश्चिम बंगाल में और उड़ीसा में भी 25-25 ऐसी एसिड अटैक सर्वाइवर्स हमारे साथ जुड़ कर आत्मनिर्भरता की तरफ बढ़ रही हैं। छाँव फाउंडेशन के को-फाउंडर आशीष शुक्ल कहते हैं कि इन सभी एसिड अटैक सर्वाइवर्स को हम लोग आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ इनमें दुनिया से लड़ने का हौसला भी दे रहे हैं। यही नहीं जिन लोगों ने उनके ऊपर एसिड अटैक किए हैं, उनको सजा दिलाना भी हमारा मकसद है। इसके साथ ही इनके ट्रीटमेंट के भी प्रयास हमारे द्वारा किए जा रहे हैं। एसिड अटैक सर्वाइवर्स का चेहरा ही नहीं झुलसता बल्कि कई महिलाओं और पुरुषों की आँखें भी चली जाती हैं, इसके लिए हमने दिल्ली के शंकर नेत्रालय एवं एम्स से भी टाईअप किया हुआ है। दोनों ही जगह हमारे द्वारा भेजे गए रोगियों को प्राथमिकता दी जाती है।
एनजीओ भी जुड़ा है शिराज हैंगआउट कैफे
आशीष शुक्ल कहते हैं कि शिराज हैंगआउट कैफे और छांव फाउंडेशन एस्टेब्लिश हो चुका है। छांव फाउंडेशन के बैनर तले हम लोग अन्य एसिड अटैक सरवाइवर्स को किस तरीके से आत्मनिर्भर बना सकते हैं, इसके लिए प्रयास किया जा रहा है। हमारे इस अभियान में सरकार अपनी नीतियों के अनुसार सहयोग कर रही है तो वहीं कई एनजीओ भी हमसे जुड़े हैं, जो हमें सहयोग दे रहे हैं।
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