गुरुवार को भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के नेतृत्व में सैकड़ों किसानों ने जिला मुख्यालय पर जोरदार प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन डीएपी (डाय-अमोनियम फॉस्फेट) की काला बाजारी और किसानों को इसकी किल्लत का सामना करने के विरोध में किया गया।
Agra News : डीएपी की किल्लत पर भाकियू का जोरदार प्रदर्शन, जिला प्रशासन को सौंपा ज्ञापन
Nov 21, 2024 18:30
Nov 21, 2024 18:30
काला बाजारी का आरोप, कीमत में हो रही भारी वृद्धि
भारतीय किसान यूनियन के नेता राजवीर लवनिया ने प्रदर्शन के दौरान आरोप लगाया कि सहकारी समितियों में डीएपी की काला बाजारी खुलेआम हो रही है। उन्होंने कहा कि 1300 रुपये में मिलने वाले डीएपी के कट्टे को 1800 रुपये में बेचा जा रहा है, जिससे किसान बुरी तरह से प्रभावित हो रहे हैं। लवनिया का कहना था कि यह स्थिति किसानों के लिए बहुत ही कठिनाई भरी है और अगर प्रशासन ने जल्द से जल्द इस पर काबू नहीं पाया, तो किसान आंदोलन करने पर मजबूर हो जाएंगे।
फसल बर्बादी का खतरा और किसान परिवारों की परेशानियां
लवनिया ने बताया कि कई किसानों के घर में शादी-ब्याह जैसे महत्वपूर्ण आयोजन हो रहे हैं, फिर भी वे डीएपी की किल्लत के कारण सहकारी समितियों में लंबी कतारों में खड़े होने के लिए मजबूर हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि डीएपी की अनुपलब्धता किसानों के लिए बड़ी चिंता का विषय है क्योंकि समय पर खाद न मिलने से फसलें बर्बाद हो सकती हैं। लवनिया ने यह भी उल्लेख किया कि कुछ किसानों के घर में हाल ही में निधन होने के बावजूद वे डीएपी के लिए संघर्ष कर रहे हैं, जिससे उनकी परेशानियां और बढ़ गई हैं।
आंदोलन की चेतावनी, समाधान की मांग
भारतीय किसान यूनियन के नेताओं ने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपते हुए डीएपी की उपलब्धता सुनिश्चित करने की मांग की। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि समस्या का समाधान नहीं हुआ तो जिले के किसान व्यापक स्तर पर आंदोलन करेंगे और जिला मुख्यालय पर धरना देंगे। लवनिया ने कहा कि अभी तो केवल ज्ञापन देकर प्रशासन को स्थिति से अवगत कराया गया है, लेकिन आने वाले दिनों में स्थिति और गंभीर हो सकती है।
किसानों की एकजुटता, डीएपी की मांग पर अड़े
प्रदर्शन के दौरान किसानों की एकजुटता साफ दिखाई दी। वे अपनी फसलों की सुरक्षा और डीएपी की उपलब्धता के लिए संघर्ष करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। किसानों का कहना है कि कृषि उनके जीवन का आधार है, और डीएपी की किल्लत उनके लिए बड़ी चुनौती है। भारतीय किसान यूनियन ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि किसानों की समस्याओं का समाधान समय पर नहीं हुआ, तो प्रशासन को किसानों के गुस्से का सामना करना पड़ेगा।
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