ताज नगरी में ट्रैफिक की चरमराती व्यवस्था किसी से छुपी हुई नहीं है। यातायात की इस अव्यवस्था का प्रमुख कारण आगरा में बढ़ते ऑटो भी हैं। शहर से लेकर देहात तक बढ़ते ई-रिक्शा की संख्या अब आगरा पुलिस के साथ-साथ सीएनजी...
Agra News : शहर में ट्रैफिक की शक्ल बिगाड़ रहे ई-रिक्शा, ऑटो के लिए भी मुसीबत, अब छेड़ा ये अभियान...
Oct 24, 2024 16:45
Oct 24, 2024 16:45
क्या कहते हैं ऑटो यूनियन के अध्यक्ष
सीएनजी ऑटो यूनियन के अध्यक्ष मुकेश सिंह ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि शहर में 2012 में करीब 7200 ऑटो को परमिट दिए गए थे। आज 12 साल पूर्ण होने पर भी उनकी संख्या उतनी ही है, आरटीओ द्वारा नए परमिट नहीं दिए गए। इसका मुख्य कारण ट्रैफिक की समस्या के साथ-साथ शहर में बढ़ती जाम की समस्या रही है। उधर, शहर में 19000 से अधिक ई-रिक्शा के रजिस्ट्रेशन किए गए हैं, जिसके चलते आज शहर में जाम की समस्या बनी हुई है। आज हर शहरी इस जाम की समस्या से जूझ रहा है। इस समस्या का मूल कारण कुकुरमुत्तों की तरह बढ़ रही ई-रिक्शा हैं। ई-रिक्शा के रजिस्ट्रेशन तत्काल बंद होने चाहिए।
जाम की जड़ ई-रिक्शा
सीएनजी ऑटो यूनियन से जुड़े पार्षद सुनील कुमार चक का कहना है कि एक सीएनजी ऑटो से तीन परिवार जुड़े हुए हैं। जिसमें एक ऑटो स्वामी है, जबकि दो ऑटो चालक हैं। ऑटो चालक दिन में काम करता है और दूसरा ऑटो चालक रात में काम करता है। इस तरह एक सीएनजी ऑटो से तीन परिवार पल रहे हैं। इधर, सरकार और आगरा प्रशासन जिले में पढ़ रहे ई-रिक्शा को नियंत्रित करने के लिए कोई योजना नहीं ला रहा है, जिसका असर अब ताजनगरी की सड़कों पर दिखाई देने लगा है। आगरा की किसी भी सड़क पर आप निकल जाएं, आपको हर जगह जाम का झाम दिखाई देगा। आपको सिर्फ ई-रिक्शा दिखाई देंगे और यही जाम की सबसे बड़ी जड़ है।
ई-रिक्शा से अपराध का भी डर
सुनील कुमार चक ने कहा कि आज शहर और देहात में हजारों की संख्या में ई-रिक्शा चालक हैं, जिनके पास ना किसी भी तरीके का कोई ड्राइविंग लाइसेंस है, न ही कोई रजिस्ट्रेशन। ऐसे में ऐसे ई-रिक्शा से अपराध का भी डर रहता है, जबकि सीएनजी ऑटो चालकों का पूरा पंजीकरण होता है। हम लोग एकमुश्त रकम करीब 9000 रुपये सरकार को परमिट के रूप में देते हैं। इसके अलावा प्रतिवर्ष इंश्योरेंस के साथ-साथ हर 6 महीने में फिटनेस का प्रमाण पत्र भी लेना पड़ता है। जबकि ई-रिक्शा को किसी भी तरीके का कोई प्रमाण पत्र नहीं लेना पड़ता और न ही वह सरकार को कोई टैक्स अदा करते हैं। इन सबके बावजूद आज सीएनजी ऑटो चालकों के सामने रोजी-रोटी की बड़ी समस्या खड़ी हो गई है।
ई-रिक्शा डीलर उठा रहे बेरोजगारी का फायदा
पार्षद सुनील कुमार चक ने कहा के युवाओं के सामने आज सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी की है। इसी का फायदा ई-रिक्शा बेचने वाले डीलर उठा रहे हैं। उन्हें सरकार की योजनाओं की कोई जानकारी नहीं है। इधर-उधर से पैसा उधार लेकर डीलर को कुछ राशि देकर लोन पर ई-रिक्शा उठा लेते हैं, और धीरे-धीरे लोन की राशि अदा करते हैं। कोई किश्त छूट जाती है तो लोन के कर्मचारी गाड़ी को जबरन खींचकर ले जाते हैं। सरकार द्वारा ई-रिक्शा पर सब्सिडी दी जाती है, जो भोले भाले लोग जानते नहीं है, इसका फायदा डीलर उठाते हैं। आगरा प्रशासन, आरटीओ और सरकार को चाहिए कि ई-रिक्शा के पंजीकरण पर तत्काल रोक लगाई जाए, जिससे आगरा की ट्रैफिक व्यवस्था न बिगड़े और सीएनजी ऑटो चालकों की रोजी-रोटी पर कोई संकट न खड़ा हो।
28 को होगी अहम बैठक
सुनील कुमार चक और सीएनजी ऑटो यूनियन के अध्यक्ष मुकेश सिंह ने संयुक्त रूप से कहा कि 28 अक्टूबर को जिले के सभी सीएनजी ऑटो चालकों के साथ एक बैठक करने जा रहे हैं। बैठक में आगामी रणनीति तैयार की जाएगी। बैठक में जो भी सहमति के साथ निर्णय होगा, उसके अनुसार ही संघर्ष समिति काम करेगी।
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