आगरा से अच्छी खबर : आसमान से जमीन पर उतरा भीष्म हॉस्पिटल, जानें क्या है खास...

आसमान से जमीन पर उतरा भीष्म हॉस्पिटल, जानें क्या है खास...
UPT | पैराशूट के जरिये आसमान से उतर रहा पोर्टेबल हॉस्पिटल।

May 15, 2024 13:06

भारत कई मोर्चो पर दुश्मन से घिरा हुआ है। वह तो हमारी सेना का अदम्य साहस है कि दुश्मनों की हिम्मत नहीं कि वह भारतीय सरजमीं पर आने की हिमाकत भी कर सके। अगर कभी युद्ध की स्थिति बन...

May 15, 2024 13:06

Agra News : भारत कई मोर्चो पर दुश्मन से घिरा हुआ है। वह तो हमारी सेना का अदम्य साहस है कि दुश्मनों की हिम्मत नहीं कि वह भारतीय सरजमीं पर आने की हिमाकत भी कर सके। अगर कभी युद्ध की स्थिति बन जाए तो भारतीय सेना इसके लिए तैयार है। इस विकट स्थिति में सेना के जवानों को उपचार करने में सेना की मेडिकल टीम को बहुत परेशानी आती है, मेडिकल हेल्प नहीं पहुंच पाती है। भारतीय सेना को मेडिकल हेल्प पहुंचाने के लिए कई सस्थाएं लगातार प्रयास कर रहीं हैं। अब एक बड़ी सफलता हाथ लगी है। इसका ट्रायल आगरा में मलपुरा स्थिति ड्रॉप ज़ोन में सफलतापूर्वक किया गया। भारतीय वायुसेवा ने मलपुरा ड्रॉपिंग जोन में हवाई जहाज से पोर्टेबल हॉस्पिटल भीष्म को एयरड्राप किया। यह अपनी तरह का पहला ऐसा परीक्षण है, जिसमें एयरफोर्स में हॉस्पिटल क्यूब्स को नीचे गिराया। 

एक हजार फीट की ऊंचाई से जमीन पर उतारा
भारतीय वायुसेना ने मलपुरा ड्राॅपिंग जोन में पोर्टेबल अस्पताल भीष्म (भारत हेल्थ इनिशिएटिव फॉर सहयोग, हित एंड मैत्री) को एक हजार फीट की ऊंचाई से जमीन पर उतारने का सफल परीक्षण किया। एएन-32 विमान से पैराशूट की मदद से 720 किलो वजन के पोर्टेबल अस्पताल भीष्म को उतारा गया। इस सफल परीक्षण के बाद भीष्म अस्पताल को किसी भी दुर्गम जगह पर या प्राकृतिक आपदा के दौरान विमान या हेलिकॉप्टर की मदद से उतारकर महज 8 मिनट में इलाज शुरू किया जा सकता है।

पैराशूट से 720 किलो वजनी पोर्टेबल अस्पताल  उतारा
भारतीय वायुसेना का विमान एएन-32 पैराकमांडो की जगह भीष्म पोर्टेबल अस्पताल को लेकर मलपुरा ड्राॅपिंग जोन के ऊपर पहुंचा। पैराशूट की मदद से 720 किलो वजनी पोर्टेबल अस्पताल के क्यूब्स को जमीन पर उतारा गया। इसमें एडीआरडीई आगरा के डिजाइन किए गए पैराशूट की मदद ली गई। दो पैराशूट की मदद से यह विमान से बेहद आसानी से मलपुरा ड्रॉपिंग जोन पर उतर आया। प्रोजेक्ट भीष्म के तहत पूरी तरह से स्वदेशी पोर्टेबल अस्पताल को कहीं भी दुर्गम इलाके में उतारा जा सकता है। यह मजबूत, वाटरप्रूफ होने के साथ सोलर एनर्जी और बैटरी से चलता है।

पोर्टेबल अस्पताल 36 क्यूब्स में तैयार किया गया
बताते चलें कि भीष्म पोर्टेबल अस्पताल 36 क्यूब्स में तैयार किया गया है, जिसे बनाने में 1.50 करोड़ रुपये की लागत आई है। इसे एक्स-रे, खून की जांच, ऑपरेशन थियेटर, वेंटिलेटर की सुविधा के साथ महज 8 मिनट में शुरू किया जा सकता है। इसमें गोली लगने, जलन, सिर, रीढ़ की हड्डी और छाती की चोटें, फ्रैक्चर और प्रमुख रक्तस्राव सहित चोटों के इलाज की सुविधा रहेगी। इन सभी बॉक्स पर क्यूआर कोड लगाया गया है, जिस पर एक्सपाइरी डेट डाली गई है। आपदा के दौरान आम लोग भी इन बॉक्स को खोलकर जरूरी दवाएं और उपचार ले सकते हैं

प्राण पतिष्ठा के दौरान बनाए गए थे दो भीष्म
मलपुरा ड्रॉपिंग जोन में जिस क्यूब को उतारा गया, उसमें लोहे के तीन फ्रेम में 36 बॉक्स हैं, जिसमें अस्पताल का पूरा सामान मौजूद था। तीनों फ्रेम के बीच छोटा जनरेटर है और दो स्ट्रेचर लगे हुए हैं। यह ऑपरेशन थियेटर में बिस्तर का काम कर सकते हैं। मॉड्यूलर सेटअप के साथ इन बॉक्स में दवाएं, उपकरण, खाद्य सामग्री भी रहेगी। अयोध्या में भगवान श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान ऐसे दो भीष्म पोर्टेबल अस्पताल बनाए गए थे।

आपदाओं में देवदूत साबित होगा भीष्म
यहां बताना आवश्यक है कि प्रोजेक्ट भीष्म को स्वास्थ्य मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने संयुक्त रूप से विकसित किया है। भीष्म प्रोजेक्ट के तहत न केवल भारत में बल्कि विदेश में भी प्राकृतिक आपदाओं, मानवीय संकटों या शांति और युद्ध के समय में भी तेजी से तैनाती के लिए डिजाइन किया गया है। जिससे इस दौरान तत्काल चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराई जा सके। 

12 मिनट में तैयार हो जाते हैं क्यूब्स
अस्पताल में इस्तेमाल होने वाले क्यूब्स मात्र 12 मिनट में तैयार हो जाते हैं। इसमें मास्टर क्यूब कैज के दो सेट होते हैं, प्रत्येक में 36 मिनी क्यूब्स होते हैं। यह क्यूब्स बेहद मजबूत होने के साथ वाटर प्रूफ और बहुत ही हल्के होते हैं। मास्टर केज के भीतर प्रत्येक मिनी क्यूब को सर्वाधिक सावधानी पूर्वक पैक किया जाता है, जिससे खोलते समय कोई दिक्क़त न हो। इस क्यूब को दोबारा भी इस्तेमाल किया जा सकता है। 

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