दस साल बाद मिला लापता बुजुर्ग : परिवार छोड़ बन गए थे साधू, ऑपरेशन मुस्कान की सफलता

परिवार छोड़ बन गए थे साधू, ऑपरेशन मुस्कान की सफलता
UPT | गायब वृद्ध

Jul 25, 2024 20:41

मथुरा के राया क्षेत्र में एक अद्भुत घटना ने सभी को चकित कर दिया है। पुलिस के ऑपरेशन मुस्कान के तहत, दस वर्षों से लापता एक बुजुर्ग को उनके परिवार से मिलाया गया है।

Jul 25, 2024 20:41

Mathura News : मथुरा के राया क्षेत्र में एक अद्भुत घटना ने सभी को चकित कर दिया है। पुलिस के ऑपरेशन मुस्कान के तहत, दस वर्षों से लापता एक बुजुर्ग को उनके परिवार से मिलाया गया है। यह खबर न केवल उनके परिवार के लिए खुशी लेकर आई है, बल्कि पुलिस की कार्यक्षमता को भी दर्शाती है।

यह ही पूरा मामला
घटना की जड़ में हैं रमेशचंद्र तिवारी, जो गैंयरा गांव के निवासी हैं। 1 अक्टूबर 2014 को वे अचानक घर से गायब हो गए थे। परिवार ने उन्हें हर संभव जगह खोजा, रिश्तेदारों के यहां पता किया, लेकिन कहीं कोई सुराग नहीं मिला। आखिरकार, उनके बेटे बांकेलाल ने राया थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए विभिन्न थानों को सूचना भेजी, लेकिन लंबे समय तक कोई सफलता नहीं मिली। धीरे-धीरे परिवार ने भी उम्मीद खो दी और अपने दैनिक जीवन में व्यस्त हो गया। रमेशचंद्र के दो बेटे हैं, जिनकी शादियां हो चुकी हैं और परिवार की आर्थिक स्थिति भी सामान्य है।

ऑपरेशन मुस्कान की सफलता
लेकिन फिर ऑपरेशन मुस्कान ने एक नई उम्मीद जगाई। यह योजना खोए हुए या गुमशुदा लोगों को खोजने के लिए चलाई जा रही है। इसी के तहत राया पुलिस को एक महत्वपूर्ण सुराग मिला। पता चला कि रमेशचंद्र तिवारी काशी विश्वनाथ मंदिर में साधु के वेश में रह रहे थे। थाना प्रभारी अशोक कुमार ने बताया कि ऑपरेशन मुस्कान के तहत पूरे देश में पुलिस का एक व्हाट्सएप ग्रुप है। इस ग्रुप के माध्यम से उत्तर प्रदेश पुलिस और अन्य राज्यों की पुलिस मिलकर खोए हुए लोगों को तलाशती है। इसी नेटवर्क के जरिए रमेशचंद्र तिवारी का पता लगाया गया।



रमेशचंद्र से मिलकर परिवार हुआ भावुक
जैसे ही यह जानकारी मिली, राया पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की। उन्होंने रमेशचंद्र के बेटे को सूचित किया और पूरी स्थिति समझाई। इसके बाद, बुजुर्ग को उनके परिवार के सुपुर्द कर दिया गया। यह मिलन बेहद भावुक रहा, जहां दस साल के अंतराल के बाद परिवार फिर से एक हुआ। यह घटना ऑपरेशन मुस्कान की सफलता का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। यह दर्शाता है कि कैसे प्रौद्योगिकी और अंतर-राज्यीय सहयोग के माध्यम से पुलिस लंबे समय से लापता लोगों को भी खोज सकती है। इस तरह की सफलताएं न केवल परिवारों को राहत देती हैं, बल्कि समाज में पुलिस के प्रति विश्वास भी बढ़ाती हैं।

परिवार छोड़ बन गए थे साधू
रमेशचंद्र तिवारी के मामले में यह भी ध्यान देने योग्य है कि वे धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति थे। शायद यही कारण था कि वे साधु के रूप में रह रहे थे। यह घटना हमें याद दिलाती है कि कभी-कभी लोग अपनी इच्छा से भी अपने परिवार से दूर हो जाते हैं, लेकिन फिर भी उन्हें खोजना और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना समाज का दायित्व है।

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