सूजी के जीवन की कहानी संघर्ष और पुनर्वास की एक प्रेरणादायक गाथा रही है। करीब 10 साल पहले उसे आंध्र प्रदेश के एक सर्कस से मुक्त कराया गया था। सूजी पर एक डॉक्यूमेंट्री भी बनाई गई थी।
सूजी की सांसें थमीं : आंध्र से आई और यूपी की होकर रह गई, डॉक्यूमेंट्री से फेमस हथिनी ने दुनिया छोड़ी
Sep 30, 2024 10:41
Sep 30, 2024 10:41
आंध्र प्रदेश सर्कस आई थी सूजी
सूजी के जीवन की कहानी संघर्ष और पुनर्वास की एक प्रेरणादायक गाथा रही है। करीब 10 साल पहले उसे आंध्र प्रदेश के एक सर्कस से मुक्त कराया गया था, जहां वह कई वर्षों से कैद में थी। सर्कस से आजाद होने के बाद उसे मथुरा के संरक्षण केंद्र में लाया गया, जहां उसका नाम सूजी रखा गया। यहां वह अपनी जिंदगी के बाकी सालों को शांतिपूर्ण तरीके से बिताती रही।
विभागीय निदेशक, सामाजिक वानिकी, रजनीकांत मित्तल ने जानकारी दी कि सूजी को बचाने के बाद उसे संरक्षण केंद्र में लाया गया, ताकि उसकी उचित देखभाल हो सके और वह सर्कस की बंदिशों से दूर स्वतंत्र जीवन जी सके।
हथिनी पर बनाई गई थी डॉक्यूमेंट्री
सूजी के अद्वितीय जीवन और संघर्षों को दर्शाने के लिए उस पर एक डॉक्यूमेंट्री भी बनाई गई थी। इस डॉक्यूमेंट्री में सूजी की जीवन यात्रा, उसकी सर्कस से आजादी और मथुरा के हाथी संरक्षण केंद्र में उसके पुनर्वास की कहानी को दिखाया गया। इस डॉक्यूमेंट्री ने सूजी को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।
मृत्यु के बाद शोकाकुल माहौल
रविवार की सुबह सूजी की मृत्यु हो गई, जिससे पूरे केंद्र में शोक का माहौल छा गया। वाइल्ड लाइफ एसओएस की टीम ने उसका अंतिम संस्कार किया। इसके साथ ही, विभागीय अधिकारियों ने सूजी का पोस्टमार्टम भी कराया ताकि उसकी मौत का सही कारण पता चल सके। पोस्टमार्टम रिपोर्ट का अभी इंतजार है, जिसके आने के बाद ही मौत के कारणों का स्पष्ट रूप से पता चल पाएगा।
हाथियों में उदासी का माहौल
सूजी की मृत्यु के बाद केंद्र में शेष बचे 32 हाथी और हथिनियों में गहरी उदासी देखी जा रही है। यह संरक्षण केंद्र इन हाथियों के लिए एक सुरक्षित स्थान है, जहां उन्हें बेहतर जीवन की सुविधा मिलती है। सूजी के जाने से न केवल कर्मचारियों बल्कि उसके साथ रहने वाले अन्य हाथियों पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ा है।
विशेष संरक्षण में शेष हाथी
सूजी की मौत के बाद केंद्र में मौजूद अन्य हाथियों की देखभाल को और भी अधिक सख्त कर दिया गया है। विभागीय अधिकारियों द्वारा इन हाथियों को विशेष देखभाल और संरक्षण प्रदान किया जा रहा है। केंद्र के कर्मचारी यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि बाकी हाथी शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहें और उन्हें किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े।
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