काशी के बाद मथुरा की बारी : शानदार बांके बिहारी कॉरिडोर बनाने के लिए 5.65 एकड़ एरिया में निर्माण कार्य पर रोक, ऐसा होगा स्वरूप

शानदार बांके बिहारी कॉरिडोर बनाने के लिए 5.65 एकड़ एरिया में निर्माण कार्य पर रोक, ऐसा होगा स्वरूप
UPT | बांके बिहारी कॉरिडोर

Jun 15, 2024 09:36

वृंदावन स्थित प्रसिद्ध बांकेबिहारी मंदिर परिसर के आसपास 5.65 एकड़ क्षेत्र में अब किसी भी प्रकार का नया निर्माण कार्य स्थगित कर दिया गया है। यह निर्णय मंडलायुक्त और जिला प्रशासन के बीच हुई एक उच्चस्तरीय बैठक में लिया गया।

Jun 15, 2024 09:36

Vrindavan News : वृंदावन स्थित प्रसिद्ध बांकेबिहारी मंदिर परिसर के आसपास 5.65 एकड़ क्षेत्र में अब किसी भी प्रकार का नया निर्माण कार्य स्थगित कर दिया गया है। यह निर्णय मंडलायुक्त और जिला प्रशासन के बीच हुई एक उच्चस्तरीय बैठक में लिया गया। इस निर्णय का मुख्य उद्देश्य बांकेबिहारी मंदिर परिसर के आसपास एक विशाल कॉरिडोर बनाने की प्रस्तावित योजना को सुचारू रूप से अमल में लाना है। प्रशासन का मानना है कि अगर अभी से नए निर्माणों पर रोक नहीं लगाई गई तो भविष्य में कॉरिडोर निर्माण के दौरान उन्हें फिर से गिराना पड़ेगा।

न सरकारी, न निजी निर्माण कार्यों की अनुमति
निर्णय लिया गया है कि फिलहाल मंदिर परिसर के 5.65 एकड़ दायरे में न तो सरकारी निर्माण होंगे और न ही निजी निर्माण कार्यों की अनुमति दी जाएगी। इसका एकमात्र उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जब भी कॉरिडोर निर्माण कार्य शुरू होगा, तब नए निर्माणों को फिर से ध्वस्त करने की जरूरत न पड़े। इस कॉरिडोर के निर्माण के लिए लगभग 5 एकड़ क्षेत्र में फैले 321 भवनों और संपत्तियों का अधिग्रहण किया जाएगा। इसके लिए 200 करोड़ रुपये के मुआवजे का प्रावधान किया गया है। प्रशासन पहले ही लगभग 300 भवनों को चिन्हित कर चुका है और अब उनकी कीमतों का आकलन कर रहा है। फाइनल प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा जाएगा।

150 करोड़ रुपये का बजट
वृंदावन में बांकेबिहारी मंदिर की 5.65 एकड़ परिधि में एक विशाल कॉरिडोर बनाने की योजना है। इस योजना को पहले ही उच्च न्यायालय से मंजूरी मिल चुकी है। राज्य सरकार ने भी इसके लिए 150 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान कर दिया है। हालांकि पिछले दिनों चुनावी आचार संहिता लागू होने के कारण अभी तक इस पर कोई कार्रवाई शुरू नहीं हो पाई। लेकिन अब आचार संहिता समाप्त हो चुकी है, इसलिए प्रशासन इस योजना को लागू करने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है।

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की तरह बनेगा
इस कॉरिडोर को वाराणसी के काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की तरह ही बनाया जाएगा। यह लगभग 5 एकड़ क्षेत्र में फैला होगा। पिछले साल इलाहाबाद उच्च न्यायालय में ही यूपी सरकार ने इस योजना की घोषणा की थी। उसी समय प्रदेश के एक मंत्री ने भी बताया था कि यह कॉरिडोर मंदिर और यमुना नदी को जोड़ेगा, बिलकुल उसी तरह जैसे काशी में कॉरिडोर मंदिर और गंगा नदी को जोड़ता है।

यह होगा कॉरिडोर का फायदा
इस प्रस्तावित कॉरिडोर का एक बड़ा फायदा यह होगा कि इसके जरिए मंदिर परिसर और यमुना नदी को आपस में जोड़ा जा सकेगा। श्रद्धालुगण यमुना नदी में स्नान करने के बाद सीधे इसी कॉरिडोर के रास्ते से मंदिर तक पहुंच सकेंगे। वर्तमान में मंदिर में एक समय में केवल लगभग 800 श्रद्धालुओं को ही दर्शन करने की अनुमति दी जाती है। लेकिन कॉरिडोर बन जाने पर एक साथ 5 हजार श्रद्धालु यहां आ सकेंगे। इस बात की पुष्टि पिछले साल अगस्त महीने में यूपी सरकार के एक मंत्री द्वारा की गई थी।

मंदिर पहुंचने के तीन रास्ते होंगे 
बांकेबिहारी मंदिर कॉरिडोर के प्रस्तावित प्लान के अनुसार, इसमें मंदिर तक पहुंचने के लिए तीन अलग-अलग रास्ते होंगे - जुगल घाट से, विद्यापीठ चौराहे से और जादौन पार्किंग से। यह पूरा कॉरिडोर दो मंजिला होगा। जुगल घाट से बनने वाले रास्ते की चौड़ाई 25 मीटर होगी, जबकि विद्यापीठ चौराहे और जादौन पार्किंग से आने वाले रास्ते क्रमशः 7 मीटर और 15 मीटर चौड़े होंगे। इस कॉरिडोर से श्रद्धालुओं को न केवल बांकेबिहारी मंदिर के दर्शन करने का अवसर मिलेगा बल्कि वे चार अन्य प्राचीन मंदिरों के भी दर्शन कर सकेंगे। इनमें मदनमोहन मंदिर और राधावल्लभ मंदिर शामिल हैं।

सुविधाओं का खास खयाल
इस कॉरिडोर में श्रद्धालुओं की हर संभव सुविधा का प्रावधान किया जाएगा। इसमें सामान रखने, जूते रखने की जगह, प्रसाद लेने, पानी पीने, चिकित्सा सुविधा और बच्चों की देखभाल की व्यवस्था शामिल होगी। साथ ही कॉरिडोर में एक बड़ा परिक्रमा मार्ग भी बनाया जाएगा जिसका ऊपरी हिस्सा 11,600 वर्गमीटर और निचला हिस्सा 11,300 वर्गमीटर का होगा।

यह है मान्यता
बांकेबिहारी मंदिर उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में स्थित वृंदावन धाम में रमण रेती पर बना हुआ है। यह भारत के प्राचीनतम और सर्वाधिक लोकप्रिय मंदिरों में से एक है। इस मंदिर में विराजमान मूर्ति भगवान श्रीकृष्ण के ही एक विशेष स्वरूप की है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस पवित्र स्थल पर आते ही व्यक्ति के समस्त पापों का नाश हो जाता है। वृंदावन में बांकेबिहारी मंदिर का निर्माण वर्ष 1864 में स्वामी हरिदास द्वारा करवाया गया था, जो स्वयं भगवान श्रीकृष्ण के परम भक्त थे। प्रचलित है कि इस मंदिर में स्थापित कृष्ण मूर्ति स्वयं प्रकट हुई थी।


 

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