खाद्य सुरक्षा एवं औषधि विभाग की ओर से प्रदेश सरकार के आदेश पर मसालों को लेकर चलाए गए अभियान से मसाला फैक्ट्री मालिकों में रोष दिखाई दे रहा है। इस अभियान के अंतर्गत...
खाद्य सुरक्षा और औषधि विभाग की कार्रवाई : ब्रांडेड मसालों के सैंपल में पाए गए पेस्टिसाइड्स, मसाला कारोबारी में मचा हड़कंप...
Jun 27, 2024 21:19
Jun 27, 2024 21:19
मसालों के नमूनों के लिए चलाया गया था विशेष अभियान
प्रदेश सरकार के आदेश पर एफएसडीए टीम ने मई में गरमा मसाला, कश्मीरी मिर्च, धनिया पाउडर सहित अन्य मसालों के नमूने लेने का विशेष अभियान चलाया था। पहली बार टीम ने निजी लैब में 265 पैरामीटर पर जांच कराई थी। सहायक आयुक्त खाद्य ग्रेड-2 अमित सिंह ने बताया कि पहली बार इस तरीके से मसालों के नमूने लिए गए थे। निजी लैब में जांच में सामने आया कि कवकों को खत्म करने के लिए मात्रा से कहीं अधिक दवाओं का इस्तेमाल किया गया है। सेहत के लिए अधिक दवा का प्रयोग किसी भी रूप में उचित नहीं है। ऐसी सभी कंपनियों को नोटिस जारी किया गया।
इन कंपनियों के मसालों में मिला कीटनाशक
शिल्पा मसाले के धनिया में सबसे अधिक मात्रा में क्लाथियानिडीन पाया गया है। इस कीटनाशक दवा का प्रयोग कीटों को दूर रखने के लिए किया जाता है। इसी तरह से फ्लूओपाइरम भी मिला है। फंगल रोगों को नियंत्रित करने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। चौबे जी मसाला के दाल मसाला में बिफेन्थ्रिन और फिप्रोनिल की मात्रा अधिक मिली है। इसी ब्रांड की कश्मीरी मिर्च में एथियन, फ्लूओपाइरम, मेटाबोलाइट्स मिले हैं। यह सभी स्वीकृत मात्रा से अधिक मिली है। जीत ब्रांड के गरम मसाले में एथियन, मेटाबोलाइट्स, कश्मीरी मिर्च में बिफेन्थ्रिन, फिप्रोनिल की मात्रा अधिक मिली है। अंधा पंसारी मसाले व हर्ब्स का गरम मसाला का नमूना फेल हुआ है। इसमें फिप्रोनिल, फ्लूओपाइरम की मात्रा निर्धारित मात्रा से अधिक मिली है। दया मसाला उद्योग के लाल मिर्च पाउडर में बिफेन्थ्रिन और फिप्रोनिल की मात्रा अधिक निकली है। अग्रवाल इंडस्ट्रीज के सब्जी मसाला का नमूना अधोमानक मिला है। इसमें स्पाइस कटेंट की मात्रा कम मिली है। विश्वास मसाले के तीन मसालों के नमूने फेल हुए हैं। इसमें किचन किंग, सब्जी और गरम मसाला है।
मसाला करोबारियों ने रखी अपनी मांगे
खाद्य विभाग एवं औषधि प्रशासन की कार्रवाई के बाद मसाला कारोबारी एकजुट हो गए हैं और उन्होंने अपना पक्ष रखने और इस कार्रवाई को लेकर प्रदेश सरकार के सामने कुछ मांग भी रखी हैं जो इस प्रकार है-
1- Pesticide का उपयोग खेत में किसान द्वारा होता है, मसाला उत्पादक द्वारा नहीं मिलाया जाता।
2- सरकार का किसान पर नियंत्रण नहीं है इसलिए इंडस्ट्री को निशाना बनाया जा रहा है।
3- अनेकों मसाले बनाने में 40-50 से ज्यादा आइटम इस्तेमाल होते हैं। सूक्ष्म और लघु उद्योग के पास साधन नहीं है कि वो हर आइटम को खरीद कर 265 जांच करें।
4- सरकार APMC मंडी का संचालन करती है और उसमे वो ही माल बिकना चाहिए, जिसमें Pesticides की मात्रा नियमानुसार हो।
5- सरकार को सही फसल की उपलब्धता सुनिश्चित करनी होगी तब ही भारतीय उद्योग आगे बढ़ेंगे।
6- इस पूरे मामलें में सरकार द्वारा बहुत ही गलत तरह से मसाला उद्योग के साथ अन्याय किया जा रहा है।
7- एक ब्रांड बनाने में सालों की मेहनत लगती है और सरकार के इस कदम से ग्राहक का ब्रांडों पर से विश्वास उठ रहा है जबकि ब्रांड्स की इसमें कोई गलती भी नहीं है।
8- पूरे देश में इस अभियान के प्रति बहुत नाराजगी है।
9- जिन स्थानो पर साबुत मसालों की पैदावार होती है। वहीं से साबुत मसलो के sample लिए जाये। उससे सही स्थिति का पता लगाया जा सकता है।
10- इस अभियान के दौरान फैल हुए नमूनों की जांच रिपोर्ट को निरस्त किया जाए, और मसाला उत्पादक के ऊपर की जाने वाली कार्रवाई पर रोक लगाई जाये।
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