श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ट्रस्ट ने दायर किया वाद : ताजमहल को तेजोलिंग महादेव का मंदिर बताया

ताजमहल को तेजोलिंग महादेव का मंदिर बताया
UPT | ताजमहल।

Mar 27, 2024 20:02

मोहब्बत और प्रेम का प्रतीक ताज महल बीते कुछ दिनों से लगातार सुर्खियों में बना हुआ है। ताज को लेकर कभी हिंदूवादी ताजमहल को शिव मंदिर बताते हुए उसका जलाभिषेक करना चाहते हैं तो कभी हिंदूवादी शाहजहां के उर्स को लेकर सवाल खड़े करते हैं। एक बार फिर ताजमहल को लेकर...

Mar 27, 2024 20:02

Short Highlights
  • आगरा सिविल न्यायालय जूनियर डिवीजन में हुआ केस 
  • न्यायालय ने सुनवाई की तिथि 9 अप्रैल नियत की 
Agra News : मोहब्बत और प्रेम का प्रतीक ताजमहल पिछले कुछ दिनों से लगातार सुर्खियों में बना हुआ है। कभी हिंदूवादी ताजमहल को शिव मंदिर बताते हुए उसका जलाभिषेक करना चाहते हैं तो कभी शाहजहां के उर्स को लेकर सवाल खड़े करते हैं। एक बार फिर ताजमहल को लेकर मामला न्यायालय में पहुंच गया है। इसमें ताजमहल को शिव मंदिर बताया गया है। 

योगेश्वर श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ट्रस्ट के अध्यक्ष अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने ताजमहल को तेजोलिंग महादेव का मंदिर बताते हुए आगरा सिविल न्यायालय जूनियर डिवीजन में केस दायर किया। इस संबंध में ट्रस्ट के अध्यक्ष और वादी अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2023 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को एक आरटीआई दायर कर पूछा था कि ताजमहल कब बनना शुरू हुआ, कब खत्म हुआ और ताजमहल के भवन की आयु क्या है? जिसका एएसआई ने जवाब देते हुए बताया कि ताजमहल एक रिसर्च का विषय है। इसके लिए आप ताजमहल की वेबसाइट और संबंधित पुस्तकों को पढ़ सकते हैं।

कई पुस्तकों का किया अध्ययन
उन्होंने बताया एएसआई के कहे अनुसार मैंने ताजमहल के विषय में रिसर्च करना शुरू किया। इसमें उन्होंने बाबरनामा, हुमायूंनामा, रॉयल एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल, एएसआई के बुलेटिन, एपिग्राफिका इंडिका, विश्वकर्मा प्रकाश, पुराण आदि पढ़े। इनमें यह सामने निकलकर आया कि शिव सहस्त्रनाम स्त्रोत के अनुसार तेजो नाम शिवजी का है।

किस पुस्तक में क्या है
अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि विश्वकर्मा प्रकाश में तेजोलिंग बेरनिर्माण का वर्णन है। संस्कृत में बेर का अर्थ मंदिर होता है। एपिग्राफिका इंडिका में बटेश्वर शिलालेख के अनुसार राजा परमाल देव ने फिटकरी के समान सफेद रंग का शिवजी का मंदिर 1194 ई में बनवाया था। ताजगार्डेन जिसका मूल नाम चारबाग है। जिसके निर्माण का वर्णन बाबर ने अपनी पुस्तक बाबरनामा में किया है। बाबर ने अपनी पुस्तक में ताजमहल के नीचे कुओं के निर्माण का भी वर्णन किया है। हुमायूंनामा में ताजमहल का उल्लेख है।

आगरा गजेटियर, एएसआई बुलेटिन और रॉयल एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल के जनरल के अनुसार ताजमहल का शिल्पकार विवादित है। वर्ष 1946 के एएसआई के बुलेटिन में उसके महानिदेशक माधोस्वरूप वत्स के लेख रिपेयरिंग ऑफ ताजमहल में लिखा है कि ताजमहल का शिल्पकार एक विवादित तथ्य है। जब 1652 के औरंगजेब के एक पत्र के अनुसार ताजमहल के शिल्पकारों के पास ताजमहल में वर्षा ऋतु में जो रिसाव हुआ था। उसकी मरम्मत के कोई सुझाव उपलब्ध नहीं थे, जब एएसआई ने ताजमहल के मुख्य गुम्बद की मरम्मत शुरू की तो एएसआई को अंदर से गुम्बद गोलाकार नहीं मिला, उसमें जगह-जगह चूना पत्थर भरे गए थे। ईस्ट इंडिया कंपनी के कर्मचारी पीटर मुंडी ने वर्ष 1632 में ताजगंज के बाजार का उल्लेख किया है जबकि उस समय ताजमहल का निर्माण शुरू हुआ था।

क्या है अलेक्जेंडर कनिंघम की रिपोर्ट में 
अलेक्जेंडर कनिंघम की रिपोर्ट में ताजमहल के भीतर उन्हें ब्लैक बेसाल्टिक पिलर मिला था जिस पर कछुआ बना था, जोकि जैन धर्म के तीर्थंकर मुनिश्र्वरनाथ का चिन्ह है। शाहजहां के प्रेम कहानी का वर्णन कासिम अली अफरीदी ने किया है। जिसका जन्म वर्ष 1771 व मृत्यु 1827 में हुई जबकि ताजमहल के कथित निर्माण 1632 में हुआ। आगरा गजेटियर और बुरहानपुर गजेटियर में मुमताज महल की मृत्यु के वर्ष में अंतर है। अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि सभी का विश्लेषण करने पर यह साबित होता है कि ताजमहल का अस्तित्व शाहजहां से पहले का है मूल रूप से यह तेजोलिंग महादेव का मंदिर है जिसे तेजो महालय कहते थे।

इनको बनाया है प्रतिवादी
वाद में श्री भगवान श्री तेजोमहादेव, योगेश्वर श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ट्रस्ट, क्षत्रिय शक्तिपीठ विकास ट्रस्ट व अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह वादी हैं एवं सचिव संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार पुरातत्व विभाग के, महानिदेशक , अधीक्षक आगरा सर्किल, महानिदेशक यूपी टूरिज़्म प्रतिवादी है। अधिवक्ता ने बताया कि 1 जनवरी 2024 को यह केस फाइल किया था जिसमें न्यायालय ने धारा 80(1) सिविल प्रकिया संहिता की कार्यवाही पूरी करने को कहा था जिसकी समय सीमा 2 माह की होती है।

अधिवक्ता ने सभी विपक्षीगणों को धारा 80(1) सिविल प्रक्रिया संहिता के अधीन नोटिस भेज दिया था, जिसकी 2 माह की समयसीमा की अवधि भी गुजर चुकी है और आज यह वाद दायर किया है। जिसकी सुनवाई माननीय न्यायाधीश शिखा सिन्हा की कोर्ट सिविल जज जूनियर डिवीजन 6 में हुई, सुनवाई के दौरान वादी व अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह, अधिवक्ता अभिनव कुलश्रेष्ठ व अधिवक्ता अनुराग शर्मा व हर्ष कुमार शर्मा उपस्थित रहे। न्यायालय ने सुनवाई की अगली तिथि 9 अप्रैल नियत की है।
 

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