आगरा, अपने पर्यटन और सांस्कृतिक महत्व के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। सालाना लाखों पर्यटकों को आकर्षित करता है। लेकिन, बाबजूद अपनी वैश्विक पहचान के, आगरा की छवि एक निहायत गंदे शहर के रूप में प्रचलित है। स्मार्ट सिटी मिशन 2016 में...
Agra News : एक दशक में भी नहीं बना स्मार्ट सिटी, वाल पेंटिंग्स से गंदगी के घावों को छिपाने की कोशिश...
Jan 20, 2025 12:05
Jan 20, 2025 12:05
बहुआयामी कार्ययोजना जरूरी
आगरा शहर अभी तक न स्मार्ट सिटी बना है, न ही हेरिटेज सिटी। बुनियादी समस्याओं से जूझने की रणनीति का खुलासा आज तक नहीं हुआ है। हालांकि, ये भी स्वीकारा जा रहा है कि आगरा नगर निगम ने पिछले डेढ़ साल में शहर का हुलिया बदलने की दमदार पहले की हैं। स्थाई रिजल्ट के लिए नागरिकों, अधिकारियों और हितधारकों को शामिल करते हुए एक बहुआयामी कार्ययोजना बनाई जानी चाहिए। आगरा की प्रमुख सिविक लोकल समस्याएं क्या हैं, जब नागरिकों से इस संबंध में बातचीत की गई तो कुछ कारण समझ में आए। कई लोगों ने बताया कि आगरा में एक मजबूत अपशिष्ट निपटान बुनियादी ढांचे का अभाव है। पर्याप्त संख्या में कूड़ेदान नहीं हैं और अनियमित कचरा संग्रह समस्या को बढ़ाता है, जिससे सड़कें और सार्वजनिक स्थान कचरे से अटे पड़े हैं जो बंदरों, कुत्तों, गायों को आकर्षित करते हैं।
हर साल आते हैं लाखों सैलानी
एक वैश्विक पर्यटन स्थल के रूप में, आगरा हर साल लाखों टूरिस्टों का स्वागत करता है। ज्यादातर मेहमान नाक मुंह सिकोड़ते हुए दोबारा न लौटने का वायदा करके जाते हैं। कई स्थलों पर पर्यटकों द्वारा उत्पन्न अपशिष्ट अक्सर अप्रबंधित हो जाता है, जिससे शहर की स्वच्छता संबंधी समस्याएं बढ़ जाती हैं। सरकारी एजेंसीज चाहे जितना भी इंतेज़ाम कर लें, जब तक नागरिकों को नजरिया और व्यवहार नहीं बदलेगा, गंदगी से निजात पाना नामुमकिन है। निवासियों और देशी पर्यटकों दोनों अक्सर नागरिक जिम्मेदारी की कमी प्रदर्शित करते हैं। सार्वजनिक स्थानों पर कूड़ा फैलाने की आदत स्थिति को और पेंचीदा बनाती है।
शहर का हर क्षेत्र बदबूदार
सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. देवाशीष भट्टाचार्य के मुताबिक, पर्यटक कहते हैं कि शहर का हर क्षेत्र बदबू से महकता है। नालियों में मल मूत्र बहता दिखता है। उद्योगों से भी वेस्ट, बदबूदार रसायन, सीधा नालियों में जाता है। जगह जगह आवारा पशु गंदगी फैलाते हैं। आगरा का सीवरेज और ड्रेनेज इंफ्रास्ट्रक्चर पुराना है और अक्सर भरा या ओवरफ्लो होता है, जिससे सार्वजनिक क्षेत्रों में जलभराव और कचरे का संचय होता है।
इन कमियों को दूर करने की जरूरत
रिवर कनेक्ट कैंपेन से जुड़े सदस्य बृज खंडेलवाल बताते हैं कि अपर्याप्त बजट आवंटन, स्वच्छता कर्मचारियों की कमी और स्वच्छता पहल को लागू करने में देरी के साथ ही सार्वजनिक स्थानों पर अनधिकृत निर्माण और अतिक्रमण न केवल शहरी नियोजन को बाधित करते हैं, बल्कि कचरे और अव्यवस्था के संचय में भी योगदान करते हैं। यमुना नदी में औद्योगिक और घरेलू कचरे के अत्यधिक डंपिंग ने इसे पर्यावरणीय खतरे में बदल दिया है, जिससे आगरा के स्वच्छता प्रयासों को और जटिल बना दिया गया है। जरूरत है कि नगर निगम, आगरा को एक स्वच्छ और अधिक टिकाऊ शहर में बदलने के लिए, स्वच्छता और नागरिक जिम्मेदारी के महत्व पर जोर देने के लिए सोशल मीडिया, स्थानीय समाचार पत्रों और सामुदायिक कार्यक्रमों के माध्यम से शैक्षिक अभियान शुरू करे।
"स्वच्छता दिवस" या "ग्रीन डे" कार्यक्रम करें
वह कहते हैं कि निवासियों, स्कूलों और संगठनों से जुड़ी नियमित सफाई गतिविधियों का आयोजन करे। स्वच्छता, अपशिष्ट प्रबंधन और नागरिक जिम्मेदारी पर कार्यशालाएं और सेमिनार मानसिकता और व्यवहार को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। नगर निगम स्वच्छता बनाए रखने वाले गली मोहल्लों के लिए इनाम प्रणाली लागू करें। इसके अलावा शहर में डस्टबिनों की संख्या बढ़ाएं और उनका नियमित रखरखाव सुनिश्चित करें। अपशिष्ट पृथक्करण के लिए अलग डिब्बे प्रदान करें और जागरूकता अभियानों के माध्यम से उनके उपयोग को बढ़ावा दे। "स्वच्छता दिवस" या "ग्रीन डे" जैसे कार्यक्रम आयोजित करें, जहां समुदाय पार्कों, सड़कों और सार्वजनिक स्थानों को साफ करने के लिए एक साथ आते हैं। इस तरह के आयोजन प्रतिभागियों के बीच गर्व और जिम्मेदारी की भावना पैदा कर सकते हैं।
स्वच्छ आगरा साझा जिम्मेदारी
स्वच्छ आगरा की ओर यात्रा एक साझा जिम्मेदारी है। निरंतर प्रयासों, अभिनव समाधानों और सभी हितधारकों की सक्रिय भागीदारी के साथ, आगरा एक उदाहरण स्थापित कर सकता है। पिछले एक वर्ष में नगर निगम ने कई ठोस प्रयास किए हैं, जिनके नतीजे भी दिख रहे हैं, लेकिन निर्वाचित पार्षद और नागरिक संगठनों की भागीदारी न हो पाने के कारण टिकाऊ व्यवस्थाएं और परिणाम नहीं निकल रहे हैं।
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