उत्तर प्रदेश सरकार ने गौमाता के संरक्षण के लिए जनपद स्तरीय अधिकारियों को विशेष हिदायतें दी हुईं हैं। अगर सड़कों पर गाय पाई जाएगी तो अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होगी। नगर निगम के वाहन भी सड़कों पर विचरण कर रही गौवंश...
Agra Exclusive : नगर निगम के गौशाला के हालात बदतर, गोवंश तड़पकर तोड़ रहे दम, जानें हकीकत...
Nov 09, 2024 22:30
Nov 09, 2024 22:30
गौशाला में z+ सुरक्षा, फोन पर बैन
शनिवार को जब उत्तर प्रदेश टाइम्स की टीम नरायच स्थिति नगर निगम द्वारा संचालित कान्हा गौशाला पहुंची तो वहां पर सुरक्षा के इंतजाम इतने बेहतर थे कि टीम के सदस्य भी देखकर दंग रह गए। ऐसा लग रहा था मानो z+ सुरक्षा व्यवस्था वहां है। एंट्री होते ही कर्मचारियों ने सबसे पहले मोबाइल और आधार कार्ड की मांग की। सभी सामान काउंटर पर ही रखने की हिदायत दे डाली और कहा कि यह सब जमा करने के उपरांत ही गौशाला में मिलेगा प्रवेश। उनसे हमने पूछा कि आखिर मोबाइल की अनुमति क्यों नहीं है, सीधा सा दो टूक कहा कि हमें ऊपर से आदेश है। हमने इसका कारण जाने का प्रयास किया तो बताया गया कि लोग यहां पर अच्छे कार्यों की वीडियो फोटो तो लेते नहीं, बीमार एवं व्यवस्थाओं की फोटो वीडियो यहां से ले जाकर सोशल मीडिया में डाल देते हैं। जिसके चलते हम लोगों को फजीयत उठानी पड़ती है। हमारी टीम ने अपने मोबाइल जमा कर दिए, उसके उपरांत हम गौशाला देखने के लिए निकल गए।
गौशाला में बेसहारा और बीमार गोवंश
जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर नरायच स्थिति कान्हा गौशाला नगर निगम द्वारा संचालित की जा रही है। जिसमें करीब 3200 के आसपास गोवंश मौजूद हैं। दर्जनभर के आसपास कर्मचारी भी वहां रहते हैं। जिस समय उत्तर प्रदेश टाइम्स की टीम पहुंची और हालात देखे वह बेहद भयावह थे। कई गोवंश जमीन में मृत पड़े हुए थे। कई गोवंश जमीन पर तड़पते हुए दिखाई दिए। इनकी सुध लेने वाला वहां तक दूर-दूर तक कोई दिखाई नहीं दे रहा था। करीब आधा घंटे तक वहां रहने के बाद हमने पाया कि गौवंशों को वहां पर कई श्रेणियां में विभाजित किया हुआ है। जो बीमार गौवंश हैं, उनको अलग रखा हुआ था, तो कई गौवंश आम गौवंशों के बीच में ही बीमार जमीन पर लेटी हुईं थीं। अधिकतर गौवंश सूखा भूसा खाने को मजबूर थीं।
गौशाला में जेसीबी कर रही थी कहानी
हमें समझते देर नहीं लगी कि हमारा मोबाइल कान्हा गौशाला के लोगों ने क्यों गेट पर रखवा लिया था। कर्मचारियों ने बताया कि यहां पर तीन हजार से अधिक गौवंश मौजूद हैं। इनमें दुधारू गाय भी हैं, बछिया भी हैं और नंदी की भी अच्छी खासी संख्या है। नगर निगम की इस गौशाला में जेसीबी भी देखी गई। जेसीबी को देखकर हमें समझने में देर नहीं लगी कि अगर किसी को वंश की मौत हो जाए उसका क्या करना है, यह जेसीबी की उपस्थिति बता रही थी।
एसपीसीए की गौशाला में गोवंशों की दुर्दशा
इससे पूर्व उत्तर प्रदेश टाइम्स की टीम दयालबाग स्थित एसपीसीए द्वारा संचालित गौशाला भी पहुंची। यहां यह बताना आवश्यक है कि एसपीसीए द्वारा संचालित यह गौशाला नगर निगम की जमीन पर ही संचालित की जा रही है। यहां पर तो स्थिति और भी भयावह दिखाई दे रही थी। तीन से चार गोवंश जमीन पर मृत अवस्था में पड़े हुए थे। कई गौवंश के आंखों के हिस्सों को जानवर नोच गए थे, घायल गौवंश बुरी तरह छटपटा रहीं थीं। वहां पर मौजूद स्वयं सेवक प्रयास करते हुए दिखाई दिए कि किसी भी तरह उन्हें कुछ खिलाया जाए। टीम के सामने ही चिकित्सकों को बुलाने की बात की जा रही थी। हास्यासपद है कि एसपीसीए की गौशाला से सटी हुई जमीन पर PFA का संचालन होता है। बावजूद इसके एसपीसीए की गौशाला में गौवंश की स्थिति बेहद दयनीय एवं भयावह थी। भगवान श्रीकृष्ण की आंखों से अश्रु प्रेमवश जिन गौवंशों के लिए बहते थे, वही गौवंश आगरा में संचालित विभिन्न गौशालाओं में भयावह स्थिति में पीड़ा से गुजर रही हैं।
क्या कहते हैं अपर नगर आयुक्त
इस बाबत अपर नगर आयुक्त सुरेंद्र यादव ने कहा कि कान्हा गौशाला में 3200 गौवंश हैं, जिनकी संख्या घटती-बढ़ती रहती है। जब उनको कान्हा गौशाला और एसपीसीए के बारे में जानकारी दी गई कि वहां के हालात भयावह हैं तो उन्होंने कहा कि इसकी जानकारी उन्हें नहीं है। हम यह गौशाला किसी फर्म के माध्यम से संचालित करा रहे हैं। हम संबंधित को इसके लिए पत्र लिखेंगे और कार्रवाई करेंगे। जब उनको बताया गया कि गौशाला पर कार्य करने वाले कर्मचारियों का व्यवहार भी गौवंशों के प्रति ठीक नहीं रहता एवं ऐसे क्या कारण हैं कि लोगों को कान्हा गौशाला में मोबाइल ले जाने की अनुमति नहीं है, इस पर अपर नगर आयुक्त निरुत्तर थे। उन्होंने बस इतना कहा कि संबंधित के खिलाफ हम कार्रवाई करेंगे। सवाल यह है कि जब नगर निगम द्वारा संचालित गौशाला के इतने भयावह हालात हैं तो अन्य के बारे में सोचने पर तो रूह कांप...।
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