अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का इतिहास करीब 150 साल पुराना है। आज हम आपको इससे जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारियां देने जा रहे हैं।
AMU के अल्पसंख्यक दर्जे पर होगी 'सुप्रीम' सुनवाई : अलीगढ़ में ही क्यों रखी गई संस्थान की नींव? जानिए 150 साल पुरानी यूनिवर्सिटी की कहानी
Nov 08, 2024 14:44
Nov 08, 2024 14:44
- AMU का अल्पसंख्यक दर्जा बरकरार
- 150 साल पहले हुई थी स्थापना
- 1920 में मिला यूनिवर्सिटी का दर्जा
1875 में हुई थी स्थापना
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) की स्थापना 1875 में सर सैयद अहमद खान द्वारा की गई थी, जो एक शिक्षा प्रेमी और सामाजिक सुधारक थे। उनका उद्देश्य था मुसलमानों को आधुनिक शिक्षा से जोड़कर उन्हें समाज में बराबरी का दर्जा दिलाना। इस उद्देश्य के तहत उन्होंने मोहम्मडन एंग्लो-ओरिएंटल स्कूल की स्थापना की, जो बाद में 1920 में विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त कर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के रूप में विकसित हुआ। एएमयू को विश्वविद्यालय का दर्जा मिलने के बाद यह भारत के सबसे प्रमुख और प्रतिष्ठित शिक्षा संस्थानों में से एक बन गया।
1920 में मिला यूनिवर्सिटी का दर्जा
एएमयू की स्थापना ब्रिटिश राज में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय की तर्ज पर की गई थी। शुरुआत स्कूल के तौर पर इसलिए हुई, क्योंकि तब निजी विश्वविद्यालयों की अनुमति नहीं थी। बाद में ये स्कूल अपग्रेड होकर कॉलेज बन गया और फिर 1920 में इसे यूनिवर्सिटी का दर्जा दिया गया। कहते हैं कि सर सैयद अहमद खान ने भविष्य की यूनिवर्सिटी बनाने का सपना देखा था। उनका कहना था कि यूनिवर्सिटी ऐसी जगह होगी जहां की आबोहवा सबसे अच्छी हो। यहां न बाढ़ आए न सूखा पड़े। लंबे मंथन के बाद में अलीगढ़ को इसके लिए चुना गया था।
यूनिवर्सिटी में 13 फैकल्टी
आज एएमयू में 37,000 से ज्यादा विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे हैं, जिनमें 70% मुस्लिम और 30% हिंदू हैं। यहां विभिन्न शैक्षिक क्षेत्रों में शिक्षा दी जाती है, जैसे आर्ट्स, साइंस, इंजीनियरिंग, चिकित्सा, कानून और व्यवसायिक पाठ्यक्रम। एएमयू में 13 फैकल्टी, 21 केंद्र और 117 विभाग हैं, जो छात्रों को विविध क्षेत्रों में अनुसंधान और शिक्षा का अवसर प्रदान करते हैं। विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों के लिए 80 से ज्यादा हॉस्टल और 19 हॉल उपलब्ध हैं। एएमयू से कई प्रमुख विद्वान, नेता और कलाकार निकल कर दुनिया भर में अपना नाम कमा चुके हैं।
कई दिग्गजों ने की है पढ़ाई
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी ने न केवल भारत के मुस्लिम समुदाय की शिक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, बल्कि दुनिया के विभिन्न हिस्सों में भी इस संस्थान के अलुमनाई ने अपनी छाप छोड़ी है। भारत के पहले उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान और प्रसिद्ध अभिनेता नसीरुद्दीन शाह जैसे महान व्यक्तित्व एएमयू के छात्र रहे हैं। इस विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त करने वाले कई प्रमुख शख्सियतों को भारत सरकार द्वारा उच्चतम पुरस्कारों से नवाजा गया है, जिनमें पद्मविभूषण और पद्मभूषण शामिल हैं।
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