हाथरस में हुए दर्दनाक हादसे में सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं, अन्य राज्यों के लोग भी मारे गए हैं। इनमें मध्य प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान के श्रद्धालु शामिल हैं। वहीं, प्रदेश के अंदर 17 जनपदों के श्रद्धालुओं की भी मृत्यु हुई है।
हाथरस हादसे में कुल 121 मौतें : मृतकों में अन्य राज्यों के 6 लोग, सभी को यूपी सरकार देगी मुआवजा
Jul 03, 2024 18:51
Jul 03, 2024 18:51
- हाथरस हादसे में कुल 121 मौतें
- मृतकों में अन्य राज्यों के 6 लोग
- सभी को यूपी सरकार देगी मुआवजा
सभी को मिलेगा मुआवजा
हाथरस में हुए दर्दनाक हादसे में सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं, अन्य राज्यों के लोग भी मारे गए हैं। इनमें मध्य प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान के श्रद्धालु शामिल हैं। वहीं, प्रदेश के अंदर 17 जनपदों के श्रद्धालुओं की भी मृत्यु हुई है। इन सभी मृतकों के परिजनों को योगी सरकार सहायता राशि प्रदान करेगी। मरने वालों में मध्य प्रदेश के ग्वालियर से 1, हरियाणा के पलवल से 1 और फरीदाबाद से 3, जबकि राजस्थान के डीग से 1 श्रद्धालु शामिल है।
यूपी के इन जनपदों में हुई मौतें
उत्तर प्रदेश के मृतकों में सर्वाधिक 22 मृतक हाथरस से हैं, जबकि आगरा से 17, अलीगढ़ से 15, एटा से 10, कासगंज और मथुरा से 8-8, बदायूं से 6, शाहजहांपुर और बुलंदशहर से 5-5, औरैया और संभल से 2-2, जबकि ललितपुर, फिरोजाबाद, गौतमबुद्धनगर, पीलीभीत, लखीमपुर खीरी और उन्नाव से एक-एक श्रद्धालु की मृत्यु हुई है। कुल मिलाकर उत्तर प्रदेश से बाहर के 6 और उत्तर प्रदेश के 106 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। कुल 121 में से अब तक 112 शव की शिनाख्त हुई है। इन 121 मृतकों में से 113 महिलाएं, 6 बच्चे व 2 पुरुष शामिल हैं।
80 हजार लोगों की मिली थी अनुमति
जब सत्संग के लिए लोग अपने घरों से निकले होंगे, तो किसी ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उसमें से कई वापस लौटकर अपने घर नहीं आ पाएंगे। जिस फुलराई गांव में यह घटना हुई, वहां करीब 150 बीघा के खेत में सत्संग का आयोजन हुआ था। पुलिस ने अपने एफआईआर में ये बात दर्ज की है कि आयोजन के लिए केवल 80 हजार लोगों की अनुमति दी गई थी, लेकिन तीन गुने से ज्यादा भीड़ जुटा ली गई। सत्संग में शामिल होने के लिए 2.5 लाख से ज्यादा लोग जुटे थे। यही नहीं, उससे भी ताज्जुब की बात ये है कि इतनी बड़ी भीड़ को संभालने के लिए वहां सिर्फ 40 पुलिसकर्मी मौजूद थे। ना प्रशासन से सुध ली और न आयोजकों ने उन्हें बताना जरूरी समझा।
पिछली गलतियों से नहीं सीखा प्रशासन
बड़े-बुजुर्ग कह गए हैं कि सिर्फ अपनी ही नहीं, दूसरे की गलतियों से भी सीखना चाहिए। लेकिन यहां ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा ने कोरोना काल के दौरान फर्रुखाबाद में भी ऐसी ही भीड़ जुटाई थी। तब कार्यक्रम में केवल 50 लोगों को शामिल होने की अनुमति दी गई थी, लेकिन पहुंचे थे 50 हजार लोग। स्थिति ऐसी हो गई थी कि शहर की यातायात व्यवस्था तक ध्वस्त हो गई थी। उस समय भी जिला प्रशासन ने आयोजकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। लेकिन न तो कोई कार्रवाई हुई, न ही प्रशासन ने कोई सबक सीखा। हर बार आयोजनों में अनुमति से कई गुना ज्यादा लोग जुटते रहे और प्रशासन मूक बनकर देखता रहा।
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