फोरम फॉर मुस्लिम स्टडीज एंड एनालिसिस के महासचिव और AMU के पूर्व सलाहकार प्रो. जसीम मोहम्मद ने बांग्लादेश में इस्कॉन के वरिष्ठ हिंदू भिक्षु श्री चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की गिरफ्तारी पर गहरी चिंता व्यक्त की है।
बांग्लादेश में हिंदू भिक्षु की गिरफ्तारी पर मुस्लिम फोरम ने की निंदा : पत्र लिखकर अल्पसंख्यक हिंदू भिक्षुओं की रिहाई की अपील की
Nov 27, 2024 23:23
Nov 27, 2024 23:23
- गिरफ्तारी की निंदा और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा का आह्वान
- बांग्लादेश सरकार पर अंतरराष्ट्रीय दबाव
- अल्पसंख्यक अधिकारों की सुरक्षा के लिए ठोस कदमों की मांग
गिरफ्तारी की निंदा और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा का आह्वान
पत्र में प्रो. जसीम मोहम्मद ने कहा कि यह घटना न्याय, सद्भाव और बहुलवाद के सिद्धांतों पर गहरा आघात है। उन्होंने भिक्षु की गिरफ्तारी को न्याय की मांग करने वाली शांतिपूर्ण आवाज़ों को दबाने का प्रयास बताया और कहा कि इससे बांग्लादेश का समावेशी सामाजिक ताना-बाना कमजोर होता है। श्री चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी को बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हमलों के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन के बाद देशद्रोह के झूठे आरोप में हिरासत में लिया गया था। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रो. जसीम मोहम्मद ने इसे धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों पर एक गंभीर हमला करार दिया।
बांग्लादेश सरकार पर अंतरराष्ट्रीय दबाव
प्रो. जसीम मोहम्मद ने अपने पत्र में बांग्लादेश सरकार से भिक्षु की तत्काल रिहाई और हिंदू समुदाय के खिलाफ हो रही हिंसा की निष्पक्ष जांच कराने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश को अपनी संवैधानिक और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को निभाते हुए अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि दुनिया देख रही है और बांग्लादेश को शांति और विविधता की अपनी विरासत बनाए रखने के लिए निर्णायक कदम उठाने चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि धार्मिक नेताओं और शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों को निशाना बनाना अस्वीकार्य है।
अल्पसंख्यक अधिकारों की सुरक्षा के लिए ठोस कदमों की मांग
प्रो. जसीम मोहम्मद ने बांग्लादेश सरकार से अपील की कि वह हिंसा के अपराधियों को जवाबदेह ठहराए और इस बात को सुनिश्चित करे कि अल्पसंख्यक समुदायों को डर के माहौल में जीने के लिए मजबूर न किया जाए। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश को शांति और न्याय की वकालत करने वालों को चुप कराने के बजाय हमलों के अपराधियों पर कार्रवाई करनी चाहिए। इस पत्र ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बांग्लादेश पर अल्पसंख्यक अधिकारों की रक्षा के लिए दबाव और बढ़ा दिया है। मानवाधिकार संगठनों और धार्मिक स्वतंत्रता के समर्थकों ने भी इस मुद्दे पर बांग्लादेश सरकार की आलोचना की है।
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