उत्तर प्रदेश में धान की कटाई के साथ ही पराली जलाने की घटनाओं में वृद्धि हो रही है। हाल ही में आई सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, अलीगढ़ जिला पराली जलाने के मामलों में सबसे आगे है।
यूपी में पराली जलाने के मामलों में अलीगढ़ सबसे आगे : निगरानी के लिए मैदान में उतरे अधिकारी, जानें अन्य जिलों की भी स्थिति
Oct 11, 2024 12:08
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पराली जलाने के खिलाफ सख्त कदम
डीएम, तहसीलदार, एसडीएम, एडीएम और कृषि विभाग के अधिकारी अलीगढ़ के सभी 16 ब्लॉकों और सात तहसीलों में तैनात हैं ताकि पराली जलाने की घटनाओं पर कड़ी निगरानी रखी जा सके। किसानों को जागरूक किया जा रहा है और उन्हें पराली न जलाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके साथ ही, जो किसान पराली जलाते हुए पकड़े जा रहे हैं, उन पर जुर्माना लगाया जा रहा है और कुछ के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की गई है।
इन कारणों से बढ़ रहे पराली जलाने के मामले
जिला उपकृषि निदेशक रघुराज सिंह के अनुसार, धान की कटाई में तेजी आई है क्योंकि किसानों को जल्द से जल्द गेहूं की बुवाई करनी है। यही कारण है कि पराली जलाने की घटनाएं बढ़ रही हैं। जिला प्रशासन ने किसानों से पराली को न जलाने की अपील की है और सुझाव दिया है कि वे पराली को गोशालाओं में दान करें। यदि कोई किसान पराली जलाते हुए पाया जाता है, तो उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी और उसे सरकारी योजनाओं से भी वंचित किया जा सकता है।
पराली जलाने की स्थिति अन्य जिलों में
राज्य में पराली जलाने के मामले केवल अलीगढ़ तक सीमित नहीं हैं। संभल, बुलंदशहर, मथुरा, फैजाबाद, गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद, शाहजहांपुर, और बदायूं सहित कई जिलों में भी पराली जलाने की घटनाएं दर्ज की गई हैं। बुलंदशहर में अब तक 11 घटनाएं सामने आई हैं, जबकि गौतमबुद्धनगर और गाजियाबाद में क्रमशः चार और तीन घटनाएं हुई हैं।
अन्य राज्यों की स्थिति
उत्तर प्रदेश के अलावा, पड़ोसी राज्यों पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में भी पराली जलाने की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। पंजाब के अमृतसर जिले में सबसे अधिक 111 घटनाएं दर्ज की गई हैं, जबकि हरियाणा के कुरुक्षेत्र में 41 मामले सामने आए हैं। राजस्थान के हनुमानगढ़ में 12 और मध्य प्रदेश के विदिशा में 10 घटनाएं हुई हैं।
एनसीआर में पराली का असर
पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं का असर सीधे एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) पर पड़ने की आशंका है। एनसीआर के अंतर्गत आने वाले जिले जैसे फरीदाबाद, गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद, गुरुग्राम और पलवल में भी पराली जलाई जा रही है, जिससे यहां के वातावरण में धुआं फैलने की संभावना बढ़ गई है। इस धुएं का असर दिल्ली सहित पूरे एनसीआर क्षेत्र पर पड़ेगा, जिससे प्रदूषण का स्तर बढ़ेगा और स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
जागरूकता अभियान और भविष्य की योजनाएं
पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए प्रशासन द्वारा विभिन्न जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। किसानों को पराली जलाने के स्थान पर वैकल्पिक उपाय अपनाने की सलाह दी जा रही है। साथ ही, गोशालाओं में पराली दान करने और इसे खेतों में खाद के रूप में उपयोग करने के लिए भी प्रोत्साहित किया जा रहा है।अलीगढ़ सहित अन्य जिलों में प्रशासनिक अधिकारी इस पर निगरानी बनाए हुए हैं और उम्मीद है कि जागरूकता और सख्त कार्रवाई से पराली जलाने की घटनाओं में कमी आएगी।
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