यूपी-हरियाणा सीमा विवाद : 2,500 एकड़ भूमि के मसले पर दोनों राज्य के अधिकारियों की अहम बैठक, 1943 के नक्शे से होगा विवाद का समाधान

 2,500 एकड़ भूमि के मसले पर दोनों राज्य के अधिकारियों की अहम बैठक, 1943 के नक्शे से होगा विवाद का समाधान
UPT | बैठक में यूपी और हरियाणा के किसान हुए शामिल

Dec 05, 2024 19:32

उत्तर प्रदेश और हरियाणा के बीच 2,500 एकड़ से अधिक भूमि को लेकर दशकों से चले आ रहे सीमा विवाद को सुलझाने के लिए गुरुवार को टप्पल ब्लॉक कार्यालय में एक उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की गई।

Dec 05, 2024 19:32

Short Highlights
  • यमुना नदी के किनारे स्थित जमीन को लेकर है विवाद 
  • 1943 के नक्शे के आधार पर दोनों राज्यों की सीमाओं का होगा निर्धारण 
  • सीमा विवाद के चलते किसान लंबे समय से हैं परेशान 
Aligarh News : उत्तर प्रदेश और हरियाणा के बीच 2,500 एकड़ से अधिक भूमि को लेकर दशकों से चले आ रहे सीमा विवाद को सुलझाने के लिए गुरुवार को टप्पल ब्लॉक कार्यालय में एक उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की गई। बैठक में दोनों राज्यों के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी, किसान और पंचायत प्रतिनिधि शामिल हुए। यह बैठक न केवल विवाद को सुलझाने की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि इससे क्षेत्र में शांति कायम होने की उम्मीद भी जताई जा रही है।

यमुना नदी के किनारे स्थित जमीन को लेकर है विवाद 
विवादित भूमि यमुना नदी के किनारे स्थित है और इसका प्रभाव अलीगढ़ की खैर तहसील की आठ ग्राम पंचायतों घरबारा, पखोदना खादर, मालव, लालपुर, रैयतपुर, शेरपुर, गिरधरपुर, ऊंटासानी, और धारागढ़ी तथा हरियाणा की पलवल और होडल तहसीलों की ग्राम पंचायतों फाठ नगर, वली मोहम्मदपुर, मूर्तजाबाद, हसनपुर महोली, और अन्य गांवों पर पड़ता है। दशकों से चले आ रहे इस विवाद ने किसानों को न केवल आर्थिक बल्कि सामाजिक रूप से भी प्रभावित किया है। खेती करने को लेकर खूनी संघर्ष हो चुका है।

बैठक में ये लोग हुए शामिल 
बैठक में अलीगढ़ के एडीएम (ई) पंकज कुमार, एसडीएम खैर अनिल कटियार, तहसीलदार खैर और हरियाणा के एसडीएम पी. कुमार समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। टप्पल थाने के सामने ब्लॉक कार्यालय में आयोजित इस बैठक में दोनों राज्यों के किसानों और पंचायत प्रतिनिधियों की समस्याएं सुनी गईं।

1943 के नक्शे के आधार पर दोनों राज्यों की सीमाओं का होगा र्निर्धारण 
बैठक में यह निर्णय लिया गया कि 1943 के नक्शे के आधार पर दोनों राज्यों की सीमाओं का पुनर्निर्धारण किया जाएगा। इस प्रक्रिया को दीक्षित अवार्ड एक्ट के तहत अंजाम दिया जाएगा। यूपी की जमीन, जो हरियाणा में चली गई है, वहां के काश्तकार यूपी के रहेंगे, लेकिन कानून हरियाणा का लागू होगा।  हरियाणा की जमीन, जो यूपी में आई है, वहां काश्तकार हरियाणा के रहेंगे, लेकिन कानून यूपी का लागू होगा। सीमांकन के लिए संयुक्त टीम का गठन किया जाएगा, जो पुराने रिकॉर्ड की जांच करेगी और विवादित क्षेत्रों की पैमाइश कर सीमा तय करेगी।

सीमा विवाद के चलते किसान लंबे समय से हैं परेशान 
ऊंटासानी गांव के किसान कल्लू ने बताया कि सीमा विवाद के चलते किसान लंबे समय से परेशान हैं। तहसील से लेकर कलेक्ट्रेट तक चक्कर काटने के बावजूद समस्या का समाधान नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि इस विवाद के चलते किसानों के बीच कई बार खूनी संघर्ष हुआ, जिससे जानमाल का नुकसान हुआ। अब इस बैठक से किसानों में समाधान की उम्मीद जगी है।

हरियाणा और यूपी के प्रशासन का पक्ष
हरियाणा के एसडीएम पी. कुमार ने कहा कि सीमा विवाद की वजह से दोनों तरफ के किसानों को बैठक में बुलाया गया। उन्होंने बताया कि जमीनों के रिकॉर्ड की जांच जारी है और दोनों राज्यों के प्रशासनिक अधिकारी किसानों के शांति और सुरक्षा के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। अलीगढ़ के एसडीएम अनिल कटियार ने बताया कि विवादित क्षेत्र यमुना नदी के किनारे स्थित है और इस मुद्दे को हल करने के लिए 1943 के नक्शे के आधार पर सीमांकन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सीमांकन के बाद दोनों राज्यों की सीमाओं को स्पष्ट किया जाएगा, जिससे भविष्य में विवाद और संघर्ष की संभावना कम होगी।

समाधान के बाद किसानों को अपनी जमीन पर खेती करने का मिलेगा अधिकार 
बैठक के बाद यह तय हुआ कि दोनों राज्यों के प्रशासनिक अधिकारी संयुक्त रूप से सीमा विवाद का हल निकालेंगे। इसके लिए पुराने नक्शे और रिकॉर्ड की जांच की जाएगी। साथ ही, सीमांकन के बाद विवादित भूमि पर काश्तकारों के अधिकार और कानून का स्पष्ट निर्धारण होगा। यह बैठक न केवल प्रशासनिक अधिकारियों के लिए बल्कि दोनों राज्यों के किसानों के लिए भी उम्मीद की किरण लेकर आई है। समाधान के बाद किसानों को अपनी जमीन पर निर्बाध खेती करने का अधिकार मिलेगा। साथ ही, राजस्व और कानूनी विवादों में भी सुधार होगा। प्रशासन की इस पहल से न केवल किसानों को राहत मिलेगी, बल्कि क्षेत्र में शांति और स्थिरता भी कायम होगी। अब सभी की निगाहें 1943 के नक्शे के आधार पर होने वाले सीमांकन और दोनों राज्यों के प्रशासन की संयुक्त कार्रवाई पर टिकी हैं। 

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