बारिश का कहर : आगरा में 500 साल पुरानी लोदी कालीन मस्जिद ढही, संरक्षण की कमी पर उठे सवाल

UPT | आगरा लोदी कालीन मस्जिद

Sep 15, 2024 18:45

उत्तर प्रदेश के आगरा में लगातार तीन दिन हुई भारी बारिश के बाद 500 साल पुरानी एक ऐतिहासिक लोदी कालीन मस्जिद ढह गई। यह मस्जिद सिकंदरा इलाके में स्थित थी, जो तीन गुंबदों वाली थी।

Agra News : उत्तर प्रदेश के आगरा में लगातार तीन दिन हुई भारी बारिश के बाद 500 साल पुरानी एक ऐतिहासिक लोदी कालीन मस्जिद ढह गई। यह मस्जिद सिकंदरा इलाके में स्थित थी, जो तीन गुंबदों वाली थी। बारिश के चलते मस्जिद की संरचना को भारी नुकसान पहुंचा, जिसमें से दो गुंबद पूरी तरह गिर गए और तीसरा भी गिरने के कगार पर है। हालांकि, यह मस्जिद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षित नहीं थी, लेकिन इसे "एडॉप्ट हेरिटेज स्कीम" के तहत संरक्षण के लिए चुना गया था। बावजूद इसके, इस पर कोई ठोस संरक्षण कार्य नहीं किया गया, जिसके चलते यह ऐतिहासिक धरोहर बारिश की भेंट चढ़ गई।

मस्जिद की संरचना
यह मस्जिद आठ फीट ऊंचे फाउंडेशन पर बनाई गई थी और इसमें तीन गुंबद थे। बीच का गुंबद बड़ा था जबकि दोनों किनारे के गुंबद छोटे आकार के थे। मस्जिद की दीवारें चूने और ककैया ईंटों से बनी थीं, जिन पर लाइम पनिंग की गई थी। छत पर डायमंड कट प्लास्टर और विशिष्ट डिज़ाइन थे, जो इसकी स्थापत्य कला को दर्शाते थे। यह मस्जिद लोदी काल की चुनिंदा इमारतों में से एक थी, जो उस दौर की वास्तुकला का महत्वपूर्ण उदाहरण थी। वर्ष 1504 में सुल्तान सिकंदर लोदी ने आगरा में अपनी राजधानी सिकंदरा को बनाया था, और यह मस्जिद उन्हीं की शासनकाल की धरोहर थी।

संरक्षण की कमी
इस ऐतिहासिक मस्जिद का संरक्षण न होना एक बड़ी चिंता का विषय है। साल 2002 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के तत्कालीन अधीक्षण पुरातत्वविद् केके मुहम्मद ने इसे "एडॉप्ट हेरिटेज स्कीम" के तहत मरम्मत के लिए रखा था। लेकिन उनके तबादले के बाद इस मस्जिद का संरक्षण कार्य ठप हो गया। इसके बाद 22 साल पहले तत्कालीन संरक्षण सहायक डॉ. आरके दीक्षित ने भी इस मस्जिद का निरीक्षण किया था और इसके संरक्षण के लिए विस्तृत योजना प्रस्तुत की थी। फिर भी, इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया और समय के साथ यह ऐतिहासिक धरोहर अनदेखी का शिकार हो गई।

नमाज को लेकर हुआ था विवाद
इस मस्जिद का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि वर्ष 2010 में यहां नमाज अदा करने को लेकर विवाद हुआ था। कुछ लोगों ने मस्जिद में नमाज पढ़ने का प्रयास किया था, जिस पर अन्य पक्षों ने इसका विरोध किया। इसके चलते तीन दिनों तक मस्जिद के आसपास तनाव की स्थिति बनी रही। इसके बाद यहां नमाज पढ़ने पर रोक लगा दी गई और मस्जिद में केवल बंजारे लोग ही रहने लगे।

धरोहरों के संरक्षण की जरूरत
आगरा में लोदी काल की मस्जिद का ढहना धरोहरों के संरक्षण की कमी को उजागर करता है। एएसआई के पूर्व पुरातत्वविद् डॉ. आरके दीक्षित के अनुसार, धरोहरों को सहेजने की सख्त जरूरत है। भले ही यह मस्जिद ASI द्वारा संरक्षित नहीं थी, लेकिन इसकी वास्तुकला और इतिहास को समझने के लिए इसका संरक्षण अत्यंत आवश्यक था। लोदी काल की यह मस्जिद मुगल काल की वास्तुकला में हुए बदलावों को समझने में भी अहम भूमिका निभा सकती थी।

आगरा अप्रूव्ड गाइड एसोसिएशन के अध्यक्ष शमशुद्दीन ने इस घटना पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि ऐसी ऐतिहासिक धरोहरें नई पीढ़ी को इतिहास और वास्तुकला के बारे में जानकारी प्रदान करने में मदद करती हैं। मस्जिद का गिरना इस बात का संकेत है कि अगर हम अपनी विरासत की रक्षा के लिए सक्रिय कदम नहीं उठाते, तो आने वाले समय में और भी कई धरोहरें इसी तरह से खत्म हो सकती हैं।

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