आगरा में अस्पतालों का फायर ऑडिट : कई अस्पतालों में खामियां पाई गईं, भर्ती पर रोक की सिफारिश

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Nov 24, 2024 21:17

झांसी के मेडिकल कॉलेज में हुए भीषण अग्निकांड के बाद प्रदेश सरकार ने सभी अस्पतालों के फायर ऑडिट को लेकर कड़े दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

Agra News : झांसी के मेडिकल कॉलेज में हुए भीषण अग्निकांड के बाद प्रदेश सरकार ने सभी अस्पतालों के फायर ऑडिट को लेकर कड़े दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसका असर आगरा में भी देखने को मिल रहा है, जहां डीएम अरविंद मलप्पा बंगाली के आदेश पर सीएमओ डॉ. अरुण श्रीवास्तव के नेतृत्व में स्वास्थ्य और अग्निशमन विभाग की संयुक्त टीम का गठन किया गया है। यह टीम नियमित रूप से अस्पतालों का निरीक्षण कर रही है। अब तक इस टीम ने आगरा के दो दर्जन से अधिक अस्पतालों का निरीक्षण किया, जिनमें कई खामियां सामने आई हैं। कई अस्पतालों में अग्निशमन व्यवस्था न होने के कारण मरीजों के भर्ती पर रोक लगाने की सिफारिश की गई है।

झांसी अग्निकांड के बाद उठाए गए कदम
यह कदम झांसी मेडिकल कॉलेज में आग की घटना के बाद उठाया गया, जिसमें 12 बच्चों की मौत हो गई थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस हादसे को गंभीरता से लेते हुए सभी अस्पतालों के फायर ऑडिट के आदेश दिए थे। इसके तहत आगरा में स्वास्थ्य और अग्निशमन विभाग की संयुक्त टीम ने 24 अस्पतालों का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान कई अस्पतालों में अग्नि शमन की कोई व्यवस्था नहीं पाई गई। कुछ अस्पतालों में तो अग्निशमन यंत्र तक खराब पड़े मिले, जबकि कई अस्पतालों के फायर पंप और वाटर टैंक में भी पानी नहीं था। 



अस्पतालों में अग्निशमन व्यवस्था की कमी, एनओसी पर संकट
मुख्य अग्निशमन अधिकारी देवेंद्र कुमार सिंह ने यूपी टाइम्स को बताया कि निरीक्षण में कुछ अस्पतालों के पास अग्निशमन विभाग का अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) था, लेकिन उन अस्पतालों में सुरक्षा के इंतजाम नदारद थे। इस स्थिति पर हैरान होते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे अस्पतालों का NOC निरस्त किया जा सकता है और उन्हें फिर से आवेदन करने के लिए कहा जाएगा। 

मरीजों की सुरक्षा पर जोर
सीएफओ ने यह भी बताया कि जिन अस्पतालों में अग्निशमन की कोई व्यवस्था नहीं है और जहां मरीजों की भर्ती जारी है, उन अस्पतालों के खिलाफ मुख्य चिकित्सा अधिकारी और आगरा प्रशासन को पत्र भेजा गया है। इन अस्पतालों पर मरीजों की सुरक्षा के लिए सख्त कार्रवाई की जाएगी, ताकि भविष्य में किसी भी तरह की अग्नि दुर्घटना में मरीजों की जान को खतरा न हो।

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