Mathura News : वैकुंठ द्वार से निकले भगवान गोदा रंगमन्नार, जानें इस खास दिन भक्तों ने क्या की कामना... 

UPT | वैकुंठ एकादशी पर साल में सिर्फ एक दिन ही खोला जाता है वैकुंठ द्वार।

Jan 10, 2025 10:51

उत्तर भारत के प्रख्यात दक्षिण शैली के रंगमन्नार मंदिर में शुक्रवार को वैकुंठ एकादशी पर खोले गए वैकुंठ द्वार से निकलकर भक्तों ने भगवान गोदा रंगमन्नार से वैकुंठ प्राप्ति की कामना की। भक्त वैकुंठ द्वार से निकलकर अपने आपको धन्य अनुभव कर...

Mathura News : उत्तर भारत के प्रख्यात दक्षिण शैली के रंगमन्नार मंदिर में शुक्रवार को वैकुंठ एकादशी पर खोले गए वैकुंठ द्वार से निकलकर भक्तों ने भगवान गोदा रंगमन्नार से वैकुंठ प्राप्ति की कामना की। भक्त वैकुंठ द्वार से निकलकर अपने आपको धन्य अनुभव कर रहे थे। पूरा मंदिर परिसर परंपरागत दक्षिण भारतीय वाद्य यंत्रों की ध्वनि के मध्य भगवान गोदा रंगमन्नार के जयकारों से गुंजायमान हो उठा।

भगवान गोदा रंगमन्नार के जयकारों की गूंज
शुक्रवार सुबह (ब्रह्म मुहूर्त) में भगवान रंगमन्नार माता गोदा के साथ निज मंदिर से पालकी में विराजमान होकर वैकुंठ द्वार पहुंचे। जहां स्वामी गोवर्द्धन रंगाचार्य महाराज के निर्देशन में मंदिर के सेवायत पुजारियों ने वेद मंत्रोच्चार के मध्य पूजा अर्चना की तथा भगवान गोदा रंगमन्नार और षठकोप स्वामी की सवारी मंदिर परिसर में भ्रमण करते हुए पौंडानाथ मंदिर पहुंची, जिसे वैकुंठ लोक भी कहा जाता है। वहां भगवान को पालकी में विराजमान किया गया। वहां भक्तों ने वैकुंठ द्वार से निकलकर अपने आराध्य के दर्शन किए। इस दौरान पूरा मंदिर परिसर दक्षिण भारतीय वाद्य यंत्रों की ध्वनि के मध्य भगवान गोदा रंगमन्नार के जयकारों से गुंजायमान रहा।

साल में सिर्फ एक दिन खोला जाता वैकुंठ द्वार 
स्वामी रघुनाथ महाराज ने बताया कि 21 दिवसीय वैकुंठ उत्सव के दौरान वैकुंठ एकादशी पर साल में सिर्फ एक दिन ही वैकुंठ द्वार खोला जाता है। यह एकादशी वर्ष की सर्वश्रेष्ठ एकादशियों में से एक मानी जाती है। ऐसी मान्यता है कि वैकुंठ एकादशी पर जो भी भक्त वैकुंठ द्वार से निकलता है, उसे वैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है। मंदिर की सीईओ अनघा श्रीनिवासन ने कहा कि आलवार आचार्य वैकुंठ उत्सव के दौरान अपनी रचित गाथाएं भगवान को सुनाते हैं। वैकुंठ एकादशी के दिन दक्षिण के सभी वैष्णव मंदिरों में वैकुंठ द्वार ब्रह्म मुहूर्त में खोला जाता है। इसी परम्परा का निर्वहन यहां रंगनाथ मंदिर में किया जाता है।

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