किशोर के पेट से निकटी घड़ी की बैटरी, ब्लेड और 56 अन्य वस्तुएं : सर्जरी के दौरान डॉक्टर देखकर हैरान, एक दिन बाद तोड़ा दम  

UPT | प्रतीकात्मक फोटो

Nov 04, 2024 16:50

हाथरस का 15 वर्षीय किशोर पेट दर्द और सांस लेने की गंभीर समस्याओं से जूझ रहा था। दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में जब उसका ऑपरेशन किया गया तो डॉक्टरों के लिए यह एक हैरान कर देने वाला अनुभव साबित हुआ।

Hathras News : उत्तर प्रदेश के हाथरस का 15 वर्षीय किशोर आदित्य शर्मा पेट दर्द और सांस लेने की गंभीर समस्याओं से जूझ रहा था। दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में जब उसका ऑपरेशन किया गया तो डॉक्टरों के लिए यह एक हैरान कर देने वाला अनुभव साबित हुआ। उसके पेट से घड़ी की बैटरी, ब्लेड और नाखून सहित कुल 56 अजीबोगरीब वस्तुएं निकाली गईं, हालांकि ऑपरेशन के एक दिन बाद ही उसकी हृदय गति में अचानक वृद्धि और रक्तचाप गिरने के कारण उसकी मृत्यु हो गई। 
किस प्रकार सामने आया मामला?
आदित्य के पिता संचित शर्मा, जो कि एक मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव (एमआर) हैं, ने बताया कि उनके बेटे ने पहले पेट दर्द और सांस लेने में कठिनाई की शिकायत की थी। उसकी स्वास्थ्य समस्या जब बढ़ने लगी, तो उन्होंने उसे स्थानीय अस्पताल ले जाकर जांच करवाई। वहां से डॉक्टरों ने आगे के उपचार के लिए उसे जयपुर रेफर कर दिया। जयपुर में कुछ दिनों के इलाज के बाद, आदित्य को छुट्टी दे दी गई, लेकिन उसकी तकलीफ जल्द ही लौट आई, जिससे परेशान होकर परिवार ने उसे अलीगढ़ के एक अस्पताल में भर्ती कराया।

अलीगढ़ में स्कैन से हुआ खुलासा
अलीगढ़ में डॉक्टरों ने आदित्य की स्थिति को समझने के लिए उसके पेट का अल्ट्रासाउंड किया। इस स्कैन में करीब 19 वस्तुएं पेट के अंदर दिखाई दीं, जिससे डॉक्टर भी अचंभित हो गए। यह देख डॉक्टरों ने तुरंत उसे नोएडा के एक अधिक उन्नत चिकित्सा केंद्र में रेफर करने का फैसला किया। नोएडा में किए गए स्कैन में पहले से भी अधिक चौंकाने वाला खुलासा हुआ – लगभग 56 धातु के टुकड़े उसके पेट में पाए गए। यह देख परिजन चिंतित हो गए और डॉक्टरों के निर्देशानुसार उसे सफदरजंग अस्पताल, दिल्ली ले जाने का निर्णय लिया।

सफदरजंग अस्पताल में सर्जरी का अनुभव
27 अक्टूबर को सफदरजंग अस्पताल में डॉक्टरों ने आदित्य का ऑपरेशन किया, जिसके बाद उसके पेट से विभिन्न प्रकार की 56 वस्तुएं निकलीं, जिसमें घड़ी की बैटरी, ब्लेड, नाखून और अन्य धातु के टुकड़े शामिल थे। यह एक असामान्य और चौंकाने वाली घटना थी, जिसने डॉक्टरों को भी हैरान कर दिया। उन्होंने इस मामले को चिकित्सा विज्ञान में दुर्लभ मामलों में से एक बताया।

पिता ने कहा 
संचित शर्मा ने मीडिया से बात करते हुए कहा, "मुझे यकीन नहीं हो रहा कि मेरे बेटे के पेट से इतनी सारी वस्तुएं निकलीं। यह हमारे परिवार के लिए एक बहुत बड़ी त्रासदी है। डॉक्टरों ने अपनी पूरी कोशिश की, लेकिन शायद भगवान को कुछ और ही मंजूर था।" उन्होंने आगे बताया कि ऑपरेशन के एक दिन बाद आदित्य की हृदय गति अचानक बढ़ गई और उसका रक्तचाप बेहद गिर गया, जिसके कारण उसकी मृत्यु हो गई।

पिका सिंड्रोम हो सकता है कारण
आदित्य के इस व्यवहार को चिकित्सा विशेषज्ञों ने "पिका सिंड्रोम" से जोड़कर देखा। पिका सिंड्रोम एक मानसिक स्वास्थ्य समस्या है, जिसमें व्यक्ति असामान्य चीजें जैसे कि धातु, मिट्टी, बाल, कांच आदि खाने लगता है। यह सिंड्रोम अधिकतर बच्चों और किशोरों में पाया जाता है और इसके कारण व्यक्ति के शरीर के अंदर कई प्रकार की वस्तुएं जमा हो जाती हैं, जो गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न कर सकती हैं। हालांकि, यह केवल एक संभावित कारण है, और डॉक्टर इस मामले में गहन जांच कर रहे हैं कि कैसे आदित्य ने इतनी सारी वस्तुएं निगल लीं।

चिकित्सा समुदाय की प्रतिक्रिया
सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टरों ने इस घटना को "असामान्य और चिंताजनक" बताया। उनका कहना है कि इतनी अधिक संख्या में धातु की वस्तुएं शरीर के अंदर होना बेहद खतरनाक है और इस प्रकार का मामला चिकित्सा इतिहास में दुर्लभ है। इस घटना ने डॉक्टरों को भी स्तब्ध कर दिया है, और इसे चिकित्सा समुदाय में एक चुनौतीपूर्ण केस के रूप में देखा जा रहा है।

बेटे के लिए हर संभव चिकित्सा सहायता की कोशिश की
आदित्य के असामयिक निधन ने परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया है। संचित शर्मा का कहना है कि उन्होंने अपने बेटे के लिए हर संभव चिकित्सा सहायता की कोशिश की, लेकिन आदित्य को बचाया नहीं जा सका। उन्होंने अन्य माता-पिता को इस तरह की समस्याओं के प्रति सतर्क रहने की सलाह दी और किसी भी प्रकार के असामान्य व्यवहार को नजरअंदाज न करने की बात कही।

बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देना चाहिए 
यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना यह संदेश देती है कि बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देना चाहिए। पिका सिंड्रोम जैसे मामलों में सही समय पर चिकित्सकीय परामर्श लेना अति आवश्यक है, जिससे ऐसी घटनाओं को रोका जा सके। आदित्य के निधन ने सभी को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति समाज को और जागरूक होने की जरूरत है।  

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