Ayodhya News : हिंदू महासभा ने ब्रह्मलीन महंत रामचंद्र दास परमहंस को भारत रत्न दिए जाने की मांग उठाई

UPT | ब्रह्मलीन महंत परमहंस को अर्पित की पुष्पांजलि।

Aug 07, 2024 20:04

श्रीराम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन के शलाका पुरुष ब्रह्मलीन महंत रामचन्द्रदास परमहंस को भारत रत्न दिए जाने की मांग हिंदू महासभा ने उठाई है।

Short Highlights
  • राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि मुलायम सिंह यादव को दिया गया है पद्म विभूषण
  • रामनगरी के पावन सरयू तट पर बनाया जाए कारसेवक बलिदान स्थली
Ayodhya News : श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर आंदोलन के शलाका पुरूष ब्रह्मलीन महंत रामचन्द्रदास परमहंस को भारत रत्न दिए जाने की मांग हिन्दू महासभा ने उठाई है। बुधवार को दिगम्बर अखाड़े में आयोजित प्रतिमा अनावरण व श्रद्धांजलि सभा में पुष्पांजलि अर्पित कर उक्त मांग हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनीष पांडेय ने उठाई है। साथ ही कारसेवकों के बलिदान स्थल सरयू तट पर निर्मित किए जाने की मांग की गई है।

प्रवक्ता मनीष पांडेय ने कहा कि अयोध्या राम मंदिर आंदोलन के पुरोधा रहे परमहंस रामचंद्र दास जी महाराज ने‌ अपना संपूर्ण जीवन राम मंदिर के लिए समर्पित कर दिया। आज उन्हीं के पूण्य प्रताप की वजह से अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण संभव हुआ है। अतः ऐसी महान विभूति को कम से कम भारत रत्न सम्मान से विभूषित किया जाना आवश्यक होगा। हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता अधिवक्ता मनीष पांडेय ने परमहंस जी की 21वीं पुण्यतिथि के अवसर पर दिगंबर अखाड़े में स्थापित की गई उनकी प्रतिमा के समक्ष पुष्पांजलि अर्पित की। पांडेय ने यह भी कहा कि राम भक्तों पर गोली चलवाने वाले मुलायम सिंह यादव को अगर पद्म विभूषण दिया जा सकता है तो फिर राम मंदिर आंदोलन के नायकों को भारत रत्न से सम्मानित क्यों नहीं किया जा सकता है।

उन्होंने कहा है कि अयोध्या में सरयू तट पर बलिदानी कारसेवकों का बलिदान स्थल भी निर्माण करवाया जाए। हिंदू महासभा के प्रदेश उपाध्यक्ष महंत रामलोचन शरण शास्त्री राजन बाबा ने कहा कि परमहंस जी के तप और बल के ही कारण आज अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण संभव हो पाया है ऐसे में उनकी उपेक्षा किसी भी स्तर से नहीं होनी चाहिए। जिस सम्मान के वे अधिकारी हैं वह उन्हें मिलना ही चाहिए। श्रद्धांजलि देने वाले प्रमुख लोगों में चंद्रहास दीक्षित, वैदेही शरण, कुलदीप श्रीवास्तव सहित अन्य प्रमुख लोग उपस्थित रहे।

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