अधूरे पुल से तीन युवकों की मौत के बाद टूटी सिस्टम की नींद : अब जिम्मेदारों की तलाश, 14 महीने से हवा में लटके थे 55 करोड़

UPT | अधूरे पुल से तीन युवकों की मौत के बाद टूटी सिस्टम की नींद

Nov 26, 2024 20:08

बरेली में फरीदपुर-दातागंज को जोड़ने वाले पुल से ख़ल्लपुर के पास रविवार सुबह कार सवार तीन युवकों की मौत के बाद सिस्टम की नींद खुल गई है। शासन से लेकर प्रशाशन तक फिक्रमंद हुआ है। सीएम के निर्देश पर पीडब्ल्यूडी के बदायूं-पीलीभीत के अधीक्षण अभियंता केके सिंह ने जांच कर रिपोर्ट तैयार की है।

Bareilly News : यूपी के बरेली में फरीदपुर-दातागंज को जोड़ने वाले पुल से ख़ल्लपुर के पास रविवार सुबह कार सवार तीन युवकों की मौत के बाद सिस्टम की नींद खुल गई है। शासन से लेकर प्रशाशन तक फिक्रमंद हुआ है। सीएम के निर्देश पर पीडब्ल्यूडी के बदायूं-पीलीभीत के अधीक्षण अभियंता केके सिंह ने जांच कर रिपोर्ट तैयार की है। इसमें पांच इंजीनियर की लापरवाही सामने आई है। जिसके चलते एक्सईएन समेत पांचों अभियंताओं के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की संस्तुति कर दी गई है। इनका निलंबन तय है। पीडब्ल्यूडी बरेली यूनिट के मुख्य अभियंता अजय कुमार ने बताया कि पुल हादसे में शासन ने रिपोर्ट मांगी थी। इसमें अधीक्षण अभियंता ने जांच रिपोर्ट में एक्सईएन समेत पांच अभियंताओं की लापरवाही पाई थी। हालांकि, एक दिन पहले गूगल के क्षेत्रीय अधिकारी, पीडब्ल्यूडी के चार इंजीनियर समेत कई लोगों के खिलाफ मुकदमा हो चुका है। 

लापरवाह इंजीनियरों का निलंबन तय
बदायूं जिले के दातागंज कोतवाली थाना क्षेत्र के समरेर गांव से बरेली देहात के फरीदपुर को जोड़ने वाला 55 करोड़ से तैयार किया गया था।मगर, यह 14 माह से हवा में लटक रहा था। हादसे में तीन युवकों की मौत के बाद सिस्टम की नींद टूट गई है। सीएम के रिपोर्ट तलब करने के बाद पीडब्ल्यूडी के चीफ इंजीनियर के निर्देश पर अधीक्षण अभियंता ने गुनहगारों की सूची तैयार कर ली है। इनका निलंबन होना तय माना जा रहा है।

अब की बैरिकेडिंग, पहले से होती, तो नहीं होता हादसा
हादसे के वक्त पुल पर कोई बैरिकेडिंग नहीं थी। वाहनों का आवागमन रोकने के लिए बनाई गई सुरक्षा दीवार काफी पहले टूट गई थी। उसे दोबारा नहीं बनवाया गया। हादसे के कुछ ही घंटे बाद वहां ईंटों का चट्टा लगा दिया गया था। अगले 24 घंटे के भीतर इसी दीवार को पक्का कराया गया। पुल से 250 मीटर दूर एप्रोच रोड पर कंक्रीट के बोल्डर रखवाए गए। इसके साथ ही बालू की बोरियां रखवाकर दो और अवरोधक बनाए गए हैं। स्थानीय लोगों ने बताया कि जब कुछ शरारती युवाओं ने दीवार गिराई थी। उसी वक्त अभियंता इसका संज्ञान लेते, तो हादसे को रोका जा सकता था। मगर, ऐसा नहीं किया गया। 

पुलिस के साथ विभागीय जांच शुरू
बदायूं पीडब्ल्यूडी के अभियंताओं ने न तो अवरोधक लगाए, न ही रिफ्लेक्टर और संकेतक बोर्ड लगवाए थे। गूगल ने भी मैप पर टूटे पुल को अपडेट नहीं किया। नेविगेशन देखकर कार सवार बढ़ते गए। हादसा हुआ, तो पीडब्ल्यूडी के अभियंताओं की कमियां सामने आईं। इसके बाद अब अभियंताए दोतरफा जांच के घेरे में आ गए हैं। एक तरफ पुलिस विवेचना कर रही है, तो दूसरी ओर विभागीय जांच भी हो रही है। पुलिस की जांच में दीवार तोड़ने वाले शरारती युवा भी चिह्नित किए जाएंगे। फिलहाल इन्हें अज्ञात दर्शाया गया है।

अब जागे जनप्रतिनिधि
पीडब्ल्यूडी ने 55 करोड़ रुपये खर्च कर दिए थे, लेकिन एप्रोच रोड बनाने के लिए 29.50 लाख खर्च करने में देरी हुई। जिसके चलते 14 महीने से पुल हवा में लटका है। अभियंताओं की देरी और लापरवाही ने तीन लोगों की जान ले ली। बदायूं की दातागंज विधानसभा क्षेत्र से विधायक राजीव कुमार सिंह का कहना है कि पुल के एप्रोच मार्ग के निर्माण में देरी का मुद्दा विधानसभा में भी उठाया था। मगर, इसके बाद कोई पैरवी नहीं की। अब हादसे के लिए जो जिम्मेदार हैं, उन पर कार्रवाई की जाएगी। मॉडल स्टडी के लिए बजट दिलाने के लिए शासन में पैरवी करने की बात कही है। इसमें साथ ही अन्य विधायक भी मामले को उठाने की बात कह रहे हैं।

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