खाद के लिए लंबी कतारें : डीएपी की कमी से किसान परेशान, संतकबीरनगर में बुवाई में हो रही देरी, बढ़ने लगी चिंता

UPT | खाद के लिए परेशान किसान।

Nov 06, 2024 17:34

संतकबीरनगर में इन दिनों डीएपी खाद की कमी ने किसानों को परेशानी में डाल दिया है। खाद सेंटर पर उन्हें कई घंटे लाइन में लगना पड़ रहा। उसके बाद भी उन्हें पूरी मात्रा में खाद नहीं मिल पा रही।

Sant Kabir Nagar News : संतकबीरनगर में इन दिनों डीएपी खाद की कमी ने किसानों को बुवाई के मौसम में भारी परेशानी में डाल दिया है। मंगलवार को भी किसानों को खाद के लिए घंटों लंबी लाइन में खड़ा होना पड़ा। क्षेत्र की अधिकांश सहकारी समितियों पर डीएपी की कमी के कारण किसानों को सुबह से ही खाली पेट भूखे-प्यासे लाइन में लगना पड़ रहा है और फिर भी एक बोरी खाद पाने के लिए उन्हें संघर्ष करना पड़ रहा है। इस कमी के चलते किसानों की बुवाई का काम रुक रहा है, जिससे फसल उत्पादन पर असर पड़ सकता है।

मंगलवार को मेंहदावल तहसील क्षेत्र की साधन सहकारी समिति सांड़ें खुर्द और पश्चिमटोला पर खाद आने की सूचना मिलते ही सुबह से बड़ी संख्या में किसान वहां इकट्ठा हो गए। स्थानीय किसान राजेन्द्र प्रसाद सिंह, नृपेंद्र त्रिपाठी, राकेश कुमार सिंह, अमरेश बहादुर सिंह, कमलेश सिंह सहित अन्य किसानों का कहना है कि इस समय आलू, मटर, चना और सरसों की बुवाई का मौसम है, और जल्द ही गेहूं की बुवाई भी शुरू होने वाली है। गेहूं की बुवाई के लिए डीएपी अत्यंत आवश्यक है, परंतु इसकी कमी ने किसानों के काम में बाधा डाल दी है। कई किसान खाद की मांग को देखते हुए समितियों से एडवांस में खरीदारी भी कर चुके हैं, जिससे अन्य किसानों के लिए उपलब्धता में और भी कठिनाई हो रही है।


एडीओ एजी ने कहा- कई प्रकार के उर्वरक उपलब्ध, मगर जागरूकता की कमी
एडीओ एजी अशोक कुमार मिश्र ने बताया कि समितियों पर एनपीके, नैनो डीएपी सहित अन्य उर्वरक उपलब्ध हैं, लेकिन किसानों में जागरूकता की कमी के कारण वे केवल डीएपी पर निर्भर हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि गेहूं की बुवाई में अभी समय है और डीएपी की रैक जैसे ही उपलब्ध होती है, उसे समितियों को भेजा जा रहा है। मिश्र का कहना है कि किसानों की डीएपी की मांग धान की कटाई के बाद आलू, चना, सरसों की बुवाई के चलते बढ़ गई है। लेकिन डीएपी की कमी के चलते किसानों को गोदाम का चक्कर लगाना पड़ रहा है, जिससे वे बेहद परेशान हैं। 

खाद की कमी, हमेशा बनी रहती है समस्या
किसान अजय कुमार तिवारी, अनिल कुमार निषाद और राहुल तिवारी ने बताया कि बुवाई के समय डीएपी और सिंचाई के बाद यूरिया की कमी बाजार में आम बात हो गई है। किसानों को न केवल महंगाई, मौसम और छुट्टा जानवरों से जूझना पड़ता है, बल्कि अब खाद की कमी से भी उन्हें निजी दुकानदारों पर निर्भर होना पड़ रहा है। सरकारी समितियों से डीएपी न मिलने की स्थिति में निजी दुकानदारों से ऊंची कीमत पर खरीदना किसानों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। 

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